पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२९७

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३०२ लाहोर ले फर ७४४० पू० तक विस्तृत है। यहां ७ थाने हैं | यहाँके हिन्दू राजाओं और प्राचीन मुसलमान जिनमें ७६० रेगुलर पुलिश तथा ३२२ चौकीदार हैं।। राजाओं के अधिकारकालमें लाहोर नगरकी अवस्था इस तहसीलमें लाहोर नगर और ३७२ गाँव लगते हैं। कैलो थी, लाहोरके जिला इतिहासमें उनका कुछ लाहोर नगर-पजावप्रदेशको राजधानी और लाहोर आमास मिलता है। अजमेरके राजवंशीय एक चौहान विभागका विचारसदर। यह अक्षा० ३१ ३५ उ० तथा राजपूत यहाका राजत्व कर रहे थे। इनके चंशके ही देशा० ७४२० पू०के बीच रावो नदी के किनारे अब जयपाल तथा अनङ्गपाल दो राजे हो गये हैं। इनके स्थित है। जनसंख्या १८६८८४ है जिनमें मुसलमानों जमाने तक यहां हिन्दुप्रभाव प्रतिष्ठित था। इसके बाद की ही संख्या अधिक है। प्राचीन लाहोर नगरके सण्ड । क्रमसे गजनी और गोगवंशीय मुसलमान सुलतानने हर पर यह वर्तमान नगर स्थापित हुआ है सही, किन्तु पजावको जोत कर यहा अपनी राजधानी कायम की अब भी उसकी प्राचीन कीर्तियोंका लेप नहीं कर सका थी। उन्होंने जिन इमारतों को बनवाया था, उनका है। आज भी इधर उधर फैले वहुतेरे प्राचीन नमूनोसे | धसावशेष आज भी मौजूद हैं। अतीत स्मृत्तियोंकी कीत्तियां लोगोंके नेत्रों में विराजित हैं। मोगल सम्राट के गजत्यकालमें लाहोर नगरकी मोमा लाहोर नगरका पुरानोसे पुराना इतिहास और प्रत बढी थी और यह नगर सुन्दर सुन्दर अट्टालिकाओं तत्त्वके सम्बन्ध आज भी कोई विशेष प्रमाण नहीं द्वारा सुसजन हुआ था। मुगलराज हुमायूं, अकवर- मिला है। यहांके हिन्दुओं की दन्तकथागो से मालूम | शाह, जागोर, शाहजहान, औरगजेवने यांकी कारी- होता है, कि यह नगर अयोध्यावासी श्रीरामचन्द्र के वंश- गरीको पराकाष्ठा दिखलाई थी। उनके राजत्वकालमें धरों के राजत्वकालमें उन्नत हुआ था। उपरोक्त श्रीराम- लाहोर नगरके इतिहासमें वास्तवमें स्वर्णयुग उपस्थित चन्द्रजोके दो पुत्र लव और कुश अपने नाम पर लावोर | हुआ था। तथा कुशर नगर स्थापित कर शासन करते थे। पीछे । ___ बादशाह अकबरने यहाके फिलेका रूप बदल कर इन नगरों का नाम बिगड़ते विगडते लावोरका लाहोर इसकी पूरी मरम्मत कराई थी। उन्होंने इस नगरके तथा फुशरक' कसूर हो गया है। किसी किसी प्राचीन | चारों ओर चहारदीवारी बनवाई थी। उसका त्रिह संस्कृत ग्रन्थों में इस नगरका नाम लवारण्य या लबारण माज भी देख पडता है। महाराज रणजित् सिंहने उसी मी कहा गया है। भग्नावशेष प्राचीर (चहारदीवारी) पर ही ईटोंकी __इस दन्तकथाके सिवा और कोई इसके पुराने इति- जुडाई करा कर चहारदीवारी तैयार कराई थी। हिन्दू और हासका कुछ पता नहीं लगता। सिकन्दरके समयको मुसलमान-शिल्पके बहुतेरे नमूने अकवरके प्रतिष्ठित इतिहासकारोंने इस नगरके सम्बन्धमें कुछ नहीं लिखा लाहोरी फिलेमें दिखाई देते हैं। इस समय कहीं कहीं है या वाह लिक यवनवंशीय (Greeco Bactrien) | उसकी मरम्मत करते समय उन नमूनेमें कुछ नष्ट हो गये राजों द्वारा प्रचलित कोई सिक्का यहाँके पण्डहरों में नहीं हैं। महात्मा अकवर शाहके राजत्वकालमें लाहोर पाया गया है। ये सब देख कर सहज ही अनुमान होता नगरकी जनसंख्या-वृद्धिके साथ साथ नगरकी चौड़ाई है, कि भारतके इतिहासमें पहली अवस्थामें लाहोर | भी बढ़ो थी। जहां बहुसंख्यक लोगोंको वस्ती थी, वही नगरके किसी तरहकी समृद्धिके परिचयसे भारतीय स्थान आज लाहोर नगरके नामसे प्रसिद्ध है। प्राचीन अवगत न थे। ईस्वी सन्की ७वी शताब्दीके प्रारम्भमें | नगरको चहारदीवारीके वाहर जनशून्य स्थानों में इस बौद्धधर्मके जिज्ञासु चीन परिव्राजक यूपनचुवङ्गने अपने | समय बहुत बडे राजाको और लोगोंको वस्ती हो भ्रमण-वृत्तान्तमें इस नगरकी समृद्धिका विवरण दिया। रही हैं। है। इससे मालूम होता है, कि ईस्वी १से ७वीं शताब्दीके | मुगल सम्राट जहागीर समय समय पर यहा आ भीतर यह लाहोर नगर बड़ा ही समृद्धशाली था। कर रहते थे। उस समय लाहोर नगर समृद्धिसे पूर्ण