पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६९८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

काश्मीर राज्यशासन किया। उसी समयसे काश्मीर राजा प्रजासे सत्कोच लेता था। हाबी खानने स्वीय कर्मचारी मुसलमान शासकों के अधीन हो गया । शाहमोर शम्स और मंत्री प्रतिको प्रवर्तनासे हिजोको सताया और उद्दीन नामसे विख्यात रहे । पञ्चगहर देशनात १८ अपनी पिटप्रदत्तसम्पत्तिसे ब्राह्मणों को दूर भगायां । सुसलमान काश्मीर देशके सिंहासन पर बैठे। उनमें इनने १ वर्ष मास रामत्व किया। ताहरान कुनजात शम्म-उद दोन काश्मीर प्रथम मुस बाद उनके पुत्र इसनगाह राजा हुवे । उनने समान गंजा थे . वह अतिशय बलशाली रई। उनले दिहामठके निकट मनोहर राजधानी बनायी थी। वहीं भिक्षणमट्टों को मार बलपूर्वक राजा लिया था। उनकी माताने एक धर्मशाला भी निर्माण करायौं। समस-उद दोनके मरनेपर उनके पुत्र नमशेदन माम्राजा गजा इसन खान्ने अनेक मसजिद धर्मवास प्रभृति पाया। उनने वर्ष १. माम राजत्व किया बनाये थे । फलतः उन्होंने मठ, अग्रहार दान, देव. अनन्तर उनके कनिष्ठ माता अता-उद-टोन गला हुवै मन्दिरनिर्माण, पतिथिपूना प्रादि सत्कार्य द्वारा अपनी उनने १२ वसर ११ मास १३ दिन मुनियममे प्रजा राजसम्पत्तिका साफल्य सम्पादन किया । वह अनेक पालन किया अनन्तर उनके पुत्र शहा- उद-दोन दिग संस्कृत पद समझते थे। इसम सङ्गीतशास्त्रज्ञ भी रहे। विनयो गजा हुये । उनले २० वर्ष रामप्रशासनपूर्वक स. वह स्वयं सनम रूपसे राग आलाप कर सकते थे। मस्त राजावो के साथ प्रतिस्पर्धाको प्रकाश किया था। उनके समय प्रजाने सुखसे कालातिपात किया । फिर उनके कनिष्ठ भ्राता कुतुब उद-दोन १५ वर्ष ५ पिथ बहरामखान् राजालामको वासनामें इसनसे मास दिन तक राजा रहे। कुतुब-उद-दीनके बाद लड़कर हारे थे। उनने ६. लौकिकाब्दको चैत्रमास उसके पुत्र सिकन्दरने २२ वष मास दिन राजवं १२ वर्ष ५ दिस राज्य भोगके बाद प्राण त्याग किया। किया। उन्होने बहुतर संस्कृत पुस्तक अग्निमें फेंक उसनके बाद उनके पुत्र मुहम्मद शाह काश्मीरका जना डाले थे। सिकन्दरके मरने पर उनके पुत्र चली. राज्यलाभ कर २ वर्ष मास जा रहे । उनका शाहने गजा को वर्ष मांस राजत्व !कया। भली. राजा म'वियों को दुष्ट अभिसन्धिसे डोल उठा था। शाइके बाद प्रनादिके पुण्यबलसे उनके सहोदर प्रजा वह सैयदवंशीयोंके दौहित रहे । इसीसे सैयदों ने रनक जिन-उल-अबादीनको राजा मिल गया। उनके राजामें प्राधान्य पाया था। मुहम्मदके समय वह अतिशय विद्योत्साही रहे । अपने निकट मद्रों और सैयदों का महाविश्व उपस्थित वा । बाद किसीके हृदयग्राहिणी कविता अथवा कोई कष्ट शिल्प उनके पिढष्य फतेहशाइने काश्मौरका सिंहासन उपस्थित करनेसे वह यथायोग्य पुरस्कार देते थे। भारोहण किया । उनके समय प्रमाने स्वधर्मनिरत सिन्धु और हिन्दुवाड़ादि देव जयकर उन्होंने विविध और दयादाक्षिण्यादि विभूषित हो सुखसे समय शिल्पसमन्वित एक यन्त्रागार निर्माण कराया। उनके विताया था। वह वर्ष १ मास शासन कर राजाभ्रष्ट भादम खान्, हानौखान् और वरहमखान् नामक हुवै । इनके कोई चन्द्रवंशीय व्यसनशून्य सोमराजानक तौन पुत्र हुधे । हानीखान से बरहमखान् लड़ पड़े नामक विनयो मंत्री रहे। किन्तु उनने मौर शखके थे। उसमें हाजीखान जोत गये । जिन-उल-अब-दीनने | प्रादेशसे ब्राह्मणों से पूर्वप्रदत्त सकल भूमि शैन देवा- राज्धका बहुविध मङ्गलकर कार्यसाधनकर ५२ वर्ष सयस्थित भृत्यों को प्रधान बनाया था। राजा शासनपूर्वक शरीर छोड़ा था। उसके बाद हाजी अनन्तर मुहम्मदशाहने पुनर्धार काश्मीरके राजा खान राना हुवे। उनने सुद्रापर "हैदरशाही नाम हो ११ वर्ष. १० मास १० दिन शासन चलाया। उनके अहित कराया था। रितेतर नामक कोई नापित राजा समय कण्ठमधादि महोदयो ने सोमराजानककटक को अत्यन्त प्रिय रहा। वह मन्त्री हो प्रजाको पतिथय विलुप्त हिन्दू क्रियोका पुनहार किया था। किन्तु कष्ट देता और राजाको कुकार्यमें फांस दीन दुःखी । खोला मोर अहमदने यह कह कर निर्ममादि आय- Voi, IV. 176 -