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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२८९

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____२६४ लाविम् -लासा दाविन (म पु०) लणिनि । छेटक, छेदनेवाला। अवस्थित है। यहाके सामनकर्ता जाम ( मरदार ) लावु (म० स्त्री० ) कद्द घिना। नामसे विख्यात हैं। लावुभान-भारतीय द्वीपपुलके अन्तर्गत एक छोटा होप। यहा जामोट, सावरा, याच्या, गुदोड, अगारिओ, यह बोर्णिो द्वीपके उत्तर-पूर्व उपक ठसे ६ मील की दूरी पर रुझा, गुगा, वृणा, मुन्द्राणी, शेय, मुमोना, गुडा, शवस्थित है। इसके दक्षिण सुप्रसिद्ध विक्टोरिया बंदर मुग्नुर. बगडिया, मेरी, धीरा वुधार, मङ्गा, बावरा, और, Aथा उसीके सन्मुग्य भागमे कई छोटे छोटे द्वोप, नुमनी वा लुमरी, जगदल, गुजर, संगूर और होरमाग ( Islct) है। इसकी लंबाई १० मील तथा नौडाई ५ आदि जातियोंका पास है। जामात जातिके बारह मील है। समुद्रतीग्वत्तों भूपृष्टका एईम और रेलपथका थोकॉमसे पक थोर जाम-सरदार उत्पन्न हुए है। उपयु परि स्तर देख कर अनुमान किया जाना है, कि उन सोनमिनो यहाँका प्रधान बाणिज्य बन्दर है। इसके एतरने ही गह द्वीप बना है। कुछ उत्तर बेरला नगर अवस्थित है । यही म्धानीय राज. यहा कोयलेको ग्यान है। उसमें सुन्दर कोयला पाया। धानो कद फर विरशत है। यहां अनेक प्रानोन मुद्रा जाता है। म्यान स्थान पर अविशुद्ध लोहे की सन और मृत् पानादि पाये गये हैं। इससे अनुमान होता है, दिखाई पड़ती है। द्वीपवामिगण इमी लोहेने बरतन भी कि बहुत प्राचीनकाल से ही इस देश मे बैदेशिक वाणिज्य बनाते हैं। पूर्व भारतीय द्वीपपुजमें अङ्करेनों के जितने उप प्रचलित था। मेकरान् और सिन्धु प्रदेश में मुसलमान निवेश है, उन म्बोंके मध्य यह सबसे छोटा है। १८४६ समागमके समय यहां मम्भवतः अरबवासी मुसलमान- ई०में यह गरेनोंके हाथ मौपा गया था। चणिक उपनिवेश स्थापन करेंगे। लाई ने--एक फगनी शासनकर्ता। ये १८वी सदीके लासफ (सं० ली. ) लमतीति लम-खुल । १ मट्टक, मध्य भारत-मदासमुद्रम्य फगमी अधिकारों के शासन- मटका, घडा। ( पु० ) २ लारपागे, नाचनेवाला, कर्ना हो कर पूर्ण देशमें पाये और भारत उपकूटमें नवनिया। ३ मथर, मोर। ४ चेष्ट, गोंद। (त्रि.) फगमी-नाकोला र मन्द्राज पर बना कर बैठे थे। ५दोप्तिकारक, चमकानेवाला। लावरणि (स.पु.)लवेणिका गोन्दापत्य । लासको ( स स्त्री० ) लामक । नर्तकी, नाचने लावरणीय ( स०त्रिक)लावरणीका गोवापत्य । घालो स्त्री। लाध्य ( स० लि. ) प्यन् । छेय, छेद करने योग्य । लासन ( दि. पु०) जहाज बांधनका मोटा रस्ता, लाम (फा० स्त्रो०) किसी प्राणीका मृतक देह, शव। लडासी । लापुक (सं० वि०) लप-उगान् । गृनु, लोभी। 'लासा (हि. पु०) २ कोई लमदार या चिपचिपो चोज, लास ( स० गु० ) लस-यञ्। १ नृत्यमात्र, एक प्रकारका लुमाव । २ एक विशेष प्रकारका चिपचिपा पदार्थ जो नाच । २ मटक। ३ जूम, शोरबा। बहेलिये लोग चिड़ियोंको फंसाने के लिये घरगद ओर लास (हि पु० ) उस छडके दोनों कोने जिसे पाल गृलरके दृधमे तीसीका तेल पक कर बनाते हैं। इसे वाधने के लिये मरतलमे लटकाने हैं। प्रायः वे लोग वृक्षोंको डालियों पर लगा देते हैं सौर जव लास-लुचिस्तान के अन्तर्गत एक प्रदेश। यह अरब पली उन पर आ कर बैठते हैं, तब उनके पर्गेमे यह लग सागरके किनारे अवस्थित है। सिन्धुनदकी 'ब' द्वोपभूमि जाता है जिससे वे उड नहीं सकत । उस समय यहेलिये और हाला-ए-तमाला द्वारा यह निम्न सिन्धुप्रदेशसे अलग उन्हें पकड़ लेते हैं। हुया है । इस समुद्रीपकूलवती प्रदेशकी लंबाई १०० मील लासा ( Lhassn )-हिमालपके उत्तर पार्श्व सुविस्तृत तथा चौडाई ८० मोल है। इसको उत्तरी सीमा पर तिव्वतराज्यको राजधानी। यह जगग्द भोट मायामें झालयान पनन और वौद्ध-राज्य, पूर्व और पश्चिममें | रु.छन्-प या तुप र प्रदेश कहलाता है। फिर तिब्बतीय बड़े बड़े पर्वतोंका समूह तथा दक्षिणमें भारत-महासागर भाषामें लहा शब्दका अर्थ देव और सा का विश्राम-