पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२६

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२४ खिझना---खिमलासा 'गढ़मेर कोस दक्षिण पूर्व पोर ढोकामे २॥ कोम उत्तर एक जैन मन्दिर भी है। प्रति वर्ष पौषमासको कोप- पखिम पखित।लोकसंस्था प्रायः४०.है। पवाखतलाकमस्या प्रायः ४०. खरका मेनासा। । खिममा (हिं. कि. ) खोजमा, चिड़ना । (वि.) बिगड़े. खिदिर (सं० पु.) खिद्यते अशापप दुःखेन तपसा दिल, चिढ़ जानेवाला। वा खिद-किर 1 षिमदिमुदि खिदीयादि । सय १॥५॥१चन्द्र, खिझाना (हिं. कि.) चिदमा, ना करमा, छोड़ना चन्द्रमा । २ दोन । ३ तापस । खिड़ कमा (Eि क्रि.) खिसकना, सरकमा, चना. खिदिरपुर-कसकसे के दक्षिण एक उपनगर । या पक्षा. जाना। २२१२२५"..और देशा०८८ २२१८ प.में खिड़काना (हिं. क्रि. ) टकराना, इटाना, टासना। अवस्थित है। यहाँ जहाजा का बड़ा कारखाना है। खिड़की (हि.स्त्री.)१ बुद्र हार, छोटा दरवाना। बलबत्ता देखो। यह दीवारों में प्रकाश पौर वायु पाने जानिके लिये लगायो खिद्यमान (स' त्रि.) खिद साच्चोख्य चामश । १ खेद. जाती है ।२ फाटक का कोटा दरवाजा । फाटक बन्द युख, रचीदा । २ सैन्यग्रस्त, फौजसे घिरा पा । उप- करके लोगों के पानेजानेको इसे योस देते है। गुप्तहार, सप्त, सबला वा। घोर-दरवाजा। खिट्र (म. पु. ) विदारक । स्कायिवचित्रवि विधिषि व तो- खिताब (प. पु.) उपाधि, पदयो। त्यादि सप । २।१९।१ रोग, गैमारो। २ दरिद्र, गुवंत। खिसाचो (प.वि.)पाधिधारी. खिताब पाया गया। भेदन, कटाव। खिता (प. पु) प्रान्त, सूवा । खिधन (सं• वि०) खिद पन्तभूत विजय खनिए । खिदमत (फा• स्त्री०) सेवा, टाल, नौकरी। खेदकारक, बसानवासा। खिदमतगार ( फा० पु.) सेवक, टालुवा, मोकर । खिन (म'• त्रि.) खिद- । १ देन्ययुक्त, गरीवीका मरा खिदमतगारी ( फा० सी० ) सेवकाई, नौकरी। इवा।२ पासस, सुस्त । ३ खेदयुक्त, नाखुध। बिदमती (फा.वि.)१ सेवा संसम्न, खिदमत करने. विपरा-१ सिन्धु प्रदेशके थर पौर परकर उपविभागका वाला । २ सेवा सम्बन्धीय, खिदमतके मुतामिका एक तानुक। यह पचा• २५ २६ तथा २५१५. बिदरापुर-बम्बई पान्तीय कोल्हापुर राज्यका एक और देगा एवं ७०१५ पू. बीच पड़ता पाम । या मोरोक्षसे दक्षिण-पूर्व पड़ता पौर शोखर वफस २२४८ वर्ग मील है। इसमें १२५ गांव खामोके अधिकारमें रहता है। इसमें कपिखर महादेव. खगते जिसमें कोई ५४५८१ सोग बमते ।। का मन्दिर विधमान है। दीवार खूब पदे ए काले २ पिपरा तानुकका बड़ा शार। या प्रायः ११. पत्वरकी बनी है । गुम्बज पर पतरकारी की । वर्ष पहले सापित हुपा था। पिपरा पूर्व माराके प्रधान भवन में दो दो महागीदार मणप सगे हुए है। किमारे पक्षा• २५. ४.“पोर देशा• ७८.२५ महपों में दो चौके १ । उनसे बारीमें बीस बार पृ०में बसा है। यहां प्रधानतः किसान सोगोंका बार भीतरीमें १२ सरायदार खम्भे खड़े । मन्दिरके । कपास, अन, मारियस, चीनी, तम्बाकू और पनाम सामने सामा स्वर्गमका है। वागै पोर पाड़की पादिका व्यापार होता है। कपड़ा बुमने और ज्ञापनका स्टी दीवार १५ छोटे पौर भीतर धेरैको शकसमें १२ काम भी खूब है। खिपरामें दीवानो फौजदारी पदा- समे सगे है। मन्दिरसे वार नबारखाना मन्दिर- | सत, यामा, डाकघर पोर धर्मशाला विधमान। के दक्षिण कारमें एक पाय पर देवनागराघरों में सिमसामा-मादेशक सामर जिलेको कुरा सरसोर सिंहदेवकी देवगिरि यादव पिशासिपिगौरसई का एक शारयाचा २४१२३०. और अनुसार १२३५ यकको मौरानका पसेखर पाम देशा० ७६ ३४३. पू०में सामर नगरसे २१ कोस बोपहरको पूजाके उसमें उत्सर्ग किया गया। यहां उत्तर पश्चिम पड़ता है। पावादी कई बार है।