पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१२२

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करते है। किन्तु हाथीका बच्चा मूडसे दूध नहीं पीता, | अकबरोमें गज पकड,नेकी-खेटा, चोरखेदा, गाद और नौके होठसे यह काम लेता है । वह दूध पीनेकै समय वार-चार रोतियां कही हैं। सूडसे स्तन दबाता, जिससे महजमे ही स्तन्य निकल खेदा--शिकारियों में कुछ घोड़े पर चढ़ और कुछ पीता है। इयनो दूध पीने के लिये लेट नहीं लगातो पार | पैदल जङ्गलमें घुसते हैं । ग्रोमऋतु हा गज पकड़नेका कुछ अंचो होनेसे बच्चे को दूध पीनेमें कष्ट पहुंचाती है। ठीक समय है। जहा गजोका दल स्वाधीन भावसे घूमा उस अवस्थामें इसे कभी कभी झुक करके दूध पिलाना | करता शिकारी जाकर ढोल और भी बजाते हैं। इसके पड़ता है। घरको पाल हथनो जहा बधतो, महावत | शब्दसे बड़ा गज डर भोर घबरा करक चारी पोर दौडता उसके नोचे ६७ च अचा. मट्टीका एक चबूतरा बना पीर थोडी देर बाद थक करके शान्तिसुखको आशासे देता और हाथोका बच्चा उस पर खड़ा हो करके अना हसको छायाम जा करके पहुंचता है। उस समय पक्का याम दूध पो लेता है । हम्तिशावक ५ वर्ष तक स्तमदुग्ध शिकारी पईको छाल या सनका रस्मो गजक गले या पिया करता; फिर घाम पात खान लगता है । हाथोक पंरम'बध देता है। फिर पाल्न और साखे गजके बहला- दध मुहे बच्चे को बाल, दशवर्षवालेको पुट, बोम सान्ना- | वेसे अगली गज मनुष्यक वाम आ जाता है। को विका और तोम वर्ष वालेको कालवा कहते है। चोरखेदा--जहां जङ्गली हाथियोंका बडा अडडा सता, कभी कभी अपने बच्चे को जन्मग्रहणक पीछे हथनियां तोन शिकारो एक पाल हथिनी ले करके पहुंचते हैं। महावत चार दिन तक अपनो पोठ या दांतो पर रखे रहती है।। पर मुर्दे-मा लेट जाता है। हाथो ३ वष के बच्चको दांत निकलते हैं। हथनीको गर्भाध हथिनाको देख करके अपने आप लड़ने लगी हैं। इसो मि पीडित अथवा प्रसव-वेदना उपस्थित होने पर बीच महावत हाथोंक पांवमें रम्मो बांध देता है श्याम- हाथी औषध खिलाया करते हैं। उस ममय हस्तियथ | देशम इसी प्रथासे हाथा पकड़े जाते हैं। इमको घेरे खड़ा रहता है। यदि हाथोका बच्चा पकड़ गाद-माधारणत: जहां हाथियों का झुण्ड पूमता, जाता, हाथी किसो झाडीमें जा विपते और पीछे उमे एक गट्टा खोद रखते हैं। वह गड्डा घामसे भरा रता टूढ करके निकालते और शिकारीको मार डालते हैं। है। शिकारी थोड़ी दूर पर झाड़ का बाड़मे खड़े कभी कभी हयनी अकेले ही बच्चे को उड्डार करती है। रहते हैं। हाथियोंका झुण्ड वहां पहुंचने पर शिकारो ___ साधारणत: ६० वर्ष में हाथी पूर्मावयव होता है। हल्ला मचाते हैं। इस भीषण शब्दको सुन करके माथी फिर ३० वर्ष में हथनीक भी मब अङ्ग भर पात हर पूर्ण | चारों ओर दौड़ने लगते, धीरे धीरे एक एक करके उसो वयममें गजका मत्था दो टकड़े किये हुए एक गोले जैसा माहे में जा गिरते और ऊंचे स्वरसे चात्कार करते हैं। देख पड़ता है। दोनों कान सूप जैसे लगते और सूड, | किन्तु किसी प्रकार भी वह गडे से निकल नहीं सकते, दत, निङ्ग तथा पूछ भूतलस्पर्शी होती है। सामनेके । बहत दिन उमी अवस्थामें पड़े रहते हैं। किम प्रकार- पोवों में पाच पाच पोर पिछलीमापार सब मिला | का ध न मिलनेसे उन्ह मनुष्यके वशीभूत होना करके १८ नख निकलते है। :: Part .. • मनुष्यके प्रमाधारण बुद्धिकौशलसे महाकावीaerwitter दस विश्राम भारता, भिकारो एक मातङ्गराजको भी बांधना और दिन दिन उसके अधीन बड़ा गहा खोद दे। इसी एक श्रीरको संह हो करके तथा उमका आदेश प्रतिपालन करके सामान्य रहती और उसके मुंह पर एकभरवाजा लगाया जाता परकी भाति खड़ा रहना पडता है। पुराने समयसे ही है। यह दरवाजा रस्मोसे बा । दरवा के पास गजपक नेको चाल है। किन्तु प्राचीन प्राणितत्त्वविदों- ही हाथियोका खाद्य भो टरकारअखते हैं। हाथी में उसका कोई विशेष उपाय नहीं लिखा अथवा सनके पाकरके यह खाद्य खाने लगते पीकसोभमें पड़ करके लिपिबह कर जाते भी अब वह दुष्प्राप्य है। पारन दरवाजेके भीतर हुसते है। व शिकारियोंके