पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३७२

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कादम्बरी-कादर. ३०३ नाति हताति, कादम्ब-ब-कंचस्व र १वादख पाते हैं। किसीके मतमें बादर भुइयां जांतिसे निकले पुष्पोत्य मय, कदमके फसको शराब। २ शोध मद्य, हैं। इनमें दो श्रेणी विभाग ई-कादर और नैया। एक शराब। यह मधुर और पित्त एवं श्रम तथा मदन नया नामक एक स्वतंत्र जाति भी है। कादर भयो होता है। ( राजनिघण्ट) ३ दधिसार, दहीको मलाई। कोई सम्बन्ध नहीं रखते। ४ इक्षुजात गुड़ादि, जखसे बना हुवा गुड़ वगैरह। कादरोंमें पनेक गोत्र होते हैं। सकच गोत्रोम ५ बलराम। परस्पर पादान प्रदान नहीं होता । इनमें बाड़े, कादम्बरी (सं-स्त्री.) कुकृष्णवर्ण नीलवर्ण अम्बरं वस्त्र वारिक, दवें, इनारी, कम्पती, कापड़ी, मन्दर, मांझी, यस्य कोः कदादेशः, कदम्बरो बलरामः तस्य प्रिया, मरैया, मरोक, मिर्दाह, नैया, रावत और रिखियासन कदम्बर-अण्-डी। १ मद्य, शराब। २ कोकिला, कई गोत्र । बाड़े गोववाले मिर्दाह, कम्यती कोयल। ३ सरखती। ४ शारिकापक्षिणी, टुइयां। और रावत गोत्रको छोड़ दूसरे किसी गोवमें विवाह ५ कदम्बपुष्योत्य मद्य, कदमके फूलको थराव । नहीं करते। कम्मती केवल बारिक, कापड़ी, मरीक, ६ सपुष्यक कदम्बके तरकोटरका दृष्टिनल, फूले हुये | दर्वे, मांझी और बाड़े गोबसे विवाह सम्बन्ध जोड़ते कदमको खोखमें पड़ा बरसातका पानी। ७ वाणम हैं। मरीक गोत्र बारिक, कापड़ी, मांझी, मन्दर और विरचित कथाकी नायिका। यह हंस नामक गन्धर्व नेया गोत्रों में विवाह करता है। फिर मिर्दाहोंका दव, राज और चन्द्रकिरणसे उत्पन्न असरोकुलनात गौरीको मांझी, कम्पती, और वाड़े गोववालोंम और नयोंका कन्या थी। बापमह देखी। केवल मरीकों, हज़ारियों, कम्मपतियों और वाड़ियोम कादम्बरीवीज (सं० लो०) कादम्बर्याः वीजम्, ६-तत् । विवाह होता है। यह मातुलकन्या वा पिटव्यकन्यासे सुराबीज, खमीर। विवाह नहीं करते। मारपर्यायमें ३ और पुरुष तथा कादम्बयं (सं० पु० ) कादम्बय हितम, कादम्बरी-यत्। पिळपर्याय, ७ पुरुष छोड़ विवाह होता है। १ धाराकदव। २ कदम्बक्ष, कदमका पेड़। (क्ली.) इनमें वाचिका और वयस्था दोनों कन्यावाका ३ पद्म, कंवल। विवाह होता है। फिर भी..वालिकाकालमें विवाह कादम्बा (सं. स्त्री०) कादम्ब इव पाचरति, कादम्ब होना प्रशस्त समझा जाता है। छोटे हिन्दुवीको चालसे क्किप्-पच्-टा। कदम्बपुष्पोलता, एक वेख। इसमें विवाह होता है। सिन्दूरदान हो विवाहका प्रधान कदम्बकी भांति पुष्य पाते हैं। कार्य है। ग्रामका नापित इनका पौरोहित्य करता है। कादम्विक (सं० वि०) भोज्यद्रव्यकारक, खानेकी | स्त्रोंके सन्तान न होनेसे यह दूसरा विवाह करते हैं। चीज बनानेवाला। विधवा. सगाईको प्रथाके पनुसार निषिद्धगोत्र और कादम्बिनी (सं० स्त्री०) कादरखाः कलहंसाः सन्ति पुरुषादिको छोड़ विवाह कर सकती है। स्त्रीको खामो- अस्याम्, कादम्ब-इनि-डीप । मेधमाला, घटा। कटक परित्यक्त होनेपर संगाईको प्रथाके अनुसार कादर (हि.) कातर देखी । पुनर्विवाह करनेका अधिकार है। सगाईवाला विवाह कादर-भागलपुर और सम्यासपरगनेकी एक जाति। घरसे बाहर अन्तःपुरके पीछे खुली जगहमें और एम दाक्षिणात्यक अनमलय पर्वत पौर कोयम्बतूर जिले में विवाह घरकै चबूतरे पर होता है। भी "कादर" नामक एक जाति रहती है। अनेक सोग यह शवको जता और उसका भस्म. उठा मृत्यु के अनुमानसे इन दोनों जातियोंको एक ही बेयोका दूसरे दिन समाहित करते हैं। प्रयोदश दिनको मृतके समझाते हैं। उद्देशसे बसि दिया जाता है। फिर मृत्युके.दिनसे . कादर कृषि और मस्यधारण कर प्रधानमः छा मास. योछे इसी प्रकार वलि देते हैं। इनमें जीविका चलाते हैं। चनेक सोग मजदूरी भी कर वार्षिक आशादिननौं होता। Vol. IV. 94 1. .