पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/७२८

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बता ७५३ जीवहत्याफे बाद रमायनकार्य शीघ्र हो सम्पादन करना। अयशिष्ट गवदेहको घे लोग टुण्डा टुकड़ा फरते पच चाहिप, कारण शयदेहसे तुरत वरवो अलग न करनेस | उस घायलर (Boiler) में डाल कर चरवो पाइर करते उसक साप संयुक्त ततु और मासस्वके साथ साथ है। पर एक घायलरम १० से १५यैलों तकका मास चरखी भौ सह जाती है। अट सकता है। हर एक कसा वाटा ऐसे ५ या ६ समूचे ससारक मध्य मिफ कमराज्य में ही सर्ग | घायलर होते है। तदन तर कडाहेक गातमें मास लग पेक्षा अधिक परिमाणमें पसा उत्पन्न होती है। उस | कर जल उठता है, उस पाय ठरके मध्य घे लाग थोडा देशके वाशिन्दे प्रायः प्रति थप २५ पराड पोच वजनको जल देते है । कडाहस्थित मांसास्थिको मज्जा (Soup) यसा रिमिन देशोंमें भेजते हैं । इसके अतिरिक्त घे लोग | कहते है । जब कड़ाहके ऊपर चरयो गल कर उठती है, अपन देशायासियों के व्यवहारके लिपे यमा तैयार करते तव हत्येसे काट कर उसे पोपेमें रखते हैं। उसक बाद यह हैं। इतनी घसा भाधारणत: यूरोपीय रूसराज्यके दक्षि कस कर पैदेशिक यणिकोंके हाथ मिन देशाम भेजी णस्य पोएाइन एपी (P_ntine steppes ) नामक जाती है। पहले जो वसा उपलाती है वह मयो से सफेद सुविस्तृत तृणमारतफे मध्य हो संगृहीत होता है। यहां ] और मच्छो तथा पाउनाली वसा कुछ हदो को होतो जितने सुगृहत् घसाफ कारखाने हैं, उdalgns: है। पीपेके मारमें चमहे को सिलाइ परके एक एक पहते हैं। ये कारस्याने कवल प्रेट-कसके अधियासियों | थैली बनाई जाती है। दूसरी श्रेणोकी पसा उत्थित होने को हो देख-रेनमें परिचालित होते हैं। यहाफ कर्मचारी पर पायलर गानस्य अवशिष्ट माम और अस्थि लकी रोग हजारों गवादि पशु एक सापपरीइते और एक वर्ष भपाना चापसे एक प्रकारको निकट यसा निकाली वक अच्छा तरह खिला कर उसका शरीर चरपोस भरा जाती है। यह मैलो गदी सा साधारणत कलके देते हैं। जव घे लोग इन पशुओको चरवी निकालनेके , चपक में व्यवहत होती है। उपयुष सममते, तब सोको साइ-याष्टामें मगा। एक मोटे ताजे पैलसे साधारणत २५० स २० पोर पात और वहीं उन्हें मारते हैं। यसा निकलती है, जिसका मूल्य १५० रन्स कम नहीं इन सब फसाइ पार्शम साइ लोगों के बहुत से घर होता। . है। उनके बीच एक निहत गोमास पिझयस्थान, कितने इनसद पशुओ की भात भी परवाद होने नहो पाता। में माससिद्ध करने के लिये वायलर प्रतिष्ठित और किमी) यसाके व्यवसाय धरनेवाले सूमर भी रखते हैं, सूबर धरम चमड़े रहते है । दूसर का धर दफ्तरखान और यह बात साते हैं। इस खानेसे सूअरको भी चरबी बढतो कर्मचारियोंके पासमान है। प्रोप्मकालमें कोई भी है।पाछे इन सूमरो की भी चरदो निकाली जाती है। फसा वाडाम नहो रहता, फेयल कुत्त और शिकारो घसाफे व्यवसाया लोगसफेद और हल्दी रगती वसा पाक्षगण यहाँ मासका गध के विचरते रहते हैं। प्रोम, मध्य जो पीपा पत्ती और नो मायुन बनानेक काममें पोत जाने पर वे पहल थोडा मोटा ताजा पैर यहा सार आता है उसे अलग कर घेचने ह। बध करते है । इसके बाद पपा प्रतुमें थे लोग यपाक जीव शरारको स्थान विशेषजात चरवो कही और मुला से कायारम्म फरते हैं। तब दलक दल कसाइ बाटामें यम होती है। रक्कक (गुरदा) की पार्श्वस्थ घरवी स्वमा पशुला कर नृशसमावसे निहत क्यिा करते है । पशु घत हो क्डी होती है, लेकिन अस्थिगहरके मध्य महा हत्याफे बाद पशुका चमडा उतारते और पिना चरवीवाला जहा चावा उत्पन्न होती है वह उससे बहुत मुलायम होती मास दाजारमें पेचनेके लिपे भेजते हैं। निष्ठुरतासे है। इसके अलाचे मासपेशी और अन्यान्य कमनाय देहाश मारनेके कारण यह मास इतना सराव होता, कोई में जो चरपी रहती है, यह सयो से कोमल होती है और मद पुरुष यह माम नही खरोदते। सिर्फ दरिद हो, उसमें आधा तेल मिला हुआ रहता है। इस तरह जीवदेह खरीदता है। के भी तारतम्यानुसार पसा कड़ा और मुलायम होतो Vol xx 199