पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३८

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1 कमनच्छद-कमरख कमनच्छद (स पु०) कमनः कमनीयः छदः पक्षो कटि देखो। २ मध्य, दरमियान्, बीच। ३ मेख ना, यस्य, बहुनौ०। कपक्षी, वगला, बूटीमार। मिन्तका, पहा। ४ मनयुद्धका एक हस्तन्नाधव, कमना . (हिं. क्रि०) न्यून पड़ना, घटना, उतरना, कुश्तीका कोयो पेंच। यह क टिप्रदेशसे चलता है। ढलना, नोचेको चलना। इसी प्रकार 'कमरको टंगड़ी' भो होती है। एक कमनीय (सं० वि०) काम्यते यत्, कम् कर्मणि अनी पहलवान् जब दूसरेको पीठपर पाता और अपना यर्। १ स्प हणीय, कामना करने योग्य, चाहने वायां हाथ उसकी कमर पर पहुंचाता, तब नीचेवान्ना काबिल। २ सुन्दर, ख बसूरत। इसका संस्कृत अपना बायां हाथ बगलसे निकाल उसकी कमर पर पर्याय-६ -चारु, हारि, रुचिर, मनोहर, वल्गु, कान्त, चढ़ाता और वायों टांग न्नड़ा कमरके जोरसे उसको अभिराम, वन्धुर, वाम, रुच्य, सुषम, शोभन, मज, सामने बुमा लाता मल ल, मनोरम, साधु, रम्य, मनोज, पेशन्ल, हृद्य, कमरंग (हिं. पु.) कर्मरङ्ग, कमरग्व। कमरख देखो। सुन्दर, काम्य, कम्ब, सौम्य, मधुर और प्रिय है। कमरकटा (हिं. पु०) प्राकार, वक्षोदन, मोनापनाह, कमनीयता ( म० स्त्री) कमनीयस्य भावः, कमनीय- कंगूरेदार ऊंची दीवार । तल्-टाप् । तस्य भावस्ततली। पा ५१।११।। १ सौन्दर्य, | कमरकस (हिं. पु०) पलागनिर्यास, ढांकको गोंद ! र बसूरती। २ कमनोयत्व, मग्गू बी, दिलखाही। इसे चुनिया-गोंद भी कहते हैं। यह रक्तवर्ण एवं कमनैत (हिं. पु.) १ धनुर्धर, कमानवरदार, जो भासुर होता है। इसका पाखाद कषाय है। कमर- कमान रखता हो। कस संग्रहणी और कासखासका मोषध है। कमनैती (हिं. स्त्री०) धनुविद्या, कमानवरदारी, | कमरकसायो (हिं० ) कमरफुशायी देखो। कमान इस्तेमाल करनेका इल्म । कमर कुशायो (फा० स्त्रो०) अपराधोसे लिया जाने- कमन्द (फा० स्त्री०) १ पाश, जाल । २ अस्विर वाला एक कर, प्रसामोसे वसून होनेवाला रुपया। ग्रन्थि, सरकफन्दा। ३ रज्जुको तुलाधिरोहिणी, यह प्रथा पूर्व काल प्रचलित रही। जब कोयो असामो रस्मीको तुली हुयी सीढ़ी। इससे तस्कर उच्च भवनों सिपाहीसे मूवपूरीषके लिये प्रवकाश लेता, तब उसे पर चढ़ जाते हैं। ४ पाथवन्ध, जालवाा फन्दा। करवरूप कुछ धन देता था। इसोका नाम 'कमर- कमन्द (हिं.) कपन्ध देखो। कुशायी है। २ मेखलोद्घाटन, कमरबन्दको खोखायो। कमन्ध (म. ली.) के शिरः अन्धं शून्य यस्य । | कमरकोट, कमरकटा देखो। १कवन्ध, सरकटा धड़। कम दीप्ति जीवन वा दधाति, कमरकोठा (हिं. पु. ) स्थ णाका एक. भाग, शहतीर कम-धा-ड पृषोदरादित्वात्। २ जल, पानी। हिन्दीमें लढे या कड़ीका एक हिस्सा। यह मित्तिसे वहिवर्ती. लड़ायी-झगड़े और सरफन्द को भी कमन्ध कहते हैं। रहता है। कमवख्ख त (फा० वि०) देवोपहत, वदनसीव, | कमरख (हिं० पु०) कमरङ्ग, एक पेड़। (Averrhoe प्रभागी। Carambola) इसे बंगलामें कामरांगा, प्रासामीमें कमबख ती (फा० स्त्री०) मन्दभाग्य, वदनसीबी। करदयी, गुजरातीमें तमरक, मराठीमें करमर, तामिलमें तमत, तेलगुमें करोमोंग, मलयमें तमरत्तक कमयाब (फा० वि०) विरल, अनोब, मुशिकलसे और बायोमें जौनसी कहते हैं। कमरखमें अम्लत्व, मिलनेवाला। उष्णत्व, वातहरत्व एवं पित्तननकत्व रहता. किन्तु कमर (सं० वि०) कम-पर-चित्। पतिक्षमिममियमिदेविव- पकनेसे मधुराम्बत्व तथा बख-पुष्टि-कधिकरत्व बढ़ता सिम्ययित् । उण् ।१२। कामुक, खाहिशमन्द, चाहने- है। . ( राजनिघण्ट) यह कटुपाक, अम्लपित्तकर और तीक्ष्य गुणविशिष्ट है। (राजबनम ) कमरखका कमर फो. स्त्री०) १ श्रोणी, कटि, सुखब, कूता। .