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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३८८

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अधीन हुआ। । कान्दाहार. : ३८

. उसी समय अफगानस्थानमांध पङ्गलेण्डका अयुव खान् हिरातमें भाग कर रहे थे। वहां वह

मनोमालिन्य बढ़ने के कारण १८७८०को केटासे सर जमोदी जातिके अधिपति स्त्रीय खसुरको मार स्वयं डोनाल्ड टुयाने एकदल सैन्य ले अफगानस्थान अधिनेता बने पौर अमीरके विरुद्ध अग्रसर हुये। राज्यमें प्रवेश किया। सैफ-उद-दीन नामक सेनापतिने उन्होंने पाड़ा कुरन नामक स्थानमें प्रमोरके सैन्यको तखतौकुछ नामक स्थानमें उन्हें रोका था। किन्तु हरा कर कान्दाहार दखल किया था। फिर प्रमौरने व हार गये। १८७९.ई. की कान्दाहार गरनोंके वयं सैन्य के साथ भागे बढ़ धीरे धीरे अयूवको रसद पौर तोप छीन ली। अयूब फिर हिरातको भागे। किन्तु शेर पलोके मरने पीछे याकूब खान्ने गण्डमक सरदार अबदुल कुडूस खानने उसी बीच हिरात नामक स्थानमें अंगरेजीसे सन्धि को थो। उससे अधिकार कर लिया था। इस लिये.अयूबको पारस्य- युद्धादि बंद हो गया। सन्धिके पनुसार कान्दाहार रानके शरणागत हो वास करना पड़ा। छोड़ पिशिममें जाने के लिये अंगरनीको पदिय मिला। इसके बाद प्रमोरने गुलाम हैदर खान्के अधीन उसी बीचमें सर लुई कैभागनारी कावुलके दरवारमें ७... शिक्षित सैन्य भेन कान्दाहारको रक्षा की। सदल मिहत हुये। सुतरा बगरेजीने फिर कान्दा. १८८२ ई०को सरदार नर मुहम्मद खान शासन हार अधिकार किया और कान्दाहारकी रचाके लिये कार्यमें नियुक्त हुये। खिसात-ए-घिसजाई नामक स्थान भी ले लिया। कान्दाहार नगर देखनेमें पायताकार और साढ़े •१८८०१०कोबम्बईसे मेजर जनरल प्रिमरोजके पहुंचने सौन मौस विस्तृत है। उसके चारो भोर. उपरोध पर सर टुयाट ससैन्य तौटे थे। सरदार शेर पली पौर गड़े हैं। मण्ड (गढ़ा) २४ फोट गभीर है। खान् अंगरेजों के अधीन कान्दाहारके 'वाखौं नियुक्त उपरोध और गतके पीछे रौद्रदग्ध मृण्मय. प्राचीर है। हुये। सरदार मुहम्मद अयूब खानने उससे बिगह उसमें इष्टक वा प्रस्तर नहीं लगा। उसे रौद्र में सुखा युधधोषणा की थी। अंगरेज सेनानी वागने पथमें बाधा पत्थरको तरह कड़ा बना दिया है। वह पश्चिम डाली। किन्तु उनका सैन्यदर एकबारगी ही मारा टिक, १८६७ गज, पूर्वमें १५१० गम, दक्षिणमें १३४५ गया। अयूब खान् कान्दाहारका पथ मुक्का पापग्रसर गज और उत्तरमें ११५४ गन खम्बा है। नगर में हुये। उसी बीच प्रवदुर रहमान खान गरेज फाटक हैं। पूर्वको बारदुरानो तथा काबुस हार गवर्णमेण्टके साथ प्रबन्ध कर पमीर बन बैठे दधिषको धिकारपुर द्वार पचिमको हेरात एवं उसमे पहले सर राबर्टस कान्दाहारके सहारकी नूतन तोपखामा हार और असरको ईदगाह द्वार है। कहो सैन्य से पागे बड़े थे। हारीसे नगरको बड़ी राहें गयो । मध्यस्यसमें सर राबर्टसके पहुंचने पर बाबावाची काटाल और शिकारपुर हार और बाबुत हारको राह महा मिलो गण्डी-मूला-साहबदाद नामक स्थान परबके साथ है, वहां चारसु मसजिद खड़ी है। उसके गुम्बनका भीषण युद्ध हुपा। युद्धमें अयूबका सर्वख गया था। व्यास ५. गन है। राई ४० गज चौड़ी है। शहरके उनका सैन्य, थिविर, तोप, बन्दूक, बारूद, सब सामान् उत्तर किया है। उसीके निकट तोपखानेका मैदान दुधमनके हाथ लगा। अवशेषमे १८८१ ई० को है। मैदानके पश्चिम अहमदशाह दुरागीको कवर पपरेत मास कान्दाहार प्रदेश में शान्ति स्थापन कर है। वह पति उच्च प्रहासिका है। नगरके प्रत्येक सर.रावर्ट केटा लौट पाये। फिर पमोर पबद हार और प्रत्येक मार्गमे उसका गुम्बन देख पड़ता उर-रामानने मुहम्मद शाम खान नामक किसी है। उसकी चारो पोर अहमदयाके वंशधरोकी षोड़शवर्षीय बालकको सरदार समस-उद-दोन सान्के दूसरी भो छोटी शेटौ ११ कबरे है। पधीन कान्दाहारका.भासनकर्ता नियुश किया। कान्दाहारका : वाणिज्य विवाद ईरानियांक Vol. IV, 98