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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७२९

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७३२ किमौदी-किम्पुरुष प्रतिज्ञा की। और अपने पिताके बहुत समझाने पर किमेदि नमिन्दारी पहले जगन्नाथवाले राजाओंके भी उस प्रतिज्ञाको तोड़ा न था। किन्तु उपोषित माता अधीन घी । उन्हींके वंशीय राजपुमिमे उत्तराधिकार के प्रादेशानुसार किमिच्छक व्रतको समय अवोचितने न पाने पर किसीन किमदि और किमीने इच्छापुर उच्चवरले घोषणा की थी-"हमारा धन पर प्रधि रान्चका विजयनगर अधिकार किया। आज भी कार नहीं है, अतएव यदि हमारे शरीर द्वारा कोई किमेदिराज्य उत्ता वंगोद्भव नारायणदामके उत्तर- प्रयोजन सिह करना चाहता हो तो हम उसकी इच्छा पुरुषों के अधीन है। प्रना यहांके राजाको देवतुल्य पूर्ण कर देंगे।" उस समय पिता करन्धमने उनके भक्ति करती है। निकट उपस्थित हो कहा "वत्स ! हमें पौत्रके मुखका किम्मच (म त्रि०) किं कुमितं केवलं स्त्रीदरपूरणयैव दर्शन वारा दो।" प्रवीक्षित्ने अपने पिताको उक्त प्रार्थना पचति, किम् पच्-अच । कपण, कंजूस, अपने ही परिवर्तन करनेकी बहुतसी चेष्टा की, परन्तु कृतकार्य लिये पकाने और दूसरेको न खिन्लानेवाला। न हो सके। सुतरां विवाह करनेके लिये वाध्य हो किम्यचान (म'वि.) कि कुसितं कस्मैचिदपि न उन्होंने उसी राजकन्याका पाणिग्रहण किया था ।" दत्वा केवलं प्रात्मोटरपूरणायैव पचति, किम्-पच- (त्रि०) क्या चाहनेवाला। पानक । किम्यच देखो। "एसे भीगरलाररन्धय वकिमिच्छिकः किम्पराक्रम (स' त्रि.) किं कीदृशः पराक्रमोऽम्य, सदा पूच्या नमस्कारः रयाय पितृवन्न प ॥” (भारत, अनु० १३ १०) बहुव्री. ११ किस प्रकारका विक्रमशानी, कैसा ताकृत-- किमोदी (वै० पु०) किमिदानीमिति घरति, किम्- वर । कि कुत्सितः पराक्रमोऽस्य । २ निन्दित पराक्रम- प्रदानीम् इनि पृषोदरादित्वात् साधुः । १ अव क्या शाली, खराब ताकत रखनेवाला । ३ होनवम्छ, कमजोर! करेंगे सोचते विचरण करनेवाला खुल व्यति, अब किम्परिमाण (सं० वि०) कि परिमाणमय, बहुव्री। क्या करेंगे खयाल कर धूमनेवान्ता बदमाश । २ प्रेत किसना परिमाणविशिष्ट, कितनी मिकदारवाना । श्रेणीविशेष । "६पे धमनवार्य किमोदिने।" (चक 011001) किम्पयन्त (स० क्रि० वि०) कितनी दूर पर्यन्त, कहां 'किमौदिमे किमिहानीमिति चरते पिशनाय।' (सायप) किमु (सं० अव्य०) किम् च डच, इन्दः । १ कदाचित, शिम्पाक ( म०वि०) कि' कथमपि पाकः शिक्षाप्रकारो शायद, सम्भावना । २ क्यों, किसलिये, वितर्क । यस्य, बहुव्री०। १ माळशासित, माके हुक्म पर चलने ३ विमर्ष । ४ क्या, क्यों, प्रश्न । ५ नहीं, निषेध । ६ वाला । (पु.) किं कुत्सितः पाकः परिमाणो यय्य, छी छी, निन्दा। बहुव्री० । २ महाकालन्तता, लान इन्द्रायण । किमुत ( स० भव्य०) किम् च उत् च, इन्दः । १ क्यों, महाकाल देखौ क्या, प्रश्न । २ यद्यपि, क्योंकि, वितर्क । ३ अथवा, या, "न लुबा बुध्यते दीपान् हिम्पाकमिव भच्यन्।" (रामायण, 10 विकल्प । ४ अतिशय, बहुत, ज्यादा। किमेदि-मन्द्राजप्रदेशके गंजाम जिले की पश्चिम ३ विषतिन्दुकवृक्ष, कुचिले का पेड़ । ४ गेग, भागस्थ एक जमीन्दारी। उक्त जमीन्दारी तीन भागमें बीमारी । ५ न्वर, बुखार । ६ ममादिनिर्गम | विभक्त है-परलाकिमेदि, बीदाकिमेदि वा विजयनगरम् (को०) ७ महाकान्त फन्न । और चिनकिमेदि वा प्रतापगिरि । किमेदि ए छोटा- किम्युना ( स० स्त्री०) नदीविशेष, एक दरया । (मारत, ११३०२) सा पार्वतीय राज्य है। उसकी चारो ओर पर्वत विस्तृत तथा उर्वर उपत्यका और नदी, नाला एवं वापी हैं। किम्युरुष (म' पु० ) किं कुत्सितः पुरुष कर्मधा० प्रचुर शस्य उत्पन्न होते भो उा स्थान स्वास्थ्यकर १ किवर । किन्नर देखो। २ लोकविशेष, कोई नोगा नहीं। किम्प रुष और किम्पु रुषी पर्वतके निकट वनमें घर रक।