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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/९०

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करवार-करवीर “योजन दश हे पुत्र काराष्ट्रो देशदुर्धरः ॥ २४ : करवार-कनाड़ा प्रान्तका एक नगर। यह अता सन्मध्य पचकोशव काफ्यायवाधिक भुवि । २४.५० उ० और देशा० ७४. ११ पू०पर गोवासे देव व करसोरायचे' लमोधिमिर्मितम् ॥ २५ २२ कोस दक्षिणपूर्व अवस्थित है। १६६३ ई०को नचे वछि महत् पुणा दर्शनात पापनाशनम् । विलायतकी ईट इण्डिया कम्पनीने यहां अपनी कोठी तवे ऋषयः सर्वे ब्राह्मणा वेदपारगाः ॥ २६ बनायी थी। किन्तु टीपू सुलतान्के समय उसका यो दर्शनमावेण सर्वपापचयो भवेत् । विनाथ हुवा। स्थानीय अधिवासी कोड भाषा बोलते वनक्ष व केवल' पोठ महाल नाय तत्त्वतः ॥२०(उत्तराई २५०) हैं। फिर बहु दिन विजयपुर राज्य के अधीन रहने ३.पुत्र । दुदैम काराष्ट्रदेश दशयोजन विस्त त महाराष्ट्र भाषा भी चलती है। है। उसीके मध्य काशी प्रभृतिसे अधिक पुण्य स्थान करवारक (पु.) करं वारयति पाच्छादयति, । लक्ष्मीविनिर्मित करवौंर क्षेत्र है। इस क्षेत्रको देखने- कर-व-खुल। १ स्कन्धदेव । २ इस्तावरणकारी, से मधपुण्य मिलता और पाप मिटता है। यहां हाथको रोक लेनेवाला। ३ राजस्वबन्धकारी, खिराज वेदपारग बामण और ऋषि रहते हैं। उनके दर्शन न चुकानेवाला। मात्रसे सकल पाप भागता है। केवल इसी क्षेत्रको करवाल (हिं. पु.) १ तलवार, २ नख, नाख, न्। महालक्ष्मीका पीठ कहते हैं। करवालिका (सं० स्त्री.) करपालिका, छोटी गदा। बाराष्ट्रदेशका वर्तमान नाम कराढ़ है। इसी करविन्द स्वामी-मापस्तम्ब-श्रौतसूत्रके एक भाष्यकार। कराढ़में करवीर पड़ता है। कराढ़ देखो। . करवी (सं० स्त्री०) कस्य वायोः रवी विद्यतेऽत्र,

४मशान,"मरघट। ५ ब्रह्मावत । ६ दृशहती

गौरादित्वात् डोष । १ हिङ्गपनी, एक बूटी। २ कबरी, तरको चन्द्रशेखरनामक राजपुरी। ३ स्वनामख्यात प्रसिद्ध पुष्य, एका फल । . : ७ पुष्पहचविशेष, एक पेड़। इसका संस्कृत पर्याय करवीर देखी। प्रतिहास, शतपास, चण्डात, हयमारक, प्रतीहास, करवीक (स' लो०) करवी स्वार्थ कन्। करवी अश्वघ्न, इयारि, अश्वमार, खेतकुम्भ, तुरङ्गारि, अखहा, वीर, हयमार, इयन्त्र, शतकुन्द अवरोधक, करवीर (सं० पु०) कारं वीरयति, वीर विक्रान्ती वीरक, कुन्द, शकुन्द, श्वेतपुष्यक, प्रखान्तक, नखराद, अण। १ कपाण, तलवार । २ देशभेद, काराष्ट्रदेश। अखनाशन, स्थलकुमुद, दिव्यपुष्य, इरिप्रिय, गौरीपुष्य ३ राजपुरीविशेष, एक शहर। यह चेदिदेशके निकट और सिन्धुपुष्प है। यह दो प्रकारका होता है- अवस्थित है। गोमन्त पर्वतसे करवीर पैदल पहुंचने खेत और रख । खेतको खेतपुष्प, खेतकुम्भ एवं तीन दिन लगते हैं। कंसका वध सुन जरासन्ध क्रुद्ध अखमार और रक्षकरवीरको रसयुष्प, चण्डात तथा हुये और राम तथा थाके विनाशको कामनासे लगुड़ कहते हैं। हिन्दी तथा दक्षिणों भाषामें कनेर, मथुरापुरी धेरै पड़े थे। किन्तु रामवाणने अपने तामिजमें पलारि, तेलङ्ग, घेवर और अंगरेजी में पराक्रमसे उन्हें सम्म गरूप पराजय किया। जरासन्ध यह भोजौण्डर (Oleander ) कहाता है। इसका 'फिर भागे थे। वह चेदीखरके अभिप्रायानुसार राम वैज्ञानिक अंगरेजी नाम नरियम प्रोडोरम (Nerium और साणने चेदि अनतिदूरवर्ती करवीरपुरको ओर odorum) है। कनेर देखी। यात्रा को। आगमनको वार्ता सुन उधत करवीरपति उभयप्रकार करवीर भारतवर्ष नाना स्थानमें शृगाल रामसाणको राह रोकनेको उपस्थित हुये, उत्पन्न होता है। किसी वृक्ष केवल रच अथवा किन्तु घोरतर. युद्दमें मारे गये। (रिवंश ८९.१०१ १०) खेत और किसी किसो खेतरतमिश्रित पुष्य प्रति महाभारतके समयसे यह एक तीर्थस्थान माना जाता हैं। शेषोता करवीरको अनेक लोग पद्मकरवी करते है। स्कन्दपुराणके सयाट्रिखण्ड में लिखा.है- हैं। वैद्यकशास्त्रके मतसे उभयप्रकार करवीर तिक्त, लट। । .करवी देखो।