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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५९६

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कालिन्दौसू-कालो कालिन्दीसू (स.. पु. ) कालिन्दी यमुना सूते । सूर्य, बिमष्ट हो गया। जष्ण. उस काण्ड देख . तौरव कदम्ब पर चढ़े और इदमें कूद पड़े। उन्होंने युद्ध कर प्राफतांबा कलिन्दीसू (सं० स्त्री): कालिन्दौं यमुनां सूते, कालिन्दी कालियको फण तोड़ डालो यौ। किन्तु उसका जीवन सूक्विप। यमुनाको मासा, सूर्यको पनो। संचा। बच गया। फिर श्रीकृष्णने उसे समुद्र में रहने के लिये कालिन्दीसोदर (स'• पु०) कान्तिन्याः यमुनाया: सोदरः यमुनासे निर्वासित किया। (भागवत (1) किन्तु कोई सहोदरः ६ तत् । यम । यम और यमुनाने सूर्यको | कोई कहता है कि राजा कसने धोकणसे कालिय. पनी सज्ञाके गर्भसे जन्म ग्रहण किया था । इदके फल मंगाये थे। श्रीकृष्ण यमुनामें कूद और कालिब (अ.पु.) १ संस्थान विशेष, एक ढांचा । वह उमा नागको नाथ फन लेगये। (लो) कालियस्य पिश्चट या काष्ठसे बनता और गोलाकार रहता है। दमनम, ६-तत् । २ कालिय सर्प के दौरामाशा कालिवपर धुनी टोपियों को भिगाकर चढ़ाते हैं। निवारण | ३ श्रीकृष्ण लीलाका एक अभिनय । उससे सूखने पर वह कड़ी पड़ जाती हैं । २ भगैर, कालियइद (सं० पु.) काचियेन अधिष्ठितः इदा जिस्म मध्यप० । कालिय सर्प के रहनेका हुद। कातिमा (सं• पु०) कालस्य भावः, कान-इमनिच् । कालिया-वङ्गदेशस्थ यशोहर जिले के कालिया परगने- १ कृष्णवर्ण, स्याही, कानापन | २ मचिमता, मैन । का एक गांव। वहां अनेक कायस्थ और वंद्य रहते हैं। कालिम्मन्या (सं० स्त्रो० ) प्रामानं काली मन्यते, पूजाके समय नौ-वाहकोंमें स्पर्धा को धम पड़ जाती है। कालो-मन्-खया-मुम् इखश्च। १ अपने को कृष्णवर्ण | कालियाचक-बङ्गालके मालदह जिलेका एक कसवा । विवेचना करनेवाली स्त्री, जो औरत अपने को स्याह ,वह पक्षा० २०:५११५“3. और देशा० ८८.११ ख्यान करती हो। २ अपनेको कालीदेवी मानने पू. में गङ्गाके तोर अवस्थित है। पहले वहां नीलको एक बड़ो कोठी थी। कालिय ( सं० पु.) के जले प्रान्तीयते, क-पा-नी-क । कालियाबर-प्रासाम भवनके नौगांव जिलेका एक १ सर्प विशेष, यक माप। गरुड़का मच्य वस्तु हरण ग्राम । वह ब्रह्मपुत्र नदी पर जिलेको पूर्व पोर पड़ता करनेसे गरुड़के साथ उसका युद्ध हुवा था। कालिय है। ब्रह्मपुवमें आने जानेवाले जहाज कालियावर में उसमें हार गया फिर वह गरुड़के भयसे यमुनाद- ठहरते और यात्रियों को ग्रहण करते हैं। स्थित जलमें छिपकर रहने लगा। इसीसे उसको कालिन (सं० त्रि.) कालः कणवर्णः प्रस्थास्ति, कालिय कहते हैं । २ कलियुग। (वि.) ३ कात. काम इलच् । चौमादिपामादिपिच्छादियं मनलचा पारा । सम्बधीय, वक्तके मुतालिक । कृष्णवर्णयुक्त, काले रंगवाचा। कालियक (को०) १ कष्ण पगुरु, काला भगर। कासिष्ठ (सं० वि०) पयमनयोरतिथयेन : काल:, २ पीतचन्दन ।३ दारु हरिद्रा । 8 मलेन्ट्रोकाष्ठ, किसी काल इष्ठन् । उभयके मध्य प्रतिपय कृष्णवर्ण, दोमें किस्म का देवदार । शिलानतुं । ज्यादा काना। कालियदमन (म० पु. ) कान्तियं दमयति, कालिय- काली (सं० पु.) कासः कानरूपः खलः प्रस्त्यस्य, 'दम-णिच्-ज्य । १ चोकृष्ण । भागवतमें कालियदमनको काल-इनि। १.गनन्दमत-मिह परमेश्वर । कथा इसप्रकार वर्णित है, कालियम "काचिन् कलिमलच मिन् असया, मदापदः।" जिस इदमें रहा, उसका जल बहुत विषान हो (परामन्दक मतको त्रमार्थना ) ‘गया। किमी दिन श्रीक्षया गोपों के माथ डमी इद : (वि.) कालयति प्रेरयति, कन-णि-णिनि। निकट गोचारणा करते थे । गोपं और गोकुनको तृष्णा २ प्रेरक, तहरीक देनवाला, जो चलाता हो। लगी। किन्तु उक्त इदका जन्ल पोसेही सबका जीवन (at०) काल: कृष्णवर्णे ऽस्त्वस्या: काल-डीए । मानपदकुछगो यस्खलभाजनागकाचेत्यादि। वाली स्त्री। यमुना नदीक पा 81111