पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/९२

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यह करशाखा-करस्पर्शन 2.३ करशाखा ( स० स्त्री०) करस्य शाखा एव । १ अङ्ग ती करसना (हिं० कि०) १ पाकर्षण करना, खींचना, इसका संस्कृत पर्याय अग्रव, अखा, क्षिप, विध, घसीटना।२ सुखाना,राना। ३ एकत्र करना,समेटना। गर्या, रसना,धोति, अथर्य, विप, कक्ष्या, अवनि,हरित | करसनी (हिं. स्त्री०) लताविशेष, एक वैत। स्वसार, जामि, सनाभि, यात्रा, योनन, धुर, शाखा, उत्तर भारतमें उत्पन्न होती है। पत्र २३ इच्च दीर्घ अभीशु, दीधिति और गभस्ति है। (वेदनिघण्ट, २ ५० ) और धूसरवर्ण रोमसे आच्छादित रहता है। फरवरी करशीकर (सं० पु० ) रात् करिशुण्डात् निःसृतः और मार्च मास पुष्प पाते हैं। पक फलके रंग बैगनी स्थाही तैयार होती है। मूल एवं पत्र औषध पड़ता शीकरः करस्थ शोकरी वा। १ हस्तिशुण्डनिक्षिप्त है। करसनीका अपर नाम हीर है। जलकणा, हाथोकी संडसे फेंका हुवा पानी। इसका अपर संस्थत नाम वमयु है। करसमा (हिं०) करमा देखो। करसम्भव (सं.ली.) रोमकलवण, सांभर नमक । "उदान्नमग्नि शमयांवभूव गंजा विविनाः करशीकरण।" (४) करसा, करस देखो। २ वमन, के, शंट। करसाइल, करसायल देखो। करशुद्धि (सं० स्त्रो०) करस्य शुद्धि, ६-तत् । इस्तशो- करसाद (सं० पु०) करस्य सादः अवसवता, कर- धन, हाथ की सफाई । 'फड़' मन्त्र पढ़ गन्धयुष्य हारा सद भावे धन । १ इस्तदौर्बल्य, हाथको कमजोरी। इस्तशोधन करते हैं। "पादाबण्यादिकन्यासः करगडिन्तत: २.किरणको प्रवसन्त्रता, शुवावोंका कुभिलाव । परम्। ( नन्नसार ) पूजादि कार्य में ऋष्यादि न्यासके पीछे ही करशुधि पाती है। करसान (हिं. पु.) वषाण, किसान । करसायर, करसायख देखो। करंशू (हिं. पु.) वृक्षविशेष; एक पेड़। यह विशाल वृक्ष सर्वदा हरिहर्ण बना रहता है। अफगानिस्तानसे करसायन (सं० पुं० ) कणसार, काला हिरन । "नाके कुलको मौन है.गद्दे रहे हो तीम। भूटानतक करशू पाया जाता है। काष्ठ सुदृढ़ होता है। अनार ( कोयला ) अति उत्तम निकलता है। पत्न करसी (हिं० स्त्री० ) १ करस, करने का चूरचार । करसायलकै सौंगकी २ नमावत कोन।" पशुखाद्य है। चौनांशुकका कोट करशूपर प्रति- पालित होता है। २ उपला,.उपरी। करशूक (सं० पु.) करस्य करे वा शूकः सूक्ष्मायः करसूत्र (सं० लो०) करे स्थितं सूत्रम्, तत् । सूच्यान इव वा । नख, नाखून। १ दस्तका सूक्ष्म सूत्र, हाथका बारीक मूंत । २ विवा- करशोथ (सं० पु० ) इस्तशोथ, कलायोको सूजन। हादिकालीन मङ्गलार्थ इस्तत सूत्र, रखिया, कंगन।' करश्मा (फा० पु. ) आश्चर्य कर्म, अनोखा काम, करस्थाली (स.पु.) कर स्थानीव अस्य । महादेव । जैसे स्थानी ( हांडी.) में पाक पड़ता, वैसे ही प्रलय • करष (हिं.) सर्प देखो। काल महाकान्तरूप महादेवके हाथ समुदाय भूत मरता है। करषक (हिं०) कर्षक देखो। "वलस्तान्तः करस्यालो.कईस'इननो महान् ।" ( भारत, पनु० १००) करपना, करसना देखो। करस (वै० ली ) क्रियते यत्, क-अमुन् । कर्म, काम । करन (वै. पु.) 'करं नाति करोति धातूंनामनेका- थं वात्, क-अपना-क। कर्मकर बाहु, काम करने "प्रते पूर्वाणि करणानि विप्रा विदा पाइ विदुषे करांसि।" (ऋक् २०) वाला बाज। "२वत् समा करवा दधिषे व पि।" (ऋक् श१५५). करस (हि. पु० ) कण्डेका चूर। यह भाग मुलगानेके करस्पशन (सं० लो०) नृत्योतातक्षरणविशेष, काम आता है। नाचका एक दंग। इसमें ग्रीवा उच्चकर उछाची जाती Vol. IV. . जादू, चालाकी। 24