पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४७९

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काम्वे उपसागर-काम्य ऊंट, घोड़ा वगैरहके जरिये माल-असबाब भाता सूरत नगर अवस्थित है। सूरत, कास्बे वगैरह बन्दर 'नाता है। उमौके उपकूल पर हैं। फिर भी उसमें वाणिज्यका २ काम्बे राज्यका प्रधान नगर। वह मही। विषम अन्तराय उपस्थित है। प्रायः दो सौ वर्षसे नदीके सङ्गमस्थान पर पक्षा० २२° १८३०७० पौर जल क्रमशः घट रहा है। इसी कारण भाटेके समय देशा० ७२' पू. में अवस्थित है। लोकसंख्या प्रायः उसमें जल कम पड़ जाता है। फिर ज्वारके समय- ३६००० है। नगर प्रति प्राचीन है। पहले इस नगरके विषम स्रोतका वेग बढ़ता है। काम्बे के निकट प्रायः. चारो ओर प्राचौर वेष्टित था। फिर लो पर तोप ८ कोस तक भाटाके समय बिलकुल जल नहीं रहता। भी लगी रहती थी। किन्तु पान कल उसका भग्नाव उस समय पार जाते ज्वार उठनेसे जीवनको प्राथा शेष मात्र लक्षित होता है। कथानुसार जारमनायने छोड़ना पड़ती है। ज्वारके वैगसे जहाज तक टूट वहां जन्म लिया था। वह प्राचीन द्राविड़के पाण्ड्यः जाता है। जो नौका या जहाज किसी ज्वारके राजके दौत्यकार्यक्रो रोम-सम्राट् अगस्तसके निकट उठते आ लगता, वह फिर च्चार न चढ़नेसे कहां भेजे गये। वहां प्राथम नगर में उन्होंने बाग लगायो जा सकता है। थी। फिर खच्छाक्रम जारमनाक्ष्य उसमें जल काम्बोज ( स० पु. ) कम्बोजदेशे भवः, कम्बोज-अण् । मरे। प्रसिह राजा विक्रमादित्यके भी उक्त स्थानमें १ कम्बोजदेशजात घोटक, एक घोड़ा। २ खेत जन्म लेनेका प्रवाद है। १२८३ ई. को मार्को पोलो खदिर, सफेद कत्या। ३ पुवागवृक्ष, एक पेड़। मामक वेनिसके परिव्राजक उस नगर देखने गये थे। ४ कट्फल, कायफल । ५ वरुण्यक्ष, एक पेड़। (को०). उन्होंने उसे भारतका एक बड़ा बन्दर और वाणिज्य ६ पन काष्ठ, एक लकड़ी। (वि०) ७ कम्बोजदेश- स्थान बसाया है। उनके विवरण काम्बेथ नामसे जास, कम्बोज मुल्कका पैदा। कम्बोज देखो। काखे नगरका उल्लेख है। वास्तविक व भारतका काम्बोज-यवनतुल्य एक म्लेच्छनाति । प्रधान बाणिजास्थान था। किन्तु उपसागरका जल राजाने इनें मस्तक मुण्डित करा देशसे निकाल दिया घट जानसे अब वह समृद्धि देख नहीं पड़ती। (परिवंश) काव पसागर देखी। काम्बोजक (म.ली.) कम्बोजे भवः, कम्बोज-बुन्। काम्बेमें जैनोंके प्रकाण्ड मन्दिर थे। उन्हों; मनुष्यतवस्त्रयो। पा १३९ । कम्बोजदेशवासीकाः मन्दिरकि स्तम्भ निकाल १२२५ ई० को मुहम्मद हास्यादि। (त्रि.)२ कम्बोजनात । शाने जामा मसजिद बनवायो। काम्ब की प्राचीन काम्बोनि, काम्बोजी देखो। कीर्तियोका भग्नावशेष भान भी पनिक स्थलीमें देख । काम्बोजिका (सं० स्त्री०) खेतगुना, सफेद घुघची एक मुसलमान नवाब वहां राजत्व करते काम्बोजी (सं. स्त्री०) काम्बोज-डीप । १ रसगुना- हैं। वह अंगरेजीके अधीन करद राजा हैं। लता, लाल धुधनी। २ वलक्ष खदिर, पापरी कत्था । काम्बे उपसागर-खम्भातकी खाड़ी। उसके पश्चिम काम्भोजी (सं० स्त्री०) १ खेतगुना, सफेद घुधची। गुजरात और पूर्व बम्बई-प्रान्त है। समुद्रके मुहानमें २ वाकुची । ३ विट्खदिर । ४ माषपर्णी । ५ गन्धमुखा। उसका परिसर केवल डेढ़ कोस है। किन्तु सुखसे काम्य ( ० वि० ) काम्यते, कम-णिच-यत्। उत्तर कवि प्रदेश तक प्रायः ४० कोस निकलेगा। १ कामनीय, चाहने लायक। २ सुन्दर, खूबसूरत । पूर्व दिकसे नर्मदा तथा ताप्ती, उत्तरसे साबरमती एवं ४ कर्तव्य, करने मही पौर पथिम काठियावाड़से दो नदी जा उसमें सायक। गिरी हैं। उपसागरके मुखसे पश्चिम दिक् पोतं. “यत् किचित् फलमहिण्य यचदाननपादिकम् । गीजोंका अधिक्षत दीड नामक हौंप और पूर्व दिक क्रियते कायिकं यच्च तत्काम्य परिकौनितम् ।" (मुग्ध रा० टो) सगर था। । पड़ता है। - ३ कामनायुक्ता, खाधिशमन्द।