पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७०३

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काश्मौर " ... ...५२ वर्ष 39 " कान " 2 9 " 13 2 E 19 93 " " ४७ » मिहिरकत वा विनोटिहा २३०२-४०० वर्ष विक्रमादित्य ३५८-२... बक R8E8-80 तेरह दिन यामादित्य fefagna ५६,८माम २५०५-४-१५" वसुनन्द...... २५३५-४-१२॥ वायट्र वा वाकोट । २ माम नर श्य... २५८७५-१३॥ दुर्दभवन वा प्रमादित्य ३६०910-११ ली-२०२६३ २६५०-६-१३ दुर्लन्छ वा प्राकादिष्य २३ २५१३-104" गोपदित्य... २७००-४-१५ " ...६० वर्ष दिन चन्द्रासैड वावचादित्य गीको... २०१६-१-१ २०६७-६-१९ वर्ष ११ माम नागपो वा दयादित्य २०७३-५-१ नरेन्द वा विशिल... २८२५-५-१८ , ४॥२४दिन " मास दिन सुकापोड दाललितादित्य २७७६.६.२५ २८. नान दिन युधिष्ठिर ... २८६ (-०.२९ वर्ष मास दिन वलयापोड़ ३८१५-२-१ 31 १ वर्ष दिन विक्रमादित्य पातिवंश। बबाहित्य वा विवादित्य श्य १८१५-२-२१ " पृघिश्याशेड़ प्रतापदिल्या 'प्रथम).... २८१५-1-0 ली४०.३२ वर्ष २२२-२-२१ माम सयमापौड़ (प्रथम) अलीक २२-२.२१ २१२८-०-० २९ तुचीन (मथम .... २८८०-0-0 ३६ विध (पन्ध वभ)... २८८६-0-0 है ? मालूम होता है कि अपने रखादिच एरवी चनापी गच्च हान नयेन्द्र ३००४-0-0 सम्बनम यथेष्ट पीर प्रशव प्रगप पाया था। उनके पूर्ववर्ती राजपा सन्धिमति वा भार्यराज ३०४१-0-0 यथायथ विवरण प्राप्त होते भी प्रकृय समय के निरूपण समयमैं वह कोई गोमन्दवंश (य बार) विशिष्ट प्रमाण यह कर म सके। मोसे सम्मवत: विक्रमादित्य शाति- मेघवाहम ३०८८-०-० लो३४ वर्ष बंशीय रसापादित्यसै पूर्ववर्ती राजा युधिष्ठिरका गन्यकाल विन्द्रकान्त निकम प्रवरसेम प्रथम वा तु मौन श्य ३१२९-००० ३० वर्ष चिया न गया ! फिर प्रतापादित्य मकारि विक्रमादित्य प्ररबों ने भी हिरण पोर तीरमाण ३१५२-०-० ३० वर्ष २मास इन यो गाना पूर्ववर्ती निकले है। उक्त समय बहुपने जो ३०० वर्ष मारगुम (पन्ध वग) १२-२-० ."मास दिन रणादित्यी शामन काल मय डाले हैं, हमारी विवेचना, २६ प्रतापदिस्य प्रवरसेन श्य पूर्ववर्ती राजगणक राजत्वमें चले जायेंगे। इस रौतिने गपना करने पर युधिष्ठिर श्य मारि विमादित्य और उनके सावित्रीय प्रवाहित्यका प्रश्न समय १२१६-११-१ १८ वर्ष ३ मास मरेन्द्र वा लगाया 11 निपिव हो सकता है। सन्तरकिसने रणादिन्यद उनके पुत्र १३ रणादित्य वा तुजीम श्य, ३२६-२-१ विशनादित्यनै ४२ वर्ष राह किया : किन्तु रक्क नौशात राहता विक्षस्वर्ग में कर दिया है जिसमे पहले जिन निम राजाने दीध काल राहत्व किया कहपने उन मुम्बधमें बडव का • ई० ६४ शक में विद्यमान थे। लिखा है। किन्तु उन सम्बधर्म वा क्यों नौरब र ? अधिक यो सम्मब- + राजतरविणी में लिखा है- पर कि पिकापुन उमयने ४२ वर्ष राजव किया था। "पथ मतापादिव्याख्याते रातीय दिगन्तरात!.. • चीन इतिहासमैं नशा समय ० ६२७ से कर रहे दोच विश्वमादिम्यभूम तिरवाभ्यपिच्यते । बवाश गया।मका परिचय तु-बी-२ नाम दिया गया है। शकारिविक्रमादित्य प्रति सम्मममाश्रितः।" (२५-4) उक्त शौक हारा मतपलिष्ठाता थकारि विक्रमादित्यके पोछे प्रमा चोन सिहासने इनका नाम भी नी-विष्टिनिन है। और दिस्यका राधारम्भ अवश्य मानना पड़ता है। किन्तु अपने प्रारमीर के इन्होंने सानसी तरह ई० में सौर-तबाट पास एरव दोनो विरुद्ध युद्ध राजीवोंका गजलकाल जिस प्रकार स्थिर किया है, उससे प्रतापादिश्च १६८ धनि उहायता मांगन विय दूदं नैना । १० पूर्वाद अर्शद मवत् प्रतिष्ठामा ११२ वर्ष पूर्वके लोग समझ पनै है। ची शिसमें 'नु-म-मि' नामसे माईको मन समतरङ्गिण में लिखा है कि रणदित्यने १०० बरामत्व किया से 26 गौच न बसतौसानकै साथ युद्ध का दि धोनी मैना यथा-एवं सम्पतिवाभयं वर्ष शसक्यम् --------- मैत्री गई. चौ, इमो समय समान बौर-मबाट नाम मैना श्वा । Vide Kalhap's Cbronicle of the Kings of Kasair, b; .: निमाध्यतिब्यूटपातालेश्वरमासदतः॥१.:(१). शिव:एक व्यनिक लिंय रत्ने दीर्घकालपदक समव करमा क्या सम्भवः M. A. Stein, Vol 1 (intro. p. 67.) 3 " 3 ... १. 1) ... "