पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४५४

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. । - कामरूप ४५५ विद्रोह होने की सूचना मिली थी। इसीसे वह | फिर दूसरे वर्ष मंजूर खान नामके एक नवाच युह करने गये थे। गौहाटीके निकट शुक्रखरके इट. राना जयध्वजसे सन्धि कर लौट गये। मजम खान अधिकृत प्रदेशमें शासनकर्ता रहे। उनके पीछे मसीद खोलेमें भयानक.युद्द हुवा। उस युद्दमें परास्त खान् भोर सैयदफीरीज खान् उक्त प्रदेशके शासगकर्ता मुसलमान रांगामाटो, हाजो, गोहाटी और शामरुपको कामरूप हुये। अहोमराज चक्रध्वज सिंहके निकट राजख सीमा तक छोड़ कर भागने पर वाध्य हुये। वसूस्त करने के लिये उनका दूत गया था। उन्होंने उसे . सम्पूर्ण रूपसे अहोमराजके अधिकारमें पड़. गया । बङ्गालम अपमान कर निकाल दिया.और गौहाटौ पर्यन्त स्थान फिर दिल्लीके बादशाह होनप्रभ हुये। अधिकार किया। दिल्लीश्वरने क्रुद्ध हो १६६८ अंगरेजों, ओलन्दालों, फरामोसियों, पोत्गीजों प्रभृति इसौसे ई. के समय राजा रामसिंहको भेजा था। रामसिंहने सुदूर युरोपवासियोंका उपटूव बढ़ा था। नागौहाटी पर अधिकार किया। फिर वह उत्तरके नवाबों को भी कामरूपकी बात सोचनेका समय वा अभिमुख अग्रसर हुये। उस समय कामरूपके अवकाश न मिला। घहोमराज..निरुपद्रव कामरूप सीमान्तस्थानमें बड़फूकन उपाधिधारी कोई शासन. भोगने लगे। भोला बड़फूकनके सन्धिपत्र में कामरूप कर्ता रहते थे। १६२७ ईको स्वर्गनारायणने उस सजाका नाम लिखा था। उस सन्धिपत्रको अहोम- पदकी सृष्टि की थी। वह सीमान्तस्थानमें रह अहोम राजने अग्राह्य किया। इसीसे कामरूप राजाका राज्यका विदेशीय पाक्रमण रोकते थे। राजा चक्र नाम लोप हो गया और वह आसामका अन्तर्गत ध्वनके समय साछित बड़फकन रहे। वह उस मोमाई. . प्रदेश बना। तामूली फूकनके पुत्र थे। लाछित बड़ फूकनने राजा प्रासाम देशके राजका बहोम नाम है। रामसिंहको गति वचनसे कहला भेजा कि १९६२ अनेकोंके अनुमानमें वह शान वंशके लोग हैं। ई०को मीरजुमला रणमें हार पहोमरामसे सन्धि कर आसामको पूर्ववर्ती पर्वतमाला अतिक्रम कर ई. गये थे। उस समय अहोमराज न तो दिल्ली. त्रयोदश शताब्दके प्रारम्भमें ब्रह्म और श्यामदेशसे सम्राट्के अधीनस्थ रहे और न उन्हें राजस्व देनेको सौमारपीठ राजत्व करने पहुंचे थे। फिर पासामका प्रस्तुत थे। लाछित बड़फूकनका, सदप वाक्य राना स्थापित हुवा। दूसरा समकक्ष न माना जानेसे सुन मुसलमानोंका सैन्य युद्धको अग्रसर हुवा । उक्त राजाका नाम 'पसम' पड़ा था। कालक्रमसे स के

१६६८ ई० को औरंगजेबकी सेनाकै साथ कामरूपके स्थानमें लग जानेसे लोग अहम वा अहोम कहने

शासनकर्ता लाछित वड़फकनका घोरतर संग्राम लगे। अब उसका: -परिणत नाम त्रासात साराघाट नामक स्थानमें पड़ा। उस् . संग्राममें पूर्वकान - पहोम लोग हिन्दू न थे। वह चोमदेव मुसलमानसैन्य पराभूत हो भागा। अहोम सन्चने नामक देवताको पूजते रहे। राजत्व स्थापनके कुछ मानहा नदी तक उसका पीछा किया। उसी समयसे काल : पौछे उन्होंने हिन्दूधर्म ग्रहण किया और मानहा नदी अहोमराज्यको पश्चिम, सीमा मानी अपनेको वर्गके राजा इन्ट्रका वंशोद्भव बता दिया। गयी। अहोमराजने नदीतौर पर हाथोरात नामक पहले ही लिख चुके हैं कि योगिनीतन्त्र में वह: इन्ट्र- स्थानमें एकदल सैन्ध रखा था।१६०१ शकमें वंशोतव "सौमारनामसे अभिहित हैं। अर्थात् १६७८ ई० को दिल्लीसे फिर सैन्य गया। -११५१ शकाव्द (१२२६ ई०)को चुकाफा नामक समय ग्रहोम-शासनकर्ता भीतस्वभाव शोला बड़फूकन कोई प्रतापशाली व्यक्ति ससैन्य पूर्वदिक्से अग्रसर थे। उन्होंने कलियावर पर्यन्त देश सुसस्तमानोंको हुये थे। फिर उन्होंने प्रादिम निवासी छुटियावा दे सन्धि को। उसके पछि १६०८ शकको सन्दिको और बराहियों को जोत आसामके पूर्वभाग़में राजा बड़फूकनने निरुपद्रव गौहाटीका उहार किया। स्थापन किया। पीछे उनके बारह पुत्र क्रमसे राजा वह उस