पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४०६

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8.9 काबला- -काबिल खान् काबला (हिं. पु. ) नौरज्जु, जहान का रस्मा या पति प्राचीन कालसे काबा परमोंका तीर्थ स्थान जच्चीर। यह शब्द अंगरजीके केबिल' (Cable )का गिना जाता है। कथनानुसार पादमके समय एक पपश्चंश है। देवरी कसे जानेवाले बड़े पेच या प्रस्तरमूर्ति खर्गसे गिरी थो। क्रमशः इसमें ३६. बालटूको भी 'कावचा कहते हैं। मूर्ति प्रतिष्ठित हुयीं। मुहम्मद के धर्मप्रचारसे इसका काबा-१ एक जाति। इस जातिके लोग भारतके गौरव कितना ही विगड़ गया। भारतमें खलीफा पश्चिम गुजरातके उत्तरकच्छ उयसागरक उपकूल पर अमरके वंथोय करनाटकके नवाबोंने इस काबेमें महाराष्ट्र राज्य में रहते थे। पाज कल इनको वात चढ़नेके लिये एक स्वर्णसोपान प्रदान किया था। अधिक मुन महीं पड़ती। १५२०ई०को काबेका गौरव फिर प्रतिष्ठित हुवा। २ मुसलमानाका एक परिच्छद। यह चपकनको काबाइज-एक जाति। पारस्य के पूर्व और पश्चिम भांति रहता, केवल वक्षस्थल पर अधांश कटता है। कुर्द लोग रहते हैं। कबाइज उन्हीं के अन्तर्गत हैं। इसके भीतर सूतका कपड़ा पहनते है। उस कपड़े पर | वावाबशर्करा (सं• स्त्री०) कबाब चीनो। वक्षस्थलमै जरीका या कोई दूसरा काम रहता है। कावासखेल-एक जाति। काश्मोर प्रान्तमें बनके काके कटे अंशसे वह देख पड़ता है। कावेका व्यवहार निकट वनौरी लोग रहते हैं। बड़े मनाइयों और पहले बहुत था, किन्तु अब घट गया है। वजीरियों में कावाल खेल होते हैं। इनको तीन ३ समचतुष्कोण पावति, बरावर चौकोर भक्त । श्रेणी हैं,-मियामी, सेफाली पौर पिपाती। इनमें ४ मुसलमानों का एक पवित्र सह। यह परब हज़ारों बलवान् योहा पाय नात हैं। १८५० पौर देशके मका नगर प्रायः चतुष्कोण एक भवन है १८५४ई को इन्होंने भारतके प्रान्तभागमें अंगरेजोंका इसे मुसलमान एक पवित्र तीर्थ मानते हैं। यह अधिकार रहते भी २० बार लूट मार को थो। पंग- उत्तर पथिमसे दक्षिण पूर्व तक २४ हाथ लम्बा, रेजोने इन्हें कई बार मारा और घेरा है। २३ हाथ चौड़ा और २७ हाथ ऊंचा है। पूर्व दिक्को | काबिज़ (१० वि०) अधिकारप्राप्त, कबजा रखने वाला। .इसका हार है। हारके निकट रौप्यासन पर कृष्ण- काविल (अ० वि०)१ योग्य, लायक । २ विहान, वर्णका एक प्रस्तर रखा है। यात्री मका पहुंचते ही समझदार। 'हस्तमुख प्रक्षालन वा सानादि कर मसजिदमें जाते हैं। काबिल खान ( कबलाई कपान ) एक विख्यात पहले कपणवर्णका प्रस्तर चमपीछे कावाको चारो भोर मुगल सम्बाट । यह चवोज खान के प्रपौत्र और तातार प्रदक्षिण लगाना पड़ता है। काबाको दक्षिण रख राज मतके चाता थे। १२५०ई० को इभाळसल तीन बार जल्द जलद और चार बार धीरे धीर प्राप्त हुवा। यहो चीन राज्य में पुईन बंधक प्रतिष्ठाता प्रदक्षिण कर काबाको वाम ओर रखते परिश्रमण थे। १२६०ई०को यह असंख्य दल बच साथ ले शेष करते है। कावाके निकट एक प्रस्तर पर चीन राज्यमें से। फिर इन्होंने तातारोको हरा इब्राहीमका पदचिन्ह है। प्रदक्षिणके पोछ यात्री सौ उत्तर चीनपर अधिकार किया था। १२७५ई को प्रस्तरके निकट ना मन्त्र पढ़ते हैं। उसके पीछे कृष्ण इन्होंने सन वंश निम ल कर दक्षिण चीन जीता था। प्रस्तरको फिर चूम चले पाते हैं। अरबी परिवारवर्गके इसी समय यह उत्तरमें उत्तर महासागरसे दक्षिण में मध्य पुनसन्तानको सत्पन्न होनेके ४० दिन पीछे काबेमें मलका प्रणाली और पूर्वमें कोरियासे पश्चिममें एशिया ले जानेकी प्रथा है। यहां लाकर उस पर मन्त्रादि पढ़े माइनर पर्यन्त समुदय भूखण्डके एकाधिपति थे । दूसरे जाते हैं। उसके पीछे लड़केको धर जाने पर नापित मुगल सम्घाटीको भांति यह अत्याचारोऔर प्रजापोड़क .पाकर गण्डदेशमें छुरेसे चक्षुके कोणसे मुखके कोप 'न थे। सुशासनके गुणसे चीनवासी मात्र इनको प्रशंसा •पर्यन्त समान्तरासमें तीन दाग बना देता है। करते थे। १२८४०को इन्होंने दासोक छोड़ दिया।