पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४६४

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कामरूपं गया। 'उत्तरखण्ड में पुरन्दर सिंह राजा माने गये थे। १५६१०को कमिशनर जैनकिन्सने स्वपदसे उन्होंने वार्षिक ५००० रुकर देना भङ्गीकार पवसर लिया था। फिर उसी पद पर कप्तान किया। विश्वनाथ नामक स्थानमें एक 'पोलिटिकेत हपकिन्सन नियुक्त हुये। १८६६ ई.को गौहाटीमें एजण्ट रखे गये। १८३२३३ ई०को : कामरूप मेनकिन्स मर गये। प्रदेश दरक, कामरूप और नौगांव तीन जिलोंमें १८६२ ई०को खसिया और जयन्तौ पर्वतमें विभव हुवा। उसमें एक स्वतन्त्र कलकर पौर भयानक विद्रोह उठा था। फिर १८६४ ईमें मजिष्ट्रेटको चमताके साथ एक प्रधान सहकारी कमि- भूटानका युद्ध लगा। अंगरेज गीत गये। १५६५ sat ( Chief Assistant Commissioner ) ter ई० को सिञ्चोखा नामक स्थानमें सन्धि हुयो। उक्त राबर्टसनके पीछे १८३४१०को जनकिन्स साहब सन्धिके अनुसार भूटानके दक्षिण कई स्थान अंगरेजोंका कमिशनर हुये। उन्होंने जिले और मौन का सीमा मिले थे। गारी पौर नागावोंके कई सरदारोंने विभाग ठोक किया था। १८३५ ई० को उक्त प्रदेश अधीनता स्वीकार की। उनमें सभ्यता फैलाने के लिये चोर्ड अफ् रेपिन्य के अधीन गया। १८२६ ई. को उक्त प्रदेश दी जिन्नों में बांटा गया। १८६६ ई०को जयन्तीराजने कम्पनौसे सन्धि कर अधीनता मानी गारो पर्वतमें तुरा और नागा पर्वतमें सामाटिंग थौ । किन्तु १८३५ ई में राजाको मासिक ५०१० राजधानी हुधा। उसी वर्ष कोचविहार पौर ग्वाल- वृत्ति दे जयन्ती प्रदेश कम्पनीके अधिकारमें लाया पाड़ा सामवाले कमिशनरके हाथसे निकाल गया। १८३८ ई. को पुरन्दर सिंह नियमित कर स्वतन्त्र कर दिया। १८७१ ई. को लेफटेण्ट दे न सके थे। उसीसे उन्हें राजच्युत कर तत्प्रदेश्य गवरनर.सर जज कमवल उक्त देश देखने पहुंचे थे। शिवसागर और सक्ष्मीपुर दो निसोंमें बांटा गया। उन्होंने वहांके विचारालयों पौर विद्यालयों में भासामो चन्द्रकान्त सिंह गौहाटीमें ५०० रुवृत्ति पाते थे । भाषा व्यवहार करनेका पादेश दिया। किन्तु उस साल ही उन्होंने परलोक गमन किया। १८७८ ई०को करनेल हपकिनसनने अवसर लिया पुरन्दर सिंहको भी वत्ति दे जोड़हाटमें रखनेको था। फिर पासाम देश बङ्गालके लेफटेनण्ट गवरनरके बात उठी थी। किन्तु गर्वित पुरन्दरने वृत्ति न सौ। हाथसे निकल एक प्रधान कमिशनरको मिला। उसो स्थान पर चुकाफा-वंशक हायसे भासामका छत्र करनल किटिंग प्रथम चीफ कमिशनर हुये। चौफ दण्ड प्रयाहत हुवा और पासाम वा प्राचीन कामरूप कमिशनर बनने पर शिलङ्ग नगर राजधानी हुवा और रान्य प्रकत प्रस्तावसे अंगरेजोंके अधिकारमें गया। ग्वालपाड़ा तथा गारो पर्वत फिर आसाममें चला गया। उसके कुछ दिन पीछे १८३८ ईको एक उसके पीछे कछार और पोष्ट बङ्गप्रदेशसे खतन्त्र कमिशनरके हाथ शासन और विचारका भार रचनेसे हो चीफ कमिशनरके अधीन हुवा। कार्यमें सुम्पखवा न देख पड़ी। एसौसे एक सहकारी उसी वर्ष अमिष्टण्ट कमिशनर लेफटेनण्ट इन- नियुक्त हुवा उक्त सहकारी नियुक्त होनेसे एक काम्बन नागापर्वतकी पैमायश शुरू की थी। नौगांव में पदका नाम जुडिशल कमिशनर और दूसरेका नाम पहुंचने पर कई नागावोंने विश्वासघातकतापूर्वक डेपुटी कमिशनर रखा गया। शिविरमें घुस उन्हें मार डालाहलकम्ब प्रभृति १८६० ई० को इनकमटेक्स प्रचलित होनेसे फूल १८७ भादमियोंमें उसी दिन ८. लोग मारे गये। गुड़ीके लोग भड़क उठे थे। असिष्टण्ट कमिशनर ५१ लोग पाहत हुये थे। कुछ दिन पीछे उन लेफटनण्ट सिंगर गड़बड़ मिटाने गये, किन्तु निहत नागावाको उपयुक्त मास्ति मिली। करनल किटिंगक हुये। अन्तमें बड़े कौघलसे गड़बड़ थमने पर पोछे सर टवटं बेली और उनके पीछे मिष्टर एलियट • दोषियोको उचित शास्ति मिली।; पासामके चीफ कमिशनर हुये। सर. एलियटके Vol. IV. । 1 117