पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६६३

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काश्मीर तम्य विशिष्ट जल नाना पात्र में रहता है । इम्माममें पर चढ़ कर्मस्थानको यातायात करते हैं । उनका भाग जलाने से जपरि और वगनी घर भी गर्म पढ़ आहारादि नौकामें ही सम्पन्न होता है। जाता है। काश्मीरपतिको कई सुदृश्य नौका हैं। प्राकारा- श्रीनगरमें प्रत्येक भवनका प्रधान द्वारनदीके तौर पर नुसार वह परिन्दा (पक्षी), चौकोरी (चतुष्कोण ) है। प्रत्येक घरका घाट खतन्त्र है। उस घाटमें उत और बग्गी (गाड़ी) कहलाती हैं। उनमें ५० मे ८० रनका सोपान लगा है । प्रायः प्रत्येक अधिवासीको एक पादमी तक चप्पा लेकर बैठ सकते हैं। नौका होती है। वह पपने घाटमें अटकी रहती है। पधिषामो-हिन्दुवोंका गज्य होते भी काश्मीर में काष्ठके भवन होनेसे काश्मीर में प्रायः पग्निदाह होता मुसलमान अधिक हैं । यहांतक कि कितनही हिन्दुवों- है। भवनके सर्वोच्च स्थानमें जन्नाने का काष्ठ, रन्धन का (जो पण्डित कहाते हैं उनमें भी बहुतोंका ) प्रा. शालाका द्रव्यादि और भाण्डार रहता है। चार व्यवहार विगड़ मुसनमानों जैसा हो गया है। नौका-नौका नाविकका घरहार है, दिवारात्रि हिन्दू मुसलमानो को छोड़ वहां दौर भी बहुत हैं। वह नौकामें हो रहते हैं । अनेक लोगोंके भूमि पर काश्मीरी पुरुष गौरवर्ण, दृढ़काय और अनमौष्ठव-. महादि नहीं-पुत्रकलनके साथ वह नौकाम रहते विशिष्ट हैं। वह चतुर, प्रखर बुद्धिमानी और पामोद हैं। काश्मीर में बालिका, युवतो और वृद्धा स्त्रियां भी प्रिय होते, किन्तु साहसी नहीं । रमणी परम मुन्दरी निपुणताके साथ नौका चला सकती हैं। वहां अपने हैं। विशेषतः पण्डितोंकी स्त्रियां अनुपमरूपन्नावण्य- देशकी भांति नौका नहीं होता। 'शिकारों या 'डोंगी' वती होती हैं। भारतचन्द्रको रूपसी विद्या और नामक नौका होनमणके पक्षमें सुविधाजनक है । कालिदासको शकुन्तन्ना वहां प्रतिग इको प्रत्येक शिकारी नौका साधारणत: २५ हाथ लम्बी, २॥ हाथ रमणीमें विद्यमान हैं। वे परकी परी यदि पृथिवी पर चौड़ी और १ फुट गहरी होती है। आरोहोके बैठने रहती पयवा अप्सरा यदि कविको कल्पना नहीं ठह. का स्थान पतावरसे छाया रहता है। प्रावश्य रती, तो वह काश्मीर में ही मिलती हैं। धनी मुसल कतानुसार उस छतको खोल डालते हैं। एक नौकाके मानों और कृषकों को छोड़ किसक एकसे अधिक चलानेका डांड़ 'चाप्पा' कहाता है। वह बडे प्राष्ट्र स्त्री देख नहीं पड़ती। जैसा होता है। शिकारीमें चाप्पा रखा नहीं रहता, परिच्छद-पुरुषों का परिच्छद कोपोन, पनखान्तक हाथमें पकड़ उतरना पड़ता है। उस देशको किसी (पैरहन) और उष्णीष है । क्या घिन्टू क्या मुसलमान नौकामें स्थ ल भाग (पेटा) नहीं होता। पीछे एक सभी मम्तक मुण्डन करते हैं। हिन्दू शिरडा रखते हैं। आदमी बैठ चप्से पेटेका काम चलाता है। भारोती स्त्रियां साड़ी नहीं-केवल अंगरखा पहनती हैं । की इच्छा और आवश्यकता देख शिकारी नौकामें कोई कोई स्त्री मम्तकपर लान टोरी नगाती है। तौनसे दश सक खेवट रखे जा सकते हैं। स्त्रियांवर केशको वेयो बना दो भाग पृष्ठ पर डान देती हैं। . नाव नहीं चलाती। पण्डिताइनों में कोई कोई कटोदेशमें भगवान के डोंगी नामक नौका दूर भ्रमणके लिये उपयोगी ऊपर चद्दर नपेट लेती हैं। वह थोड़ा हो गहना पह- है। उस नौकामें नाविक परिवार के साथ रहते हैं। नती हैं। स्त्री पुरुष सभी काष्ठपादुका व्यवहार करते हैं। इस प्रकारके नाविकको काश्मीरी भाषामें हांझी कहते सकल देशमें पुरुषों और स्त्रियों के वेशको विमि. हैं। डोंगो साधारणतः ४० हाथ दीर्घ, ४ हाथ विस्तृत अता है, किन्तु काश्मीरमें नहीं। परिच्छदादि देख और डेट हाथ गभीर होती है । वह भी पतावरसे जातिके बलवीर्यका परिचय मिलता है। काश्मीरी छायी जाती है। उक्त प्रावरणके शेषांशमें हांझी रहते पुरुषके रमणीवेश-सम्बन्धपर इतिहाममें देखते कि हैं। स्त्रियां भी उसे चलाती हैं। काश्मीरी पण्डित उस दिशोके मम्राट, उक्त स्थान पाकम कर मैन्य पराजय -