पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/६४८

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पद्धपान ६६३ प्रदेशार्म नहीं है। गोडे वर उनसे कह धार परास्त हुए। जहाको दिल्ली भेननेके लिये शेर अफगानके साथ युद्ध थे। अतमें धर्मात्मा लाइसेनसे चे पराजित हुए। किया था। यद्धमान स्टेशन दक्षिण स्वाधीनपुर नामक इस छाइ घोपके गढका भग्नावशेष आज भी सेनपहाडीमें | प्रामम जिस स्थान पर दोनों वोरोंने युद्ध क्यिा था, भाज घरामान है। भी यह स्थान देनमें आता है। इम निलेके अतर्गन पत्तमान भूरसुट परगनेमें भूरि । १६२४ १०में शाहजादा तुरंम (शाहजहा)ने बर्द्धमान श्रेष्ठो नामक एक ममृद्धशाली नगर था । यहा पटीय दुर्ग तथा शहर अपने अधिकारमें कर लिया । पादशाह स्यों शतादी न कायमच राजे राज्य करते थे। यहाके , औरजेवक पौत्र आजिम उस्मानने १६९७ इ०से रेफर पाण्डा हि तथा मुसलमान दोनों ही राजाओंक। १७०४६०के मध्य बद्ध मान एक सुन्दर मसजिद् निर्माण समय प्रसिद्ध थे। सेनरशीय राजाओंके मध्य शिराय की, आज मी वह देवनेको चीज है। सेनने विनयपुर नामक एr नगर वसाया था। वर्तमान वद्ध मान रानवश । यहा बहुत दिनोंसे मुसलमानोश सम्रा चला। पाप प्रदेशान्तर्गत लादोर नगर कोटली महला माना था | मेमारीके उत्तर पश्चिम श्रीमाणनगर निवासी सगम राय पद्ध मान राजशफ भादिपुरुष नाम प्राममें सैयद जलाल उद्दीन ताबिजाने कुछ थे। अष्टोय १६वीं शताब्दीके शेर भागर्म सद्गम राय अपने समय तक प्रस्थान किया था । ५४२ हिजरी या परिवारफे साथ जगरनाथ दशन करनके उद्देशसे श्री १२४४ ४५ इ०में पाडमा उनको मृत्यु हुइ । उक्त क्षेत्रधाम गये। लौटने समय चे घद्ध मानके निफ्ट राई श्रोग्णनगरमें जला7 उहीन के नाम पर 'मदरसाद पुर प्रामम व्यवसाय करने के अभिप्रायसे वस गये । यहा जलालिया' नामक एक मदरसा प्रतिष्ठित है। वर्द्धमान से अनाज सरोद कर दूसरे दूसरे स्थानोंग घेवना दो निफे कह स्थानों में प्राचीन दुर्गाका 7 सावशेष दृष्टि उनका व्यवसाय था। धीरे धीरे उ7 रोजगारमें वहा गोधर होता है। छुटोपुर परगनम मेमारी स्टेशन के दक्षिण उन्नति हुई। धुलीन प्रामके निकट कई प्राचार गढोंका भानावशेष विद्य मान है। अजमनशाहो परगन में भाराकुल ग्रामके निकट सङ्गम रायका मृत्युफे दाद उनके पुत्र पद्दविहारी रामचद्रगढ़ पच अजपादक निकट शेरगढ परगने में राय भी राईपुरमें अपने पिताको तरह व्यवसाय करन लगे रानीगजके उत्तर मोर मा कर एक गद नजर आते हैं। एव सौभाग्यवश इनके व्यापारमें भी धार धार उन्नति घद्धमान शहरम ही प्रसिद्ध बहरम सका नामक प्रसिद्ध होने लगी। मुमलमान करिशी कनगाद दिखाई पड़ती है, यह कनगाह बदविहारी रायको मृत्युके बाद उनके पुत्र भावराय ठो दुर्गफ ममान हा है। आगामे सिंहलद्वापकी राहपुरम पद्ध'मान आ कर बस गये। घ इस देशम एक यात्रा समय कविपरने १५७१ १०में पर्वमानर्म ही सिपात व्यापारी थे। एक समय दिल्लीश्वरको सेना जोग्नयात्रा समाप्त को हम चपक मुसलमान इतिहाममें घद्ध मान पहुंची, आयूरायने उन रोगोंको नाना प्रकारके प्रथम उल्लेप व मानका हो देव पड़ता है । राजमहल में भोजनशे सामप्रिया प्रदान की। इस पर उक्त सेनाक दाउद माँको पराजय तथा मृत्यु हो जानेक बार अकवर- अध्यक्षने मुश हो कर हे १०६४ दिनरी (१६९७ १०)में की सेना पर्द्धमान पहुच पर दाउदके परिवारवर्ग पर घद्ध मानके फौजदार अधान रेकाबा वाजाय, इनाहिम भाक्रमण किया। इसके बाद दश वप तक दाउदके पुत्र पुर और मुगलोरीके कोतराल पर चौधरीके पद पर इतन्दुप्पा मुगलोंके यियद्ध वर्द्धमानमें समरानल प्रज्च नियुक्त क्यिा। उस ममप इन तीनों स्थानों में पाशि लित करते रह। कुतन खां दखा। राजस्य सिफ ५३२) रपये या सुविशार समृद्धिशाला उनको पत्रफ पास ही नूरजहाफ स्वामी शेर अपघद्ध मान राज्यका इस तरह सूत्रपात हुआ! गान तथा बङ्गारक शासनस्त्ता कुतहोनके मकवरे मायूरायको मृत्युष बाद उनके लटक वायूराय पैनल देख रडत हैं। दिशाश्वरय मादासे कुतयुदतो नूर पद तथा सम्पत्ति अधिकारी हुए। धोरे धारे उन्होंने