पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/७५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कामा 1 परदौलतवारनाल करवीत. (सं: त्रि) अकरदं करदं क्रियते येन, ] हैं। पुष्प खेतवणं पाते हैं। सौरभ किषित मिट चि। कर देनेको वाध्य किया डुवा, जो खिरान सगता है। इस वृक्षको कर्ण और सुदर्शन मी.वरत अदा करनेको मजबूर बनाया गया हो। हैं। २ निम्बुक विशेष, एक नोवू। यह निओरेको करदौना (हिं. पु०) दौना। भांती दोघं होता है। अपर नाम पहाड़ो नीबू है। करगुम (स• पु०) किरति विधिपति समन्तात ३ कार्य, (क्रि.) ४ समातिपर खाना, शाखाः, प्रच, करबासौ द्रुमश्चेति, नित्य-समा। भुगताना, निबटाना। ५ पकाना, बनाना। 4 मेजना, कारस्करक्ष, कुचिता। पहुंचाना। ७ प्रणय लगाना, मुहम्मत बढ़ाना। करदिम् (सं० पु०) करं देहि, कर हिष-किए। ८व्यवसाय चलाना, काम लगाना। सवारी चाना,. १ गोवभेद। २ वेदशाखाभेद। भाड़ा ठहराना। १० वुझाना, ठाना। ११रूप करधनी (हिं. स्त्री०) १ किङ्गियो, कमरका एक बदतना। १२ उठाना। १३ रंगना। १४ मारना। गहना। यह स्वर्ण वा रोप्यमय होती है। वालकीको १५ मना लेना। करधनीमें घुघरू सगाते हैं। फिर स्त्रियोंके पहनने यह क्रिया सर्वप्रधान है। इससे सब क्रियावाका की करधनी सादी ही रहती है। २ कटिमें धारण अर्थ निकल सकता है। फिर किसी संचाके पोहे किया जानेवाला एक सूत्र, कमरमें पहननेका लड़दार लगा देनेसे यह उस संजाके प्रयको क्रिया बना देती है। सूत। (पु.) ३ धान्यविशेष, किसी किस्मका धान। वारनाद (हिं. स्त्री०) करनाय, तुरदी। इसकी भूसी काली होती है। किन्तु चावस रताभ करनाटक (हि.) कांटक देखो। निकलता है। करनाटको (हिं० पु०) १ कर्णाटक, करनाटकका' करघर (हि.पु.) १ खाद्यविशेय, महुवेको रोटी। बाशिन्दा। २ नट, कला खेलनेवाला। ३ बाजीगर, इसे महुवरी भी करते हैं। २ मेध, बादल। इन्द्रजाल देखानेवाला। करत (संवि०) हस्तदारा धारण किया दुवा, करनाल (हिं. पु.) १ करनाय, नरसिंहा। २बड़ा जो हाथ से पकड़ लिया गया हो। ढोल। यह गाड़ीपर लद कर चलता है। किसी करन (हिं० पु.) ओषधिविशेष, जरिंधक, एक किमको तोप। जड़ी-बूटी। यह खाने में असमधुर होता है। इसे करनाल-१ पनावप्रान्तका एक विला। यह पक्षा चटनी पादिम व्यवहार करते हैं। करनको सेवन २८. एवं ३.१ ३. और देशा० ७६ १३ करनेसे दस्त, साफ उतरता है। यह रेचक भी है। सथा ७७.१५ ३.“पू०के मध्य भवस्थित है। इसके करनधार (हिं.) वधार देखो। उत्तर अम्बाला जिला तथा पटियाचा राज्य, पबिम करनफूल (हि. पु.) अलङ्कारविशेष, एक गहना। पटियाचा एवं झीद, दक्षिण दिल्ली तथा रोहतक बिला यह स्वयं वा रौप्यमय होता है। स्त्रियां इसे कर्ण में पौर पूर्व यमुना नदी पड़ती है। करनाल जिसमें धारण करती है। करनाल पुष्याकार बनता है। तीन तहसीलें है-पानीपत, करनाल और केवल । इसे पहनेको कानको सौ छेदायी और बारीक-बारीक भूमिका परिमाण २३८६. वर्गमीस पाता है। लोक- सौंकोंके कई टुकड़े डाल. डास बढ़ायी जाती है। संख्या प्रायः सवा छह लाख है। भूमि दो प्रकारको. यह दो प्रकारका होता है-साधारण एवं बड़ाज। है-बांगर और खादर । जचे मैदानको बामर' और करनफूसमें स्त्रियां भमके भी सटका लिया करती है। नीची जगहको 'सादर' कहते हैं। यमुना, घाघरा, करनवेध (हि.) कर्षवैध देखो। मरखती, बड़ा नदी, चौता और भायो मदी प्रधान करना (वि.पु.). उचविशेष, एक पौदा। इसके मदीत सौंपनेको कयो मारें भी निकली हैं। पन्न केतककी भांति दीर्घ एवं कण्टकरहित पते । झील और दमदत-बहुत देव पड़ते हैं। पञ्चाबके दूसरे