पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२५२

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२५० गलगलिया-गलस्कु छारिग्स पहाड़ पर गालब स्थान और छह ऋषियोंके आश्रम कह नदी। वॉसतला और गुटिया इन दोनों खालो के मङ्गम कर गण्य हैं। लोग कहा करते है कि इस ग्रामके उत्तर स्थान पर गलघमिया नदीको उत्पत्ति है। उमके बाद कृष्णानदीके गर्भ पर एक मंदिर है और उस जगह नदी दक्षिगा पूर्व दिशा होकर बहती हुई खुलना जिलेके कल्या- के जलमें रुपये पाये जाते हैं। १८७६ ई०को नदीक जल णपुर ग्रामक निकट खोल पेटुआ नदीमें आ गिरी है। सुखाये जाने पर मन्दिरके ऊपरकाभाग प्रकाशित हुआ था गलचा-- अफगानिस्तानमें बदक्सान प्रदेशको अधिवासी जो अंश प्रकाशित हुअा था उमकी लम्बाई तथा चौड़ाई एक जाति। एसा कहा जाता है कि इरानी और हिन्द ६. हाथको होगी। नदीके तौर पर यनमादवीका जातिसे 'गलना' जातिको उत्पत्ति है। एक समय गलचा. मन्दिर है। इसके अतिरिक्त गलगलि ग्राममें और चार के मिरको खोपड़ो परोक्षाक लिये फ्रान्मकै पेरित नगर में छोटे छोटे मन्दिर हैं। १६८८ ई०को महाराष्ट्रांक साथ | भेजी गई थी। वहां पर टीपनाई माहेबने मस्तक जांच लडाईकै समय सम्राट औरंजैव अपना सैन्य सामन्त लेकर कर आर्य के मस्तकके जैसा ठहराया। फरामो उजफ- दमी जगह पर टिक रहे । इटाली देशके परिव्राजक केरा लवी साहबन इन्हें गलचा नामसे अभिनित किया। साहबन इम स्थान पर आकर उनसे मुलाकात को थो। गलक्कल ( हिंस्त्री०) मछलीके अगमा एक भाग। यह गलगलिया (हि. स्त्री०) सिगेही नामको एक चिड़िया। गलफड़े के दोनों ओर कुर्रा अस्थियों का बना हुआ है। गलगाजना (हिं क्रि० ) खुशीसे गरजना, गालबजाना । इस भाग ऊपर लाल मूइयों को झालर लगी रहती है। गलगुच्छा ( पु० ) गलमुच्छा देखो। इसोकं द्वारा जनमें मिली हुई वायुको वह भीतर खोंच गलगुथना (हिं.वि.) दृष्ट पुष्ट मोटा ताजा, जिसका कर मॉम लेती है। बदन खूब भरा और गाल फ ले हों। गलजंदड़ा (हि पु० ) १ मदा माथ रनवाला, गलेका गलगोडिका ( सं० स्त्री०) विषयुक्त जन्तुविशेष, एक हार। २ रूमाल या कपड़े की पट्टी। यहाथी विषेला जानवर। इसके काटनमे दाह, परिताप, खंद चोट या घाव पर बाँधने के लिये रखी जाती है। और शोथ हो जाता है। गलजोड़ (हि० स्त्री०) गलजीत देको । गलग्रह ( मं० पु० ) गलं कण्ठदेशं राहणाति, ग्रह-अच।। समान अच। गलजोत (हि. स्त्री०) १ एक बेलको दमा बेलके गले में व्यञ्जनविशेष, एक प्रकारको पकी हई मछली। २ तिथि लगाकर बांधनकी रस्मी या पगही, गलजोड। २ गले- विशेष, एक तिथिका नाम । का हार । "कसपचे चतुथी च सप्तम्यादि दिनवयम् । गलतंग (हिं० वि०) अचेत, बेसुध, बेखवर । तयोदशो चतुकच पटायेते मलयहाः । गलतंम (हि. पु०) मनुष्य जो कोई मंतति न छोड अर्थात् ज्योतिष के अनुसार साण पक्षको चतुर्थी, सप्तमी, कर मरा हो। २ से मनुष्थकी जायदाद जिसे कोई अष्ठमी, नवमो, त्रयोदशी, अमावश्या, ओर प्रतिपदा, इन मंतति न हो। पाठी तिथियोको गलग्रह कहते हैं। ३ आरम्भक बाद | गलत ( फा०वि०) १ अशुह, भ्रममूलक। २ असत्य, जिसका प्रत्यारम्भ दृष्ट नहीं होता गर्गादि मुनिगण उस- को गलग्रह कहते हैं। ४ कण्ठरोध रोगविशेष । ५ अप- गलतकिया (हि पु० ) गाला के नीचे रखनका रिहाय आपत्ति परित्याग नहीं की जा सकती मा तकिया। मानकर अमिच्छासे जिसका भार लिया जाता और जिस- गलत्कष्ठ (सं० ली.) गलत् रसादिक्षरणशीलं कुष्ठम । में मिमी प्रकारका गुग्ण नहीं हो केवल वैठ कर अवध्वंस रस रक्तादि क्षरणशील कुष्ठविशेष। एक प्रकारका काढ़ करता हो उसे भो गलग्रह कहते हैं। रोग जिससे लेह इत्यादि निकलता है। मलग्राह ( सं० पु.) मकर । गलत्कु छारिरस ( सं० पु० ) गलस्क छरोगको औषध । मलसिया-बङ्गदेशके २४ परगना होकर प्रवाहित एक । पारा, गन्धक, ताम्र, लौह, गुग्गल, चितामूलणर्च,