पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६९९

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००२ काश्मीर णे'को मरवा डाला-“हे विन लोगो! इस कलियुग पुरसे चल पड़े। बाद सन्धिसूत्रसे युद्ध बन्द हो गया। में तुम्हारा ब्रह्मतेज कहां है । वा पाचार हो कहाँ है? शम्शशाहके बाद उनके माता इम्मा इस शाह राना उसी समय मुहम्मद शाहको फतेहशाहका मृत्युमंवाद हुवे । उधर मुगल सेनानी नाजुकशा पाषण्ड देग मिला था। उनके समय अन्य किसी चक्रवर्ती राजा नीतने सैन्य सह चले गये । नाजुकगाहक राजत्वकान्त गजपति सिकन्दरने काश्मीरराजा अाक्रमण किया, काश्मीरको प्रजानं मुख स्वच्छन्दमे दिन यापन पौर किन्तु सुहम्मदने उनको हरा दिया। फिर फतेशाह समस्त वैदिक क्रिया कलाप निर्विघ्न निर्वाह किया के पुत्र खान् पिटव्य राजा पुनः पानेकी पायाम था। उनकै समय ग्राम विमाग पर कर्मचारियों में काश्मीर पहुंचे। उनने सुहम्मदको राजाचट किया विरोध हो गया। उसी विरोध मिर्जा हैदर और था । उसके काञ्चनचक्रने इब्राहीमको काश्मीरका दौलतखान लड़ने नगे । एक मास नडाई होने के राजा बनाया । उसी समय काश्मोरराजामें तुरुष्क पोछे दौलत (गाजोखान् ) जोते थे । उसके पीछे राजका विषम पट्रव उठा था । प्रथम मार्गेश्वर अब्द: उन्होंने राज्य शासन किया। उनके ममय काश्मीरमें लने सुगन्धराज बावरके निकट गमनपूर्वक कामोर राजा जीतने के लिये सैन्य मांगा। बावरने उनको एक भयचर भूमिकम्य हुवा था । उसे अनेक स्थान विष- सहस्र सैनिक दिये थे। अब्द, लने फतेहशाहके पुत्र यस्त हो गये। किसी दिन दौलतवान्न तुन्नमुन्न म्यान नाजुकखानको भागे रख गिरिपथसे काश्मीर राजामें पर अभिमन्यु नामक महातया सानु के निकट नाकर प्रवेश किया। उनने तरुष्क सेन्य द्वारा काश्मीर जीत पूछा था-"हमारा राज्य क्रिम प्रकार विस्त त होगा!" नाजुकथाहको राजा बना दिया । उस पर साधने उत्तर दिया-"ब्राह्मणों में वार्षिक कर फिर मुहम्मद शाहकै लोहरका राना होने पर न लेने पर तुम्हारी प्रमोट सिडि होगी।" यह सुनकर तुरुष्क-सैन्य अपने स्थानको चला गया । नाजुक शाहने दौलतने कहा था-"हम म्लेच्छ हो कर प्रापको १ वर्ष राजा कर मुहम्मदसे यौवराज्य पाया था । पानासे किस प्रकार वाधणोंका कर निवारण करेंगे। वर्ष पीछे पुमार मुहम्मद राज्यपर अभिषिक्त दुवे, उस पर साधुने काधाविष्ट हो शाप दिया-"अल्पदिन- ५ उसके पीछे वावर मर गये। उनके कामरान् और के मध्य हो तुम्हारी राजयो विगड जायेगो।" उमौसे हुमायूं नामक पुत्रदयने काश्मीरराज्य नाम किया। दौनतको राजप्सम्पत्ति विनष्ट हो गयो । उसके पीछे कुछ दिन पोछ महरम नामक सेनापति बहुतर सैन्य । हबीब नामक किमी व्यक्ति के एक मास गजत्व करने ले काश्मीर जीतने गये थे। पौरगणने भयसे पार्वत्य पर गाजोखान्ने राज्य ग्रहण किया था। शिमी दिन प्रदेशको पलायनपूर्वक गुहादिमें पाश्रय लिया । उस उनने गणकोंसे पूछा-"हमारे राज्यमें भूमिसम्पादि समय पुरीको शून्य देख मुगलोंने राजधानीके सकल दुनिमित्त क्यों होते हैं ?" उनने उत्तर दिया-"प्रापके ग्रादि जला दिये और सहस्र सहन व्यक्तियों के प्राण राज्यमें कोई घोरतर लड़ाई होगी।" कुछ दिन पीछे विनाश किये। फिर काश्मीरमें काशगरों का उपद्रव मिर्जा हैदरक सेनानी वृहत् मैन्यदन्न ने काश्मीर जा उठा था। उससे तुरकों ने बहु ग्राम नगरादि नना पहुंचे। गाजीशाहने ससैन्य राजविर नामक स्थान • डाले और धन रत्न एवं रमणीय रत्न ग्रहणपूर्वक स्वदेश जा युद्ध घोषणा को यो । उस लड़ाई में हैदरके सेनानी को चले गये। उसके पीछे काश्मीरराज्यमें भयानक गाजीथाइका सागरसदृध सेनासमूह देख भयमे दुर्भिक्ष पड़ा था । मुहम्मदशाहने फिर ५ वर्ष राजत्व भाग गये । उसके पीछे गाजीथाहरी चक नोगों का युद्ध कर कलेवर परित्याग किया। हुवा । उसमें उनने इभेचक को मार जय पाया था। अनन्तर उनके पुत्र शम्सशाह राजा हुवे। उनके मुगलराज शाह अब्दल मालीके बहुतर सैन्य के समय कापचक्रपति काश्मीर आक्रमण करने जैन. साथ काश्मीर जय करनेको उपस्थित होने पर दौलत