कास्तकारो-काश्मीर मालकियत कहाते हैं। शिकमी दूसरे काश्तकारसे छत, पामकोका हत्ता आदि बनता है। वैशाखपत्तनमें प्राचौरको सित्ति और बम्बई प्रदेश में उक्त कार्य, शकट, जमीन् ले कुछ समय तक जोतते. वोते हैं। -काश्तकारी (फा० स्त्री०) १ कृषि, खेती, किसानी । यान तथा पालकी में लगता है। उस पर रङ्ग अच्छा २ वषकस्वत्व, कानकारका हक । ३-भूमिविशेष, पाता और तरह सरहका पसबाव बनाया जाता है। एक जमीन् । उस पर कृषकको कृषि करनेका- सत्व सन्थाल काश्मरी काठके भय और फको वर्णक सी भांति व्यवहार करते हैं। रहता है। काश्मरी (सं० स्त्री० ) काशते, काश-वनिप रचान्तादेश: काश्मरीका फन्न गोंड और दूसरे पहाडी लोग डीप पृषोदरादित्वात् वस्य मत्वम् । १ गम्भारी वृक्ष, खाते हैं। पत्तियां पशवों को खिलायो जाती हैं। हिरन गंभारका पेड़ (Gmelina arborea) उसका संस्कृत और दूसरे जंगली जानवर उन्हें बडे चायसे खाते हैं। पर्याय-गाम्भारी, भद्रपर्णी, श्रीपर्णी, मधुपर्णिका, काश्मरीका मूल औषध पड़ता है । दशमूलमें काश्मीरी, हीरा, काश्मय, पौतरोहिणी, कृष्णचन्ता, इसका भी प्रयोग होता है। काश्मरोके पेड़में रैथमके मधुरसा, और महाकुमुमिका है। भावप्रकाशके मतमें कीड़े पाले जाते हैं। यह मधुर, कषाय एवं तिक रस, उष्णुवीय, गुरु, अग्नि २ कपिलद्राक्षा, कान्ता दाख । ३ मृगनामि, दीप्तिकारक, परिपाचक, मेदक और चम, शोष, कस्तूरी। ४ पुष्करमून । ५ गांभारौ फन । तृष्णा, भामशून्त, पशविषदोष, दाइ तथो न्वरना- काश्मीफल (म. क्लो) गाम्भारोफत मन्ना, गंमा- शक है। काश्मरीका फल शरीरवर्धक, शुक्रवर्धक, गुरु, रोके फलका गूदा। केशोपकारक, रसायन, कषाय एवं अम्बरम, शीतल, काश्मय (सं० पु. क्लो०) काश्मरीति शब्दोऽस्तास्य, का. निग्ध और वायु, पित्त, कृष्णा, रक्तदोष, क्षयरोग, श्मरो-या, यहा काश्मरी खार्थे थन् । गाम्भारी, गंभारी। मूत्राघात, दाइ तथा वासरशारोगनाशक होता है। काश्मर्यफतवाथ (.सं० पु. ) गांभौरीफलकषाय, हिन्द में उसे कुम्भार, गुम्भार, गमहार, गंभार, गंभारी फलका काटा। 'खग्मर, कंभार, कूमार, गंवारी, सेवन, शेवन, गमागे काश्मर्या (स' स्त्री० ) इखगाम्भारी वृक्ष, छोटी गंमा. या खंभारी ; बंगलामें गुमाग, उडियामें गंधरी, कोलमें रोका पेड। कसमर, सन्यालीमें कसमार पासामी में गोमागे, नेपाः | काश्मयोद्भवपर्णिका, कारमा देखो। कीमें गंवरि, लेपची में नघोन, कछारीमै गुमाई, गारोमैं | काश्मीर.(सं० लो--).कश्मीरे काश्मीर वा भवम् कश्मीर योलको बक, गोडीमें कुरसे, पंजावीमें गुहार, इनारीमें या काश्मीर-प्रण।.. कदादिभ्यम् । पाइ। २।१५५ १.१.कुष्ठ- सेवन, कुरकूमें कास्समर, मध्यप्रदेशीय, गुभर, वम्ब. मेद, पुष्करमूल ! २ कुडुम, केसर। ३. कस्तू रौ, यागे से इन, सामिलमें गुमुदुटेकु, तेनगुमे गूमरटेक, मुश्क ।.४.सोडागा। ५ कश्मीर का निवासी । (त्रि.) कनाड़ीमें कुति; मलय में कुंबलु, ममि रमनी, ब्रोम | ६. कश्मीरजात,- कश्मीर में उपजने या होनेवाला यमनई पौर सिंहमी में असदेम्मत कहते हैं। (पु०.).७ गाम्भारोहच, गंभारीका पेड़ । काश्मरीका-वृक्ष वृहत् भार पसनशीन होता है। काश्मीर-भारतवर्ष के उत्तर-पथिम कोएका सत्तिर वाभी कभी वह ६० फीट तक चा हो. जाता है। देश, एक मुल्ला। वर्तमान. काश्मीर राज्य प्रधा०.३२ काश्मरीभारतवर्ष, ब्रह्मदेश तथा प्रान्दामान. दीपमें १० से ३६.५८.३०" और देथा० ७३: २६ से .. -सब जगह होती है। फाला न मास फन्न निकलता है। काठका वर्ण मन्द पोतास रहता है। वह बहुत इनका ३० पू० पर अवस्थित है। उसका वर्तमान भूमिका परिमाण. प्रायः ८०८:० वर्ग:मौन है। लोकसंख्या और कडा होता है, इसौर उसे नानाकार्य में व्यवहार लगभग २८ नाख होगी। जिसमें पुरुष साढ़े पंद्रह · करते हैं। उसके सरखतेसे तसवीरका चौखट, नायकी लाख और स्त्रियां साढ़े तेरह लाख होंगी।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६५६
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