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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६५२

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काशो-कशोनाथ कर श्रीपाश्वनाथका जन्म हुआ था । भटेनीघाट | के नामसे बोला जाता है। यहां दिगंवर जनों की तरफ और भेलूपुरामें दोना सोथै करों को चरणपादुका से 'स्थाहाद जैन महाविद्यालय' नामक एक सञ्चवेणी- तथा विशाल मंदिर है। भदैनीघाटका मन्दिर पारा का संस्कृत विद्यालय है । इसमें विना शुल्क शिक्षा निवासी जमीदार प्रभुलान्तजीका बनाया हुआ है। दी जाती है। जैन लोगोंकी सहायतासे ही इसका सब गंगानीके किनार यह विशाल मन्दिर पति मनोहर काम चलता है। और सुदृढ है। नीचे,पक्का घाट बंधा है, यह प्रभुघाट इसके समीपही बाब छेटौलालजीका बनाया हुआ श्रीस्याद्वाद दि० जैन महाविद्यालय । दूसरा लेन-मंदिर है । यह भी गंगा किनारे प्रति दृढ़ | मुट्ठी । (निरुण) (वि. ७ काशरोगी, खांसीका और विशात है। यहांसे 'पहिंसा' नामक एक साप्ता- बीमार। हिक पत्र निकलता है। इसके सिवा भेलपुरा में दो काशीकरवट (हिं. पु.) काशीस्थ करवट तीर्थ । और मैदागिन पर एक जैन मंदिर तथा विशाल धर्म वहां पुराने समय लोग भारसे चौर जाने पर अपनी शाला है। जैनियोंको संख्या अल्प रहसे भी यहां मुलि समझते थे। पान कल सरकारने उसे बंद कर मंदिर काफी हैं । मुतई इमली महले में एक लैन- दिया है। मंदिरमें स्फटिकको मूर्ति है। प्राय: हरसाल यात्री काशीकाप दी-बम्बईके बारसी और शोलापुरको एक -दर्शनके लिये आया करते हैं। इसी प्रकार श्वेताम्बर जाति । काशीकापदी लोग भीख मांगते घूमा करते पौर बता नहीं सकते-उनका आदि निवास-कहां जैमोंके मंदिर और धर्मशाला भी अनेक है था। वह पापसमें तेलगु और दूसरों के साथ टूटी २ चित्रशक्ति । ३ सुषुम्ना नाडी । ( काशीसुतिविवेक । । फूटी मराठी बोलते हैं। भीख मांगने के अतिरिक्त ४ काशी देवीको मूर्ति। काशीकापदी यञोपवीत रुद्राक्षको माता, दर्पण प्रादि "विवेक माधवं दुटि दण्डपापित भैरवम् । छोटे मोटे वस्तु भी बेंच लेते हैं । हिन्दू देवदेवी उनको मान्य हैं। वन्द बागी गृहां गा मवामी मणिकर्णिकाम्।" काशीदास-सम्यक्षकौमुदी छंदोबइके रचयिता जैनकवि पल्यार्थे डोष् । ५ शुद्र कामण, छोटा कास । ६ काशीनाथ (सं० पु०) काश्याः नाथ, ६ तत् । १ शिव । -