पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४६३

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लिखा,- कामरूप सिंहने टिश गवरनमेण्टको एक पत्र ब्रह्मवाले अंगरेजोंका आगमन सुनते ही नगर छोड़ "मालम पड़ता है कि ब्रह्मराज शीघ्र ही इस प्रञ्चल भाग गये। फिर ब्रिगेडियर मेकमरिन, कप्तान पर आक्रमण करनेवाले हैं। अतएव इम कछारराज्य हरसवरा, लेफटिनेण्ट रिचार्डसन, करनन्त रिचार्डस अंगरेनों को सौंपना चाहते हैं। हटिश गवरनमेण्ट । प्रभृतिसे कलियावर, नौगांव, रहा, मरामुख आदि उक्त प्रस्ताव पर सम्मत हो गयी। मारजिसिंह पहले स्थानोंपर कई बार युद्धमें ब्रह्मायेना परास्त हुयी। युहमें ही ब्रह्मके साहाय्यसे मणिपुर अधिकार कर वहां ब्रह्मक ब्रिगेडियरके मरनेसे करनाल रिचार्डस प्रधान सेनापति करद राजा बन बैठे थे। बने थे। पन्तमें १८२४ ई के मई मास आसाम वृटिश गवरनमेण्टको कछार राज्य हाथमे लेने पर । प्रदेशमें अंगरेनों का अधिकार हो गया। उसके पीछे संवाद मिला कि ब्रह्मवाले प्रासामसे कछार आक्र., जोड़हाट, जयन्ती, कछार, गौरीसागर प्रमृति स्थानों में मणके उद्योगमें थे। मिष्टर स्कटने ब्रह्मसेनापतिको शान्तिक रक्षार्थ क्षुद्र क्षुद्र युद्ध हुये। ब्रह्मके अधीनस्थ एक पत्र लिखा,-"कछारके साथ बुटिश गवरनमेण्ट श्यामफकन और वगली फकनने ७०० सेनाके साथ- का सम्वन्ध है। आप इस प्रदेश पर आक्रमण न पामसमर्पण किया था। योगेश्वरसिंह योगीघोपामें कौनिये।" १८२५ ई०को परलोक गये। उनके वंशीय हटिश प्रासाम और कछारके मध्य क्षुद्र जयन्ती राज्य गवरनमेण्टके वृत्तिभोगी बने । है। ब्रह्मसेनापतिने उक्त देशके राजाको भय देखा १८२६६० को २४ वौं फरवरीको यखाबू शहरमें वशीभूत करना चाहा था। किन्तु जयन्तीराजने अंगरेजी और ब्रह्मवासियोंसे एक सन्धि हुयो। उसके वश्यता न मानी। ब्रह्मसेनापति भी कछारको अंगरजी अनुसार पाराकान, मावान, तेनासरीम और पासाम सेनाके भयमे हठात् उक्त राज्यको प्राक्रमण कर न अंगरेजीको मिला था। स्कट साहब उता नवजित राज्यके कमिशनर हुये। किन्तु वह उत्तरपूर्वाचनमें उसके पीछे एक ही साथ पासाम और मणिपुर गवरनर जनरलके एजण्ट एवं कमिशनर तथा कोच- दोनों दिकसे अाक्रमण करनेके लिये जयन्ती एवं विहार, रङ्गपुर, मणिपुर एवं ककारके कमिशनर पौर कछारके प्रान्त तथा श्रीकी सीमा पर ब्रह्मसेना श्रीमहके जज थे। सुतरा एक आदमौके हाथमें यहुंची थी। अंगरंजाधिवत पाराकान ब्रह्मवालोंने उतने कार्योकी सुविधा न पड़नेसे समस्त पूर्व-भारत जीत लिया। १८२३ ई०को उन्होंने घट्टग्रामके निम्र और श्रेष्ठ खण्डमें विभक्त हुवा। खण्ड निकटवर्ती शाहपुर नामक एक क्षुद्र दीप पर इयको उत्तरसीमा भरली और दक्षिणसीमा धमशिरी अधिकार किया था। लार्ड प्रामहर्ट उस समय मदी थी। सीनियर वा श्रेष्ठ खडके मिष्टर स्कट और. गवरनर जनरल थे। उन्होंने देखा कि ब्रह्मका जूनियर वा निम्नखण्डके करनन रिचार्डस कमिशनर अधिकार बङ्गालको सीमा तक फैला था। फिर स्थिर हुये। किन्तु प्रधान कट व स्कट साहबको हो रहनेसे बङ्गालक सीमान्त प्रदेशमें मग अत्याचार मिला था। गौहाटी भासामको राजधानी यो । १८२४ ई०को ब्रह्मसे युद्ध करना ठहर गया। १८२५ ई० के भक्तोबर मास करनल रिचार्डसके गवरनर जनरलने ढाकासे ब्रिगेडियर मैकमरिनको पीछे करनस कूपर कमिशनर बने थे। श्रेष्ठ ग्वालपाड़े जाने का आदेश दिया था। विभागमें अकेले कार्य चलान सकनेसे स्कट मारवन नेण्ट डेविडसनकी त्रासाम प्रवेश करनेको भी अनुमति कप्तान एडम हाइटको सहकारीरूपमें ग्रहण किया। मिली। मिष्टर स्कटने समस्त प्रबन्धका भार पाया स्करसे पासाम प्रदेशको यथेष्ट उबति हुयो । उनके बोके १८२१ई को चोरापूचीमें वा मर गये। था। १८२४ १० को २८ वौं मार्चको ब्रिगेडियर मेकमरिनने विना युद्ध गौहाटी अधिकार कर लिया। टि, सि, रवाटसन प्रधान कमिशनर इये। सके। - करेंगे। उधर लेफटि-