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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७३६

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. किराताशी-किरिच ७३६ चीज । किराना पंसारियों के पास विकता है। वाणसे विख हो वराह मर गया। किन्तु निश्चय न हुवा किसके वाणसे धराइ मरा था। फिर दोनों हमने (क्रि.) २पछोरना, साफ करना, सूपसे बनाना । मारा है' कहते वादानुवाद करने लगे। क्रमसे उसी किरानी (हिं० पु०) १ युरेशियन, करंटा, दोगना पर दोनोमें युद्ध चलने लगा । उस युद्दमें महादेव | युरोपियन । किरानी अंगरेजीके किश्चियन (Christian) अर्जुनका वीरत्व देख सन्तुष्ट दुवे। फिर उन्होंने अर्जु शब्दका अपश है। २ लकं, मुंशो। नको पाशुपत. अस्त्र प्रदान किया। किरातार्जुनीयमें किराया (प. पु. ) भाटक, भाड़ा । जो मूल्य अन्यको उक्त समस्त विषय विस्तभावसे वर्णित है। काव्यको वस्तु को कार्य में लगान के परिवर्त उस वस्तु के स्वामीको रचनाप्रणाली अति निगूढ भावविशिष्ट है। लोग दिया जाता, वह किराया कहाता है। कहा करते हैं- किरायादार ( फा• पु०) भतिया, किसोको चौज "सपमा कालिशसस्य भारवरयं गौरवम् । भाड़े पर लेनेवाला। नषधे पदलालित्य माघे सन्ति क्यो गुणाः ॥" किरार (हिं० पु० ) जातिविशेष, एक कौम । किरातार्जुनीय काव्य १८ सर्गमें समाप्त हुवा है। किरारि ( सं० पु०) ललितविस्तरोल कोई व्यक्ति । भारवि देखो। विरारि पाठ भी मिलता है। किराताशी (सं. पु. ) किरातान निषादान् अनाति, | किराव (हिं० पु.) कलाय, मटर। किरात पश-णिनि। गरुड़ । महाभारतमें लिखा है- किरावल (हिं० पु.) १ युद्धक्षेत्र ठीक करनेके लिये किसी समय गरुड़ माता विनताका दासीत्व छुड़ाने | अग्रगामी सैन्य, लड़ाईका मैदान दुरुस्त करनेके लिये लिये अमृत लाने जाते थे। उस समय उन्होंने सुधात भागे जानेवाली फोज । २ बन्दूकसे शिकार खेलनेवाला हो मातासे खाद्य मांगा। माताने कह दिया-'समुद्र शख्स । किरावल तुर्कीके 'कराव' शब्दका अप- तोर एक निषाददेश है। वहां सहस्र सहन निषाद रहते हैं । तुम उन्हें भक्षण कर क्षुधा निवारणपूर्वक | किरासन (हि. पु० ) केरोसीन, मट्टीका तेल। किरा. अमृत ले पायो । गरुड़ने भी माताको पाजाके अनुसार सन अंगरेजीके केरोसीन । Kerosene) 98 किरातों को खाया था। अपभ्रंश है। किराति (सं. स्त्री.) किरण समन्तात् जसदेपेण किरि (सं० पु.) किरति समसभूमिमिति शेषः, पतति गच्छति, किर-अत-इन् । गङ्गा। कर। ग्टपटिमिदिच्छिदिभ्यः । उए । १४२११ शूकर, किरातिनी (सं. स्त्री. ) किरातदेश उत्पत्तिस्थानलेन सूवर । २ वाराहीकन्द । किरति विक्षिपति जलम्। पत्यस्याः, किरात-नि-डीए । १ जटामांसी । ३ किरात- ३ मेघ, मेड, बादल। नातिकी स्त्री। किरिक (सं० पु.) किरिमेंघ,इव कायति प्रकाशते, किराती ( २० स्त्रो. ) किरात किराति वा डोः । किरि क क । रुद्रविशेष। किरिक पग्नि, वायु और १ दुर्गा। जिस समय महादेव पर्जुनको परीक्षाके सूर्य मूर्तिधर रुद्र है। वह वृष्टि द्वारा जगत् पालन, निये किगसवेष धारण कर उनके निकट जाते थे। दुर्गाने भी उसी समय किरातो वेष बना उनका अनु. "ममी म किरिकभ्यो देवाना इत्येमाः।" ( कथन, १६ । ६) गमन किया। २ किरातस्त्री । ३ स्वर्गगङ्गा । ४ कुटिनी, "किरिकमा रति दृष्यादि नाराजगन कुन्नि किरिका तमाः।" कुटनी। ५ चामरधारिणी, चंवर सुखानेवाली। (मसीधरभाष्य) किरान (अ.क्रि. वि. ) निकट, नजदोक, पास । किरिकिटिका (सं० स्त्री.) सङ्गीतविद्याविषयक यंत्र- किराना (हिं० पु.) लवण, हरिद्वादि नित्यव्यवहार्थ विशेष, गनि बजानिका एक औजार। 'ट्रष्य, नमकं हलंदी वगैरह रोज काममें पानवालो | किरिच (हि..स्त्री०) कठोर वस्तुका क्षुद्र खण्ड, कड़ा .. करते हैं। .