पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/२९

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खिलात नगर-खिलाफत १६.२८ पू. में वसा और समुद्रमष्ठसे ४५१२ हाथ स्त्रिलाना (हिं. क्रि.) १ खेलमें लगाना। २ भोजन अंगठा है। खिलात शहर शाहमर्दान नामक कगमा । ३ फुलाना । चूमाके पहाड़ की चोटी पर बनाया गया है। इसमें । खिमाफ. ( . वि० ) विरुष, उलटा। ३ फाटक मगे है। नगरमें दो दुर्ग हैं। पुराने किले का खिलाफत ( ५० स्त्री• ) १ मुहम्मदके प्रतिनिधिका माम मिग है। यही पानकल खान्का महन बन धार्मिक उत्तराधिकार, धर्मसम्बन्धोय प्रतिनिधित्व । गया है। शहरकी चहारदीवार मट्टीसे बनो, जिसके २ खलीफाका रुतबा, खलीकाका बड़प्पन । प्रधानतः वीच मुरचे लगे हैं। चहारदीवारी पौर मोरचों में इस शब्द का अर्थ दामासकस और बगदाद में मुहम्मदसे गोगो चलाने के लिये छेद बने हैं। शहरको गहें बहस इमाकूखानके समय तक राजत्व करमेवाले राजापों का खराब है। बाजार बड़ा पौर सब चीजो मे भग है। उत्तराधिकार है। ३ मुसलमान जगत् के धार्मिक प्रति नगर में एक स्वच्कमसिना नदी बहती है।मिरी टर्म में निधिका पद। बहुतमी प्रथानिकाये हैं। इसे वर्तमान मुसलमान ज्य करनेवाले मुसलमान लोगों का इति. राजपाके पूर्ववर्ती हिन्दू गजापों ने निर्माण किया हाम, हाम, जो खलीफा कमाते थे, प्रधानसः सोमबड़े था। खिलातको गजसमावहत बढिया है। राजसभाके भागों में बांटा है-(१) मुहम्मदके ठीक पीछेवाले सामने ही बरामदा लगा है। यहांसे नगर और चारों उत्तराधिकारी पहले चार खमीफे । (२)उमैयद खलीफे ओगे के पहाड़ों का दृश्य बहुत अच्छा देख पडसा । परि (३) पब्बासौद खमोफे। मगरके पूर्व और पसिमको दो उपकण्ठ हैं। इनको १-पहले ४ खलीफे । मिलाकर शहरके बाशिन्दों का शमार कोई १४ पूजा मुहम्मद के मरने पर प्रश्न उठा था-कौन उनका है । खान् बहरूई जातिक पादमी हैं। नगरको पर्व उत्तराधिकारी होगा। अमर नामक किसी परदेशीने पोर कितनी ही सुरम्य उद्यान विशिष्ट उपत्य काए । बाहरी मुसलमान लाकर मदोनाके बाशिन्दी को दवाया और मुहम्मद के मित्र तथा वशर पदकरको खमीका हैं। उनमें स्थानकोट सबसे बड़ा है। ! बनाया। बलुच और बल चस्तान देशो। अब वकका शासन-प्रबक्रने उस समय बडी स्वधी 'खिलाम नगर- बल नस्थामक खिलात राज्यको राजधानी दिखलायी थो। महम्मदने यनामियों के विरुष जो या पक्षा० २८.२ उ० पौर देशा• ६.३५ पू०में चढाई करने की तैयारी की थी, इन्होंने उसको एकेमे के टामे ८८॥ मोल दूर पड़ता है। लोकसंख्या दो जार. भेज दिया और अपने पाप मदोमा नगरको रक्षा में अधिक नहीं। अधिवासियों में कुछ हिन्दू व्यवसायौ किया। फौज वापम पाने पर पता बलवाश्यों पर भी है। नगर प्राचीरवेष्टित है। मिरी नामक दुर्गमें पाक्रमण करने को भागे बढ़ । परब मैदाम छोड़ भागे खां साहब रहा करते है। . .१५वीं शताब्दीको यह थे। सिर्फ यमनमें की कड़ी सड़ाई हुई। अपने सिर- मौरवारियोंके हाथ लगा और परमाई खानों की पुरुष मुभ सिमाके अधीन बान हनीफ खूब बड़े थे। राजधानी बना। १५७८. ९०को रसने परमद शाह परन्तु जोत म मके। दुरानीका पाक्रमण गेका पौर १८३८९.को.अंगरेजी पड़ोमी देशों पर धर्मयुरको घोषणा जो मुहम्मद के हाथ सगा । ए वर्ष पोछे फिर सरवा विद्रोहियों ने कर गये थे, नये सलाम-धर्मको परयों में सर्वप्रिय इसको अधिकार सिया। किलेके नीचे कामोजोका बनामे के लिये खास जरिया थी। कांकि इसमें लूट एक मन्दिर है, जो मुसलमानो तारीख से पहले का बना मारसे मान भी मिल जाने का मोका था। एवा मालूम पड़ता है । देवीकी मूर्ति समृद्धिका मित्र मध्य और उत्तरपूर्व परबस्तानको अधीनस्थ करके धारण किये हुए दो दोपकों के सामने जो निरन्तर खसोफाको फाज निम्न यू फ्रेटस पर चढो थी, जहांसे अक्षा करते हैं, खड़ी है। वह बलवा होने पर सीरियाको बुलायी गयो । ११५