पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/१९७

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गन्धोलो-गभस्ति १८५ गन्धोस्ती ( म स्त्री० ) गन्धयति अर्द यति । १ स गफ (हिं० वि० ) घना, कठिन, गाढ़ा । २ वरटा. बिरनी। गफलत (अ. स्त्री.) १ अमावधानी, बेपरवाहो। २ गना (हिं० पु०) ईख, अग्ख । चेतका अभाव । ३ प्रमाद, भूल, भ्रम । गवा वेगम-नवाब अली कुली खॉकी कन्या । अग्लोकुलो गफिलाई (फा. स्त्री०) गफलत देखा। खो पांचहजारके मनमबदार थे । इनके छ: अङ्ग लो रहने गबण्डो (हिं० ) कबडडी दगी ! के कारण लोग इन्हें छङ्गा व षडङ्ग ल कहा करते थे। गबदी (हिं० पु० ) एक प्रकारका छोटा गाछ । इसकी पहले नवाब मफदरजङ्गाके पुत्र सुजाउद-दौलाके माथ गन्ना लकड़ी बहुत नरम होती है और शारवायें पत्तियोंसे वेगमका विवाह सम्बन्ध स्थिर हा था, किन्तु किमी ढकी रहने के कारण वाताकै महश दोख पडतो हैं। कारणमे पिताको इच्छामे इसने बजीर इमाद-उल-मुल्क माघ और फागुन माममें यह सुनहले पोले रङ्गक फस गाजी उद्दीन ग्वों के साथ विवाह किया। यह मुसलमान लिये रहता है। यह पेड़ मिवानिकको पहाड़ियों तथा ममाजमें मम्भान्त बगोको एक विदुषो रमणी थी। उत्तरीय अवध, बुटेलखण्ड में पाया जाता है । इसकी वेगमको बुद्ध और कवित्वशक्ति बहुत दूर तक फैलो कालसे एक प्रकारका श्वेत गांद निकलती है। हुई रहो । हिन्दी भाषामें इसकी रचना की हुई गबद्द (हिं. वि. ) जड़, मूव । बहतमी कथितयं अमापि पश्चिमाञ्चलमें मभ्योंके निकट गबर (हिं. पु. ) जहाजमें एक तरहका पाल जो सब ममादृत हैं। टोन पुरक निकट नूराबाद ग्राममें मम्राट् पालीमे ऊपर रहता है। आन्नमगीरक बनाये ह,ए उद्यानमें ये ११८८ हिजरीको गबरगड (हि. पु. ) मूख, अज्ञानी, जए । कमें गाड़ी गई थीं । इनको कवितायें शोजसोदा गबरहा ( दि. वि. ) गोबर मिला, गोबर लगा हुआ । और मिन्नत प्रभृति कवियोंमे मंशोधित हुई थीं। गबरू (फा. वि.)१ जवानीको वह अवस्था जब रेख गप किं. स्त्री० । इधर उधरको बातें जिमकी भत्यता- निकनीती हो । २ भोला भाला. मोधा (पु०) ३ दून्हा. का निश्चय न हो। वर बाती मिर्फ मनको प्रसन्न पति, स्वामी। करन लिय की जाय। गबरून ( फा० पु. ) एक प्रकारका कपड़ा जो चरखानमा गपकना (हिं० कि. ) चटपट निगलना, झटमे खा होता है। इस तरहका वस्त्र लुधियानमें बुना जाता है । लेना। गबीना ( देश. ) कतोला, कतोग गपड़चौथ (दि. पु०) व्यर्थको गोष्ठी, वह व्यर्थकी बात | गब्बर ( फा० वि० ) १ वडी, अहंकारो । २ अालमी। चौत जो चार आदमी मिल कर करते हो। ३ वह मूल्य । ४ धनो, मालदार। गपना (हिं.कि.) गप मारना, बकना । गब्भा ( पा० पु. ) रूईसे परिपूर्ण एक बिछावन । गपिया (हिं० वि० ) गप मारनवाला, मिथ्या बात बोलन- | गब्र ( फा. पु० ) पारमका रहनवाला, पारम देशका वाला। गपिहा (हिं.पि.) गया देवा । अग्निपूजक । गभ ( म० ली. ) भग पृषोदगदिवत् वर्णविपर्यये माधः । गपोड (हि.) गपीडा देखो। भग, योनि । गपोड़ा (हिं० पु० ) अत बात, झ ठो बात। "पानि गर्भ qगी मिगलपितिधारकः । नाजसनेयम १९९० गपोड़े बाजी ( फा० स्त्रो० ) झूठ बकवाद । 'गर्भ वर्ष विपर्यय पार्ष : ग्रथोमी (मोधर) गप्प ( हिं०) गप देखा। गम्ति ( म० पु०) गभ्यत जायत गम-ड गः विषयः तं गप्पी ( हिं० वि० ) १ गप मारनवाला, डौंग हाकन वाला। २ मिथ्याभाषी, झठा। वभस्ति भम् तिच् । १ किरण, प्रकाश । २ सूर्य । २ शिव । गप्पा (हिं. पु०) बड़ा कौर, जो खानेके ममय उठाया "भन्नि प्रकार ममा ब्रह्मदवारको गतिः। (भारत ११.१२३) जाय। ४स्वाहा, अग्निको खो। ५ अङ्कलो, उगली।