कमरखो-कमरा. ३६ आम-फल ग्राही, भम्ल, वातनाथन, उष्ण एवं पित्त, कमरतोड़, कमरतेगा देखो। कर रहता, किन्तु पक जानेसे मधुर तथा अन्न कमर-दिवाल (हि. पु. ) चर्ममेखला, चमड़ेका पट्टा । -लगता और बल, पुष्टि एवं रुचिको वृद्धि करता है। इससे अखक पृष्ठपर पर्याण कसा जाता है। (दकनिघण्ट) यह हिम, ग्राही, अम्ल और कफ तथा कमरपट्टो (हिं. स्त्री०) कटिबन्ध, कमरको धज्जी। यातनाशन है। (भावकार) से चपकन वगेरहमें कमरके अपर लगाते हैं। कमरख एक क्षुद्र वृक्ष है। इसके पत्र एक कमरपेटा (हिं. पु०)१ व्यायामविशेष, एक कसरत। अङ्गाल प्रशस्त, दो अङ्गल दीर्घ तथा ईषत् तीक्ष्णाग्र इसे माल खम्भपर लगाते हैं। यह कमरमें बेंत रहते और सुषिरमें लगते हैं। चायौमें यह १२० लपेट और खाली हाथ-दो प्रकार किया जाता है। फोटसे अधिक नहीं चलता। भारतमें कमरखको 'कमरलपेटेको उम्हटौं' भो एक कसरत है। २ मख- कृषि बहुत होती है। फच्च उसीजनेसे अति खाटु युहका एक हस्तलाधव, कुशतीका एक पेंच। एक लगते हैं। यह सत्तरमें लाहोरतक मिलता है। पहलवान् नीचे पानेसे दूसरा अपनी दाहनो टांग कच्चे फलों का रस रंगने में खटायोकी तरह छोड़ा नौवालेको कमरमें डाल - अपने बायें पैरकी जांध जाता और सम्भवतः काटका काम देखाता है। इसका और पिंडलोके बीच लाता तथा वायें हाथ का पक्षा पत्र, मूल और फल शीतल औषधको भांति व्यवहत उसके बांये हाथके घुटनेपर भोतरसे दबाता है। होता है। सूखा फन्न चरमें खिला सकते हैं। फिर दाइने हाथसे उसका दाहना बाजू खौंच हप्ता कमरख दो प्रकारका होता है-मोठा और खट्टा। चढ़ाता और उसको पासमान देखाता है। मोठा कमरख ज्वरके लिये उपयोगी है। किन्तु कच्चा | कमरबन्द (फा० पु.). १ मेखला, इलका, घेरा। खानेसे ज्वर प्राता और वक्षस्थल दुःख पाता है। २ कटिको चारो पोर लपेटा हुवा वस्त्र, समरको पक्का फल चटनी और तरकारीमें भी पड़ता है। चारो पोर कसा जानेवाला कपड़ा। (वि.) ३ बद्ध- कमरख वर्षाम फूलता और शीतकालको पकता कटि, तैयार, कमर बांधे हुवा । है। फल प्रायः ३ इन्च लम्बा होता है। ग्रामीण | कमरबन्दी (फा० स्त्री०) १ युद्धसज्जा, लड़ायोकी दूरी कच्चा भी खाते हैं। इसका शस्य मृदु, सरस और पोशाक। २ युधके अर्थ सज्जोकरण, जङ्गको तैयारी । बालहादन है। इसको उसीज और थोड़ी दारचौनी सरबन्ध (फा० पु.) मल्लयुद्धका एक इस्तलाघव, डाल शर्बत बनाते हैं। यह शबत पौने में बहुत अच्छा कुश्तीका कोई पेंच। यह वक्षःस्थल और नाके लगता है। कमरखका गुलकन्द भी उम्दा होता है। बल होता है। इसका काठ हलका, लाल, कड़ा और दानेदार कमरबला (हिं० पु०) काष्ठखण्डविशेष, एक लकड़ी। रहता है। सुन्दरवनमें इसे मकान् और साज सामान् यह खपड़ेके पटलमें दीर्घ स्थ गाकि नोचे तड़कपर बनाने में व्यवहार करते हैं। चढ़ता है। कमरखी (हि. वि. ) १ कमरङ्गाकार, कमरख-जैसा, कमरबस्ता (फा० वि०) १ सख्न, उद्यत, तैयार, फोकदार । (स्त्री० ) २ कर्मरताकार रचना, पांकदार कमर कसे हुवा। (पु.) २ कमरवला, खपडैलमें लगनेवाली एक लकड़ी। कमरचण्हो (हिं. स्त्रगे) खड्ग, तलवार । कामरा (पो० पु०-Camera) १ कोष्ठ, 'पागार, 'कमस्टा (हिं० वि०) १ वकपष्ठ, खुमोदापुश्त, कोठरी, फोठा । २ आलोकलेख्य-यन्त्रविशेष, अकससे कुबड़ा। २ नपुंसक, नामद, कमरका ढोला । तस्वीर उतारनेके फनका एक प्रौजार। यह सम्पर कमरतेगा (हिं. पु.) मझयुहका एक इस्तलाधव, सदृश बनता और मुखपर प्रतिविम्ब लेनेका गोलाकार कुश्तीका कोई पेंच। स्फटिक लगता है। इसको प्रयोजन पडनेसे घरा. काटाव।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३९
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