३९. . कान्दाहारी वेगम, कान्हमो हाथ है। कान्दाहारने रेशम और जनके कपड़े कान्दिशीक (सं० पु.) 'कां दिशं यामि' इत्येवं बहुस बनते हैं। लाखको खेती भी अधिक होती है। वादिनो .. ठक प्रत्य येन. पृषोदरादित्वात् सिई। मैवाकी कोई कमी नहीं। शुष्क फल यहांका प्रधान यदवा कदि वैलव्ये भावे इन्, कन्दि वैलव्यं ; शौक खाद्य है। सेचने भावे धन, थोकः पश्रुपात: ; कन्दिय शोकय कान्दाहारी वेगम-बादशाह शाहजहानको प्रथमा तौ विद्यते अस्य कदिशीक प्रण। भय देखकर पला- महिषो। वह पारस्यराज इस्माइल शाह (म) के उनकारी, डासे भगनेवाला। वंशोद्भव सुलतान मिर्जाशफीको कन्या चौं। सम्राट् | कान्दू ( काण्डु ) बङ्गाल पौर विहार प्रान्तवासी एक पकवरने पारस्यरान शाह पब्बासको कान्दाहारका जाति कहीं कहीं उसे भड़मूना, भुरजी आदि. · शासनमार सौंपा था। किन्तु उन्होंने वह कार्य भी कहते हैं। शस्यकण्डन ही इस जातिको प्रधान सुलतान हुसेन मिर्जाके हस्त अर्पण किया। हुसेन उपजीविका यो। मिर्जाके मरने पर उनके पुत्र मुजफ्फर हुसेनको कान्यकुम ( सं० ली.) कन्याः कुनाः यन, कन्यकुन कान्दाहारका शासनभार मिला था। वह १५८२० स्वार्थ अण्। १ देशविशेष, एकमुल्क। हिन्दी में इसे को तीन भ्राता साथ ले प्रश्वरको सभामें पहुंचे। कनौज कहते है। संस्कृत पर्याय-महोदय, कन्याकुन अकबरने उनको सम्बर्धना कर पांच हजारीका पद गाधिपुर, कौश और कुथस्थल है। रामायणमें चिखा और सम्भल नामक स्थान जागीर दी थी। कान्दा- है कि राजर्षि कुमनामके औरस और कृताची अप्सराके 'हारी वेगम उनकी भगिनी थौं। १६१० ई. को इन गर्भसे १०० कन्याओंने जन्म लिया था। उनका रूप. सुन्दरी रमणोके साथ युवराज खुरम (शाहजहान्) यौवन देख वायुदेव कामातुर हुये। किन्तु विना का विवाह हुमा । - भागरके कंधारीबाग़ नामक पिताको प्राजाके कन्याने उनसे सहवास करना खोकार उद्याममें कान्दाहारी बेगमको समाधि दिया गया। न किया। इसपर वायुदेवने उन्हें माप दे कुबड़ी उनका समाधिमन्दिर अति सुन्दर है। पानकल बना दिया। पिताने प्रसन्न हो अपनी कन्यायका वह भरतपुररानके अधिकारमें है। विवाह कम्पिक्ष नगरकै राना ब्रह्मदत्तसे किया था। कांदि-बङ्गाल प्रान्तके मुर्शिदाबाद जिलेका उपविभाग। उनके स्म से कन्यव को कुलता मिट गई। २ ब्राह्मण कनौजिया देखो। उसका परिमाणफल ३८८ वर्ग मील है। उसमें कांदि, जातिविशेष । भरतपुर पौर खड़गांव तीन थाने लगते हैं। वीरभूमसे कान्यकुक्षी । (सं० स्त्री.) कान्यकुन-डीए। कान्यकुन मयूराशी नदी जाकर जहां मुर्शिदाबाद जिलेमें घुसी है देशको स्वी। वहीं कांदि नगरी बसी हैं। पायकपाड़ेके राजाओंका कान्यना (सं० स्त्री० ) कात् जलात् अन्यम्मिन् जायते वहां आदिवास है। उक्त राजवंशके आदिपुरुष गङ्गा क-पन्य-जन्-ड-टा। नतीनामक गबद्रव्य, एक गोविन्द सिंहने कान्दिमें हो जन्म लिया था। उन्होंने २० लाख रुपये लगा अपनी माताका बाह किया। कान्ह (हि.पु.) बोलण। कामहा देखी। और अभ्यागतोंको ब्राह्मण वाहकों को डाक बैठा हाथों कान्हड़ा- हाथ जगनाथसे ताज़ा प्रसाद मंगा खिला दिया। कानडी (हि) कांटो देखो। कान्दिगभूत (सं०नि०) कां दिशं गच्छामि, इत्या- कान्हम (हि० पु. ) छष्णवण भूमि, काली मिट्टी की जमीन । यह भड़ोंचको पोर होती है। इसमें कुखीभूतः, कान्दिश-भूता। १ पलायित, दूदे राजन पानवाया, भगोड़ा। २ भोत, डरा हुवा । काममी (हि.सी.) कर्पामविशेष, एक कपास। "सबपरित भयानमात् विमुक्ती नामवस्तदा । बान्दिग्भूतो नौविताओं प्रद्रावोगरा दिगम्।" (भारत, शान्ति, १०)}, यह भड़ोंचकी ओर . काहम भूमिमें उपवती है। खुशबूदार चीन । कपास बहुत उपजती पौर पनपती है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३८९
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