पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५७७

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कालप्रियनाथ-कालमाना तत्। । १ असार मृगका चर्म, काले हिरनका कालातिल (हि.पु.) कृष्णतिल, स्याह तिल । चमड़ा। कान्दं अजिनं यत्र, बहुव्री। २ कृष्णाजिन कालातीत ( स० क्लो०) कान्तस्य प्रतोत' प्रत्ययः, प्रधान देशविशेष. काले हिरनके रहनेका मुल्क। अति-इण् भावे त । १ कालातिक्रम, वक्त का टल जाना। कूर्म प्रभृति पुराणके मतमें उक्त जनपद दक्षिण दिक्में "काखालौते वृथा सन्धा बन्धास्त्रोम धुन यथा" (कागोखस) प्रवस्थित है। (त्रि.) अतीतः कानोऽस्य, निष्ठान्तत्वात् परनिपातः । कालाजीरा (हिं. पु.) १ काला जाजो, मोठा जीरा। २ विगत, गुजग हुवा, जो अपना समय विता चुका २ धान्यविशेष, एक धान। कालाकन्द देखो। हो। (पु.) ३ न्यायशास्त्र के मतानुसार पञ्चविध हेत्वा- कालानन (सं० लो०) कालच तत् अञ्जनच्छे ति, भासके अन्तर्गत हेत्वाभास विशेष, मुगालता, एक कर्मधा. गाढ़ कृष्णवर्ण अनन, व काला झूठी दनौल। प्रतीतकाल शब्द द्वारा भी वा काजल। अभिहित होता है उसका न्यायसूत्रोत लक्षण इस “न चतुषोः कान्तिविशेषबुद्ध्या प्रकार है- कालानन मजलमित्य पात्तम्।" (कुमार ०।२०) "कालात्ययापदिष्टः कालातीतः।" १.१पा.५. सूज। कालाननी (स. स्त्रो०) पक्ष्यते पनया पचनी, अन. साधनकालके प्रभाव समय जो हेतु लगाया करणे युट-डीए । कासी क्वष्णवर्णा पचनी पुवदभावः, जाता, वह कालातीत कहता । अर्थात् जिसस्थानमें १वष्णकासक्षुप, नरमा, बन कपास। किसी पक्ष * पर साध्यको प्रभावविषयक निश्चय उसका संस्कृत पर्याय-अजनी, रेचनी, शिलाननी, नौसा- ठहरता, उसी स्थानका हेतु कालांतीत रहता है। ननी, सयामा, काली और कृष्णाननी है। वह कटु, यथा-"जलं बद्धिमत् जनत्वात् । अर्थात् जलमें भाग है, क्योंकि वह जल है। यहां जनमें वडिके पभाव उष्ण, अन्न, प्रामकमिन्न, अपानावर्तशमन और जठरा- विषयका निश्चयज्ञान है। सुतरा जलव' हेतु वाला. मयन्न होती है। (राजनिघण्य) तीत नामसे निर्दिष्ट होगा। १नीली, नील। कालातीत शब्दके बदले बाधित पदका प्रयोग कासाढोकरा (हिं. पु.) वृक्षविशेष, एक पेड़। भी न्यायशास्त्र अनेक स्थलामें देख पड़ता है। उसकी शाखाप्रशाखा नोचेको भुक जाती हैं। शीत- कालको पत्र ताम्रवर्ण धारण करते हैं। कालात्मक (स. स्त्री.) कालेन कालखभावन छत काष्ठ सुदृढ़ पामा यस्य, काल-पामा-कन्। १'कालसभावजात, और ईषत् कृष्णवर्ण विशिष्ट रतवर्ण होता है। वक्ष या किस्मत पर मुनासिर । कालाढोकरा मालक, मध्यप्रदेश और राजपूताने में "मामा: स्थावरायव दिवि वा यदि वा मुवि ।

अधिक उपजता

सर्व कालामकाः सर्व बाबामकमिदं जगत्।" (मारव, पनु १०) कालाहन (सं० पु.) कालः कष्णवर्ण: भण्डनः पची। काल भामा प्रस्य।२कासखरूप परमेश्वर । 'कोकिल, कोयल, काली चिड़िया। काक्षात्यय (सं० पु.) कालस्य प्रत्ययः पतिक्रमणम्, कालातिक्रम (सं० पु.) कालस्य पतिक्रमः सनम्, -सत् । कालक्षेपण, वनको बरबादी। .4-तत्। समयस्तहान, वक्त निकाल देने का काम। कालात्ययापदिष्ट (स.यु.) कासात्ययेन पपदिए। कालातिपात (सं० पु.) कालस्य प्रतिपासः पतिवाह- गौतम सूत्रोक्त हेत्वाभासविशेष, एक झूठी दलोस । कामातीत देखो। 'नम्, ६-तत्। समयक्षेपण, वक्तका निकास। कालातिरेक (स.पु.) कालस्य प्रतिरकः पतिक्रमः •सिक उपयोगी साध्या पाचार पतापतो स्तत् । १ निर्दिष्ट समयका प्रतिक्रम, मकरर किये बगिमान् ध मात्वर्थात् पर्वत-मसे बडिमान है। इस स्थानपर पद ये वन को टालमटोल । २ सवत्सरका पतिक्रम। पक, बजि साध्य और चमन । "बावातिर विगु मायरित समाचरन ।"-:(प्रांबविचन) व प्रविशारा मिट प्रविपदम बरते, इस साल बाद ।