पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२५

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खास्सा-खिखारिया

खामा (प.पु.) शासियत देखो। खिचडवार (जि.पु०) खिचराही, भरने खिंग (फा• पु.) खेतवर्ण पखभेद, नुकारा, सफेद का दिन, मकर संक्रान्ति । रङ्गका एक घोड़ा। इसके मुंहने पढ़े और चारों खिचड़ो (हि. स्त्रो० ) १ दाम पौर चावसका मेन्न । सुमा का रङ्ग कुछ कुछ गुमाशी पौर सफेद होता है। २ दाल और चावल को मिला कर पकाया हुआ भोजन । खिंगरी (हिं. स्त्री० ) विष्टकभेट, मठरी, किसी किस्म का ३ विवाहको एक प्रथा, भात । ४ मिश्रित पदार्थहय, मोयनदार पूरी । यह मैदे को बनती पौर बहुत दो मिली हुई चीजें। ५ खिचराही, मकरसंक्रान्ति । पतलीतथा छोटी रहती है। बदरपुष्प, वेगेका फल । ७ बयाना, साई । (वि० ) खिंचना (हिं० क्रि.) १ प्राकषित होना, खिंच जाना, ८मिश्रित, मिला हुवा । घसिटना । २ निकलमा, बाहर होना । १ समना, खिचिङ्ग-उडीमा प्रान्तके करद राज्य मयूगमनका एक कड़ा पड़मा। ४ जाना, बढ़ना। ५ खपमा, चुसना। गांव । यह प्रक्षा• २१. ५५३. और ८५.५० पृल्में भयके से बममा, उतरना। ७ कलमसे निकनना। अवस्थित है। पाबादो कोई २६८ होगी। इसमें मूसियों, ८ रुकना, बन्द होना । ८ पहुँचमा, चसा माना। स्तम्भों पर इष्टक तथा प्रस्तर निर्मित कई मन्दिगे. १.बिगड़ना, अच्छा न लगना। ११ चढ़ना, महंगा का ध्वंसावशेष मिनसा है। ग्राम मंसग्न एक मन्दि पड़ना। रावली देखने लायक चीज है। मालम होता है कि खिंचवामा हि.क्रि. ) खिंचाना, खोंचनका काम पकवरके सेनापति मानमिन इनमें किसी शिवमन्दिर. कराना। का संस्कार कराया था। खिंचाई कि स्त्री०१खोंच, पाकर्षण, कशिश। खिचड(हिं. पु.) खिचती। २ खींचनेकी उरत या मजदूरी। खिच्चा (स. स्त्री०) खेचरिकाव, खिचड़ो । खिंचाना, खिचवामा देखो। स्विजना, खोजना देखो। खिंचाव (हिं.) खिचाई देखो। खिजमाना (हिं० क्रि० ) १ खोजमा, बिगड़ना । खिंचावट, खिचाई देखो। २ खिजाना, केडना। खिंचाहट, खिचाई देखो। खिजा (फा० स्त्री.)१ पतझार, परसे गिर जानेका खिंडाना (हिं० कि० ) इसस्तासः मिरपबरना, फैसामा, मोसम ।२ पवनति, गिराव। विखेरना। खिजादिया नगानिवो-काठियावाड़के पलावा विभाग खिखिद (हिं० पु.) १ किष्किन्धया पर्वत । यह पहाड़ का एक मध्यवर्ती राज्य । यहां एक गांव है। उसका महिमर राज्यके उत्तरभागमें पड़ता है। २ बीहड़ एक अधिकारी रहता है। पामदनी २८०० रुपया है। जमीन। इसमें ५२) रु. गायकवाड़ को देने पड़ते हैं। सोक- खिखि (सं० पु०) खिरिययाशब्देन खेटति भी.च्या संख्या १५६ है। . भयमुत्पादयति, खि-खिट-ड। एषोदरादिवत् साधुः। खिजाब (प.पु.) केशकस्प, प्रति केशीको कृष्णवर्ण मृगासविशेष, लोमड़ी। 'स्विखिके खास पर किखो बनानका पोषध । पाठ देख पड़ता है। खिजारिया-काठियावाडके गोहसवाड़ विभागका एक खिखिर (संपु०) विहिर पुषोदरादिवतमाधुः । लोमड़। कोटा राज्य । यारान्य दो भागों में बंटा है। इसमें एक खिलिग (स• पु०) सिमित्यव्य शब्द किरति, क-क टकडा २ वर्ग मोम और दूसरा एक वर्ग मील पड़ता है। प्रपोदरादिवत् खत्व न साधुः । १ खिखि २ वारिवासक प्रत्येक अंशका पाय प्राय: डेढ़ हजार रुपया है। इसमें एक रुपबूदार चीज । १ खट्वान, मनदेवका एक बड़ोदाके गायकवाड़ को ३:०) . और जुनागढ़ के थियार । इनका रूपान्तर 'खिबिर' भी होता है। मवावको ४७० देना पड़ता है। खिलारिया होग- पाषष।