पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१३

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खान्देश 'पहले लोग उनसे बहुत डरते थे । वलवे के समय उन्होंने वाधर नदोगर्भ में मबसे बड़ी पत्थरको खान है । काटी बड़े बड़े अत्याचार किये हैं। रेलवे और गाडिया के मधीमे चूनका कन्ड़ निकलता है। कईको गांठ । चननेसे बनजारों की बड़ी बति हुई है । खान्देशके बांधने और कपास प्रोडन के कई कारखाने खानदेशमें अधिकांश ममतमाम शेख कहलाते हैं। सैकड़े पीछे चलते हैं। उनका मोटा कम्बल इस जिले में लगभग सब ५.से ज्यादा पादमी खेती किसानी करते हैं। जगह बुना जाता है। १८७४ ई० को जलगांवमें ई भमि विभिन्न प्रकारकी मिसती, कौं उपजाज कासने पौर कण्डा बुनने का एक कारखामा खुला था। और कहीं इनकी पड़ती है। स्थानीय कृषक रमे चार भुसावन में रेनवका कारखाना है। भागों में बांटते है-काली पांठगे( सफेद, खारन रफतनाकी सबसे बड़ी चीन कई है। बम्बईके और बुरकी (मफेद तथा नोनिया)। भाटिये स्थानीय व्यापारियों और किसानों से उसे खरीद खानदेशमें ज्वार और बालग बहुत बोया मामा है। गांठ बांध बांध मोधी विलायत भेज देते हैं। बाहर ताप्ती उपत्यका और पश्चिम पसन्नमें गेहूं भी खच भेजी जाने वाली दुमरी चीजों में अनाज, तेलहन, मक्खन होता है । दालों में परहर, चना, उड़द पौर मूगी गोन, मोम पोर गहद प्रधान है। बाहरसे नमक, खेती की जाी है। तेलहनमें तिन पार अन्नमा प्रधान मसाले, धातुओं कपड़े, सूत पौर शक्कर की पामदनो है की होगनघाट और धारवाडके वीजसे उत्पन्न होती है । जनगांव और भुसावल में व्यापार बढ़ रहा है। होती है जां सींचनेको पानी मिसता, अख थोड़ी परले खानदेशमैं बड़ी सडके न थीं। पहले पहल बहुत लगा दी जाती है । मिर्च, मौंफ पोर धनिया बम्बई पागग-रोड बनाया गया, जा इस जिलेमें माले. खास मसाले है । फुलवाडियों में पान के भोट खूब लगाये गांव, धनिया पोर शोरपुर होकर निकलता ह। धूलिया. जाते हैं । मे सूरत पोर म्हामवाड,को भी मडम लगी है। यहां खान्देश जिलेमें मोमार और बरारमे मंगाये गये कुल ८५३ मीन गह बनो, ३२५ मोन पोह। ५. प्रच्छ पच्छ गाय बैस देख पड़ से है। घोड़े छोटे और मोल तक उसकी दोनों नफ पेड़ों की कतारें लगायो बेकाम होते है। गयी हैं। इस जिलेके दक्षिणभागमै नापडोंगास भसा खेतोकी सिंचाई गिरना और पांझर मदीके वांधों वलसक १३०मीन पट गिड़यन पेनिनसुला-रेलवे और झीलों और तालाबों से की जाती है। पश्चिम चमतो है । भुसावल में उसके बंट जानेसे एक शाखा ऐसो कोई नदो नहीं है, जिसमें बांधके चिह्न न मिलें। जबलपुर पौर दूसरी नागपुरको जाती है। १८.. इससे मालूम होता है कि पहले वहां कितने ही बांध ई.को जलगांवमे पामलनेर और चालीसगांवसे सरत. थे। कर एक नहरें भी निकाली गयो।जिलेके अधि में रेलवे खुली थो। हाप्ती वेशी-रेस सरतमे पामल. कांश भागमें पानी जपरी मिसता है। किन्त साता मेरको पाती है। पुराने और ताप्तीसे १.मौसके बीच १..हाथ गहरे साप्ती पोर छोटी छोटी नदियों में एकाएक भयानक तक कूए खोदने पड़ते हैं। बाढ़ पा सकती है । १८ शताब्दको । बार बाद ___ खानद । कनाडा के पास बम्बई प्रान्तका सबसे पायी. जिससे इस जिसमें बड़ी हामि उठायो । १८२२ वडा जनो जिला है। कितमा जान सरकारने ई०को ताप्तोने ६५ गांव बहाये और पचास डुबाये थे लकड़ो पार घासके लिये सुरक्षित रखा है। परन्तु इससे ढाई लाख रुपयेका धक्का लगा। १८७२१.को यहां लकड़ोका खर्च पैदायशसे ज्यादा है। महुवा, पांझरमें बाढ़ पानसे, धूसियाके ५०० घर बह गये। साख, बबून और गोयम बहस होता है। नदीके सामनेका एक गांव गुम पुपा था। कुल १५२ यहां खनिज पदार्थ बहुत कम निकलते है।रमा• गांवों का नुकसान उठाना पड़ा और १६ लाख का मास है रती पत्थर परेक जगह होता है। भुसावसके पास असबाब बिगड, गया।