पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७०२

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राजाका नाम नमज्ञ काश्मौर निर्वाह करता था । १७५२ ई. को पठान-वीर अहमद कुछ गलत है। कर्कीटक-वंशसे भाग करणनेलो साह दुरानौने काश्मीर राज्य जीता था। फिर कुछ कुछ लिखा है वह अवश्य ठीक है और इसलिये कालतक पठानों का प्रभाव रहा।१८१८ ई०को महा इतिहासमा उस प्रकरणसे वास्तविक कालानुसार रान रणजीत सिंहने काश्मीर अधिकार किया। उस इतिहास ग्रहण करते हैं। समय सिखराजके अधीन कोई शासनकर्ता भेजा जाता कारमौर के राजाको तालिका । पभिषकवर्ष राज्यकार पौर काश्मीरका शासनकाय चलाता था। १८४३ ई०को लम्बु, लादक और बलतिस्तान के साथ काश्मीरममि) गोमन्द म (कद्धपक मतमें ५३ कल्यद तथा ६९८ खौकिक दामोदर म संवत्) गुतामिहको मिल गयो। १८४६ ई. की सोत्राउन यशोचती युद्धके बाद गुम्हादसिंहने ७५ लाख रुपये दे अंगरेजो. गे.नन्द श्य से काश्मीरजा क्रय किया था । गुलाबसिंह अंगरेज (१५ राजाओंका विवरण हम गवरममेण्टके एक मित्र राना बने। युद्धकाल वह अंग. रेज गवरनमेण्टको साहाय्य करने पर बाध्य थे । किन्तु वह खाधीन भावसे हिन्दू राजनीति के अनुसार राना गेन्द्र करते थे । गुलाब सिइ देखो। १८५८ ई० को गुलाब सिंह. सुरेन्द्र के मरने पर उनके पुत्र रणवीर सिंह राजा हुवे । उन. मोधर ६२८-१८८४ ने १८५२ ई. को अंगरेज सरकारसे २१ तोपों की सुवर्ण सलामी, हटिसेनापतित्व' और 'महारानीका मन्तित्व' शचीनर पाया था। १८८५०को नव नगरमें रणवीर सिंह पयोग मर गये। फिर उनके पष्ठान प्रतापसिंहने सिंहासन नयीक साम किया। उनकी सभा बटिश रेसोडण्ड घुच गये दामोदर श्य प्रतापसिंहको दृटिश गवर्नमण्टने जी. सी. एस. पुष्ण, युष, कमिष्य. भाई. उपाधि, परंपराके लिये 'महारान' पद पौर श्रेष्ठ पमिमन्युम सम्मानकी सूचक २१ तोपों को सलामा प्रदान की है। गौनन्दव'गा. काश्मीरराज महारान; भारतखरीको प्रतिवर्ष एक गौमन्द श्य (६४.०० बी०स० १५ वर्ष घोड़ा, २॥ सेर पश्म और और प्रत्युत्कष्ट ३ काश्मीरी ...५५माम दुशाले कर स्वरूप देते थे । अब काश्मीर राजा सम्पूर्ण रूपसे हटिश सरकारके अधीन है। वर्ष करणमे लौकिक संवत् १२८से लौकिक संवत् ६४१ ...१५ वर्ष मास मर (प्रथम)मा विनर २०७३-10 ..... वर्षमास तक अर्थात् प्रथम गोनन्दसे लेकर बलादित्य तक जिन for राजावों के नामका उल्लेख किया है। उन्होंने अवश्य २१८४-३० .... वर्ष ६ माम काश्मोरके सिंहासमपर पारोहण कर राज्य किया था । २२१७-० ...१० वर्षमाम ऐसा निःसन्दे। धन लोगों को कोर्ति सूचक चिन्ह और हिरकुल किंवदंतियों से जात होता है। परन्तु उनके नामों की मुख वा वसुष... सूची जिस क्रमसे शिक्षित है वह ठीक वैसी ही इसमें पूरा पूरा सन्देह है और उसके साथ यह तो निमय है कि-उन खोगों का शासनकाल अवश्य ही शिलालेख पीर पोनीय विवरण अनुसार कामसमें विद्यमान थे • यह दोनों राजा ० प्रथम मवादको विद्यमान पे कनिष्क टेखो। Vol. IV, 177 . ... १२२-० 31 विमीषण एम निन ... १८८९४.० " रावण ... " .... माम विौष १२ ... २०४८.०० 95 5) २१२४-1-01 सुपखाव " 72 " " -6° 11