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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७४२

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किशोरसिंह-किसू 28% किशोरसिंह-कोटाराज माधवसिइके कनिष्ठ पुत्र । किष्किन्ध्याकाण्ड, शिकिशाशाय देखो। १५५८ ई-को उन्ननके पास औरजेवके विरुद्ध युद्ध किष्किन्वाधिष (सं० पु०) किष्किन्ध्याया अधिपः, करतमें यह शेररूपसे आहत हुये थे. परन्तु पोछे अच्छे ह-तत् । १ किष्किन्याके राजा दानि । २ सुग्रीव । हो गये । इन्होंने १६७०से १६८६ ई० तक राजत्व विक (5० पु०-स्त्री० ) कै कु पारस्वरादित्वात् सुट किया। यह धौरजेधके बहुत चतुर सेनापति थे और पत्वञ्च निपातनात् साधुः। १ हादशांगुन परिमाण, अरकाटके अवरोधमें मारे गये। १२ अङ्गुनको नाप । २ इस्त, हाय । ३ वितस्त, वित्ता। किशोरसूर-हिन्दोके एक कवि । इनका जन्म १७.४ई. ४ प्रकोष्ठ । ५ शालवृक्ष । ६ वध, वांस । ७ इक्षुभेद, को हुवा। इन्होंने बहुतसे छप्पय बनाये हैं। सरदार किसी किस्म की ख। (वि०) कुत्सित, खराव। कवि भोर हरिश्चन्द्र ने इनको कविता उदृत की है। किष्नुपर्वा (सं० पु० ) शिष्क मितं पर्व यस्य, बहुनौ० । किशोरिका (स'. स्त्री०) किशोरी खार्थे कन्-टाप ईका १ इक्षु, जख। २ वंश, बांस । ३ नन्न, एक घास । रस्य इखत्वच । किशोरो, ग्यारहने १५ वर्ष तकको किस् ( 4० अध्य० ) कर्ता, करनेवाला। "यं यो होता किस सयमस्व कमबई यत् स्ननति देवाः।" (चक्१.२५॥३) किशोरी ( सं० स्त्री० ) किशोर डोष । किगोरिका देखो। किम (हिं. सर्व) कौन' का रूपान्तर । विभक्ति कित ( फा. स्त्री०) १ शतरनके खेल में बादशाहका लगर्नसे 'कोन'-का 'किस' हो जाता हैं। 'किस' किसी मोहरकी मारमै जानेको चाल । में 'ही' लगानेस दोनों को मिलाकर किसी हो किश्तवार (हिं० पु०) पटवारीका एक कागज। किश्तवार जाता है। में खेतका नम्बर, रकवा वगैरह लिखा रहता है। किस (म: पु०) सूर्यके एक अनुचर । किश्तो ( फा० स्त्री० ) १ नौका, नाव । २ पावविशेष, किसनई (हिं० स्तो. ) कृषि, खेती, किसानका काम । किसी किस्मको थाती या तगतरौ । किश्तो कोई उप किसमत (९० पु० ) नापित, स्यूनविशेष, नाई का एक दौकन रख कर दिया नाता है। ३ शतरंजका हाथी, घेता। किसयतम उस्तरा, केची धादि रखते हैं। मोहरा। किसमौ (हिं. पु० ) कसबी, बमनोवो, मजदूर । किश्तौनुमा (फा० वि० ) नौकासदृश, नाव जैमा। किष्किन्ध (सं० पु०) किं किं दधाति, किम्-धा क पूर्वस्य | किसर ( स० पुलो० ) किञ्चित् सरति, किम्-स-कम्- किमो मलोपः सुर षत्वच । १ महिरदेशीय एक प्रद पृषोदरादित्वात् साधुः । सुगन्धिद्रव्यविशेष, एक पर्वत ।२ उक्त पर्वतको गुहार किमरिक (स' वि० ) किसरं परमं पस्य, बहुवो, किष्किन्धा (मं. स्त्रो०) कविश्व देवा । किमर-इन् । किमर नामक सुगन्धि ट्रय-विकता। किष्किन्धाकाण्ड (सं• लो०) रामायणका ४थ काण्ड किमन्त, किस्ट देखी। किष्किन्धाकाण्ड में सुप्रीवादिसे राम का मिलना ओर किसलय, विमलय देखो। वानिवध प्रभृति विषय बगिांत हैं। जिमनायत (स' चि०) किसलय सञ्जातमस्य, किस- किष्किन्धी (सं० स्त्रौ ) किष्किन्ध डोष् । किष्किन्ध- लय-इतच । नुतनपलविशिष्ट, नये पत्तावाला। किसान () १ कषक, खेतिहर ।२ नाई, वारो किष्किन्य (सं० पु.) किष्किन्ध स्वार्थ यत्। किष्किन्ध बगैरह कमान का घर। पर्वत। किसानो (हि. स्त्रो० ) १ कृषिकर्म, खेतीका काम। किष्किन्ध्या (सं० स्त्रो.) किष्किन्ध्य टाप । किष्किन्ध्य- (वि०)२ कृषकसम्बन्धोय, खेती के मुतालिक । पर्वतको गुहा । किष्किन्ध्या हो वालि राजाको गज- किसी (हि. सर्व० वि०) 'काई' का रूपान्तर । ·धानी रही। पोछे रामने बालिको मार उक्त स्थान . विभक्ति लगनेसे 'कोई' का 'किसौ हो जाता है। सुग्रीवको प्रदान किया। किसू, किसो देखो। Vol. VI. 187 खुशबूदार धौजा पर्वतको गुहा।