पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४२५

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. तथा ४२६ कामदेव-कामधेनु तिने नियम, तुष्टिने सन्तोष, पुष्टिने लोम, मेघाने ११ कोई प्राचीन ज्योतिर्वित्। श्रुत, क्रियाने दण्ड, नय एवं विनय, वपुने व्यवसाय, १२ "कर्मप्रदीपिका “पारस्करपति' "पारस्कर- शान्तिने अम, सिधिने सुख और कीर्तिने यशः नामक राज्यपरिशिष्टपति प्रसुति ग्रंथ बनानेवाले। इनके पुत्र प्रसव किया यह सभी धर्मके पुत्र कहलाते हैं। पिताका नाम गोपान था। भागवतके सतसे कामदेव ब्रह्माके पुत्र हैं, कामदेव कविवल्लभ-चण्डीके एक प्राचीन टोकाकार। "इदि कामो बुवोः क्रोधो लोमयाधीरधच्छदावा" कामदेवकृत (सं० क्लो० ) तविशेष, एक धी। अब ब्रह्माके हृदयसे काम, 5 हयसे क्रोध और अध गन्धा १०० पल, गोक्षुर ५० पल और शतावरी, भूमि. रोष्ठसे लोभको उत्पत्ति हुयी है। कुष्माण्ड, शालपर्णी, बला, गुलेचीन, अखत्यको या, . भागवतके हो अन्य स्थल में फिर कामदेवको सङ्क पद्मवीज, पुनर्नवा, गाम्भारोफल तथा माषवीज प्रत्येक ल्पका पुत्र कहा है,- दश दश पल २५६ थरावक जसमें पका कर “सरमायास्तु सदस्पः कामः सहस्पनः पतः।" (भागवत ६६१) ६४ शरावक जन शेष रहनेसे उतार कर जान ब्रह्माकी कन्या सवाल्याके पुत्र सकल्प है। मुहल्पसे लेना चाहिये। फिर पुडकेचुरस १६ शरावक, ही कामकी उत्पत्ति हुयी है। दुग्ध १६ भरावक, और जीवक, ऋषभक, मैदा, यजुर्वेद में भी कामका उल्लेख मिलता है। उसमें महामेदा, काकाली, चोरकाकोली, जीवन्ती, महक, कामको ही दाता और गृहीता माना है, ऋद्धि, वृद्धि, ट्राचा, पद्मकाष्ठ, कुष्ठ, पिप्पली "कौदात् कस्मा प्रदान कामीदात् कामायादात् । रतचन्दन, बाचक, नागकेशर, एकशिम्बौवीज, कामो दाता कामः प्रतिग्रहीता कामतते ।" (गल यजुः ॥४८) नीलोत्पल, श्यामा यह प्रश्न होने पर कि-किसने दान किया श्रीर अनन्तमूलका करक दो-दो तोला एवं शर्करा २ पल उल क्वाथमें डासं किसको दान दिया है, उत्तर होगा कि कामने दान यह त यथारीति पकाते और बनाते हैं। इसको किया और कामको ही दान दिया है। क्योंकि काल ही व्यवहार करनेसे रत्तपित्त, क्षत, कामखा, वातरता, दाता पौर काम ही प्रसिग्रहोता है। प्रतएव हे काम। हलीमक, पाण्डु, विषर्णता, खरीद, मूवच्छ, यह द्रव्य तुम्हारा ही है। वक्षीदाह और पाचशूल पादि रोग निवारित २ गोपकपुरीके एक राजा कदम्बराज। इनकी होते हैं (चक्रदच) महिषीका नाम केतसादेवी था यह विख्यातं वीर कामदेव मीमांसक (दीक्षित )-'प्रायश्चिचपडसिके थे। इन्होंने वार्ड के बल मलय, कोकण और महाद्रि प्रणेता। जीता या। शिलालेखके अनुसार कामदेवने ११८१ ई० से १२०४ ई. तक राजत्व किया। इस कामदोही (सं० वि० ) कामं दोन्धि, काम-दुइ-णिनि । अभीष्टप्रद, सुराद पूरी करनेवाला। नारायणके पुत्र। महमारायण देखो। ४ परमेश्वर । कामधर (सं.पु.).काम इति संज्ञां धरति धारयति ५ महादेव । ६ कोई कवि। ७ कोई राजा। पुरानी दा, काम-ध-अच्। कामरूपदेशीय मत्स्वध्वन नामक राजधानी जयन्तीपुरमें थी। या "राघवपालवीय पर्वतस्थित सरोवर विशेष, एक तालाब। यह सरोवर प्रणेता कविराज नामक कविके प्रतिपालक थे। एक तीर्थ माना गया है। इसमें खान और जलपान ८ प्रायश्चित्त-परति नामक स्मृतिग्रन्यके प्रणेता। करने पर समुदाय पापसे छूट मुक्ति पाते और शिवलोक - "सत्कत्यमुलावतो प्रणेता रघुनाथके प्रति. माते हैं। (कालिकापुराण), पासका १० "चतुर्वगचिन्तामणि" प्रणेता हेमाट्रिके पिता । कामधरण ( सं• को० ) पभिसाषप्राप्ति, मुरादया हसूप। इनके पिताका नाम वासुदेव पौर पितामहका माम वामन था। कामधेनु ( संस्त्री. ) कामप्रतिपादिका धेनु,