पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४०५

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काफी-कावर प्रियतम पानीय है। सविराम ज्वरमें कुनैनकी भांति अली था। इन्होंने 'वहार खुल्द नामक अन्य दिया। कच्ची काफी खिलाते हैं। किन्तु इससे उतना फच | काफूर (अ० पु०) कपर, कपूर। कर्पर देखो । नहीं होता। भुनी काफोर गलित जीवशरीर वा काफू र मलिक-दिनोवाले बादशाह प्रथा उद-दोन वृक्षादिका दुर्गन्ध दूर हो जाता और दूषित वायु की खिलजीके एक प्रिय कञ्चुकी। इन्हें बादशाहने अपना संक्रामकताका दोष नहीं पाता है। मन्द्राज और वज़ीर बनाया था। बादशाह के मरने पर इन्होने एक गजामके अस्पतालमें प्रत्यह काफीकी बुकनी जला व्यक्ति ग्वालियर, उनके पुत्र खिजिर खान और यादी वायुका दूषित अंथ नए करते हैं। परबांके कथना खानकी आंखें निकालने मेना था। दारुप रूपमे नुसार काफीम कामिच्छानिवारक गुण है। घरके यह कम सम्पन्न किया गया। फिर काफूर मनिकने अांगन या खुले मैदान में काफी जलाने से हवा साफ बादशाहक कनिष्ठ पुत्र शहाबुद-दोन्को सिंहासन पर होती है। उक्त मत अनेक विज्ञ चिकित्सकों का बैठाया और स्वयं राज्यका कार्य चलाया था। किन्तु अनुमोदित है। इससे अफीमका विष भी नष्ट १३१७ ई के जनवरी मास सम्राटके मरने पर इनका होता है। वध हुवा। अलाउद-दोन्के तौसरे लड़के पीछे चावरियाकी. काफी ( Liberian Coffee ) अफ सिंहासन पर बैठ गये। रोकाके. पश्चिम उपकूल पर लाइवेरिया, पङ्गोला, काफूरी (अ० वि.) १ कपुरजात, कपूरसे बना गोलको, प्रलटो प्रभृति स्थानोंमें उत्पन्न होती है। हुवा। २ कर्पूरवर्ण विशिष्ट, कपूरका रफ रखने- इसका वृक्ष अरबीके काफी वक्षसे दृढ़ और फन्न तथा वाला। (पु.) ३ वर्णविशेष, कपूरी रहा। इसमें पत्र दोघं रहता है। जिस समय काफी वृक्षका हरित् आभा रहती है ( कपूरके दीपकको 'काफी सिंहलमें अनुसन्धान हुआ, उस समय इस श्रेणीको समा' कहते हैं। काफीका वृत्तान्त युरोपीयोंने प्रथम जाना । काब .(अ. स्त्री०) पान विशेष, चौना मट्टीको बड़ी श्रेणीको काफीमें शायद पधिक कोड़ा नहीं लगता। लिखकर काफीको खेतीका उपाय बताना कठिन कार-पारस्य उपसागरके किनारे रहनेवाली एक है। कारण प्रपनी पांखों इसकी खेती या वाग न अरव जाति । उत्तरमें मास्तरसे रामहरमुज और देखने कैसे समझ सकते हैं। अरबी काफीके वध | पूर्वमें वेवेहनसे हिन्दियन तक यह जाति बसती है। नानारूप पीड़ा उठ खड़ी होती है। पावहवा और इसकी राजधानी मुहमेरा है। काव लोगोंको वास- खेती वारोंके दोषसे ही अधिकांश पीड़ा उपजती है। भूमिके मध्य बहु शाखाविशिष्ट ताव नदी बहती है। खेतोके दोष, कंकड़से पौदा टूट जाता है। पत्तोम | अरबी भौगोलिक इस नदीको दोरक कहते हैं। पोली धन निकल जाती है। फिर पत्ती काची पड़ ई० के १ शताद काबोंने कई अंगरेजी न हाज और सिकुड़ जाती है। काफीम कोड़ा और मक्खी पाक्रमण किये थे। उसी सूवमें इनसे युद्ध चन लगनेका डर रहता है। इसको छोड़ टिड्डी, पड़ा। फिर अन्नोरना पायाने मुइमेरा नगर चूहा, गितहरी, गीदड़ वगैरह भी इसे बहुत बिगा अधिकार किया। १८५७ ई से पारस्य युद्धके बाद ड़ते है । शृगालोंके अत्याचारसे जो फल गिर जाते व उता नगर भारत गवरनमेण्टके अधीन हुवा। संग्रह किये जानेपर "शृगाल काफी" (गीदड़ काफी) काबर ( सं० पु. ) कुत्सिती बन्धः को कादेशः कहाते हैं। पृषोदरादिलात् सिहम् । कुत्सित बन्ध, बुरा फन्दा। काफी-१ मिर्जा अला उद-दौलाका उपनाम । बादशाह | काबर (हि. वि. ).१ कवर, कबरा। (पु.) भूमि- अकवरके समय इनको समृद्धि रही। २ मुरादाबादके विशेष, दोमट, रेत मिली हुई जमीन् । ३ पविविधक, एक मुसलमान कवि । इनका यथोचित नाम किफायत इस रकावी। । - - एक जङ्गली मैना। -