.. ५८१ कालापहाड़-कालायसमय २ मुर्शिदाबाद के नवाय दाजदकै एक सेनापति । कालापहाड़ कालीगङ्गाके तौर मुगल सिपाहियों के साथ मारे गये। तारीख-दामदौके देखते ८ हिजरीको उनका प्रकत ना 'राज था। कामरूप अञ्चलमें यह पोरासुठार, पोराकुठार, कालासुठान या कालयवन १५८० ई.) त घटना हुयी थी। मामसे विख्यात हैं। बङ्गाल और उड़ीसके जनप्रवादा कालापान ( हिं० पु०) साशका हुक्म रंग। नुसार कालापहाड़ पहले ब्राह्मण थे। उन्होंने किसी कानापानी (हिं. पु.) १ निर्वासन, जलायतनौ, नवाब-कन्या प्रेममें फंस सुसलमान-धर्म ग्रहण किया। देशनिकाला। २ आन्दामन, निकोबार प्रभृति होप। किन्तु अकबरनाम, तारीख दादी प्रभृति मुसलमान ३ मध, शराबी इतिहासों में वह 'अफगान' बताये गये हैं। कालापोश (हि. वि. ) क्वष्णवर्णवस्त्राच्छादित, काले कालापहाड़ पहले बङ्गालके नबाब सुलेमान | कपड़े पहने हुवा। करानी और पीछे दाउदके सेनापति बने । उनको कालाबाल (हि.पु.) योनिदेयस्थ केश, पशम, झांट। भांति देवदेषो मुसलमान बङ्गालमें कभी देख न पड़ा कानाभुजङ्ग (हि. वि. ) अत्यन्त ष्णवर्ण, निहायत घा। देवमन्दिर भड़, देवमूर्ति चर्ण और पनक काला। प्रकार हिन्दुओंको लान्छना करना ही उनके जीवनका | कालाध ( सं० पु० ) कालः कृष्णवर्ण : अनः, कर्मधा । प्रधान लक्ष्य रहा। १ जलयुक्त कालमेघ, बरसनेवाला काना वादन। पूर्व पासाम, पश्चिम काशी और दक्षिण उड़ोसाके २वष्यान, कान्ता बादल। मध्य उस समय हिन्दुवोंके शो विख्यात देवालय थे, कानाम ( सं• पु०) अराड ऋषि। वह शाक्य मुनिके वह कालापहाड़के हाथसे बच न सके। उनमें कोई पध्यापक रई। भग्न, कोई प्रङ्गीन और कोई भूमिसात् हो मानो | कान्तामुख (सं० पु.) शैव सम्प्रदायविशेष । अद्यापि कालापहाड़का दारुग्ण अत्याचार घोषणा कानामोहरा (हिं० पु. ) विषक्ष विशेष, एक जह. करता है। प्रवादानुसार कालापहाड़का नकारा रोना पोदा। वह सौंगियासे मिलता अपनो जड़में बजते हो सकल देवमूर्ति कांप उठती थौं। विष रखता है। श्रीवको मादसी पनीमें लिखा है (१४८१ कानाम (सं० पु.) काल पाम्रो यत्र, बहुव्रो०। दोप- थक)-"मुकुन्ददेवके राजत्वके अन्तिमकाल काचा. पहाड़ उड़ीसमें घुसा था। मुकुन्दटेव.उससे पराजित "कुरुन् याव्य नरान् वौर कालामहोपमेव च।" (हरिय११) दुये। उसके पीछे मुकुन्ददेवके पुत्र गौड़िया-गोविन्दके कालाम्ल ( सं० लो० ) सत्, सत्तू । राजा होने पर कालापहाड़ पुरी लूटने गया था। कालायन (सं० वि०) कालेन निवृत्तम्, काल-फक् । पण्डोंने जगन्नाथ देवकी मूर्ति उठा गड़ पारोकुदमै समयजात, वक्तसे पैदा। छिपा रखी। कालापहाडको वह मंबाद मिल गया। कालायनि (सं० पु.) वाकलिके एक शिष्य । उसने पारीकुदसे जगन्नाथदेवको मंगा और पग्निसे | कान्तायनी ( मं• स्त्री.) दुर्गा । जला समुद्र में फेंक दिया । नगनाथ, सस्कन प्रमति शब्द देखी। कालायसं (सं• क्लो०) कालञ्च तत् प्रयश्चेति, कान- उसी वापसे कालापहाड़के हाथ पैर गले, जिसमे वह प्रयम ट। एम'माय: सरसा नासिस भयोः । पा ५। ३ ।। मरे थे। अकबरनामे के मतानुसार मुगल सेनापति १ कान्त लौड, कोई लोहा।। २ लौह, खोडा। मुनौवखान्के दाऊदको पकड़ने कटक पहुंचने पर लोप देखो। कालापहाड़ और कई अफगान सरदारों ने काकसान कामायनमय (सं० वि०) कालायस-मयट्। काल. पधिकार किया था। किन्तु अल्पकालके मध्य हो। लौह निर्मित, तीखे लोहेका बना हुवा। .. Vol. IV. 146 विशेष, एक टापू .
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