पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/३०२

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याची-गामिग गाथी ( स. त्रि.) गाथा स्तोलादि अस्यास्ति इनि। ये कुशिक राजाके पुत्र रहे । इनके पुत्रका नाम मामवेद गानेवाला । विश्वामित्र था। हरिवंशमें लिखा है कि कुशिक्मे "समिद गाथिनो कान। ( र १७१) इन्ट्रके समाम पुत्र पानको तपस्या की। तब इन्द्र भय- 'गापिनो गीयमान सामय का(साया) भीत होकर उनके निकट आये और चले गये। एक गाद-बम्बई प्रान्तीय सतारा जिलेके सह्याद्रिका एक जार वर्ष के बाद फिर भी इन्होंने कशिकको दर्शन अन्यतम गिरिवस्म । यह बाई और कोरीगांवके बीच दिया। उनकी उग्र तपस्या देख कर इन्टने पत्रोत्पादनः . खण्डाक नामक क्षुद्र राज्यमें अवस्थित है। खण्डाल और क क्षुद्र राज्यम अवस्थित ह । खण्डाल बार के लिये अपना अंश उन्हें प्रदान किया। कशिकको स्त्री सोnana भोर राज्यके मधास्थ पर्व समें भोरसे पूना और बेलगांव पोरकस्मीक गर्भ में इन्द्र के अंशसे गाधि उत्पन्न हुए। जानेको गाद सबसे मोधो राह है। गाधिन ( म. पु०) गाधर्जायते जन-ड। महर्षि विश्वा- गादड़ (हिं० वि० ) १ शम्त बेल। (पु० ) २ गोदड़, मित्र। सियार । ३ मेष, भेडा. मढ़ा। "गाय: पुवा महातेजाः विश्वामिव मनः ।" (रामायण) गादर (हिं० वि० ) १ भीरू, डरपोक, कायर । २ सुम्त, विवामिव शब्द में विवरण देखो। मट्ठर । (पु.) गाद देखो। गाधिनगर ( मं० लो०) कान्यकुञ। गादा ( हि पु० ) १ कच्चा अन्न, अधपका अनाज । २ गाधिनन्दन (मं० पु. ) गाधनन्दनः। विश्वामित्र ऋषि। कच्चो फसन्न । ३ महुए का फल जो पेड़से टपका हो। गाधिपुत्र ( स० पु० ) गाधः पुतः। विश्वामित्र । हरा महुआ। गाधिपुर ( स.की.) गाधः पुरम। गाधिराजाका पुर, गादि ( म० पु०-स्त्री० ) गदस्य अपत्य इञ । यदुवंशीय कान्यकुन्न । गदका अपत्य। गाधिभू ( म० पु० ) गाधि: भूमत्पत्तिस्थानमस्य । विश्वा- गादित्य (सं० त्रि०) गदितन नित्तम्। वाक्यहारा निवृत्त, मित्र ऋषि । जो वाक्य हारा सिद्ध हो गया हो। गाधिसत ( स पु० ) गाधः सुतः। विश्वामित् ऋषि । गादी (हिं स्त्री० ) एक पकवानका नाम । गाधिम न ( स० पु० ) गार्ध: म नुः। विश्वामित् ऋषि । गादुर । (हिं पु० ) चमगादड़ । गाधी ( सं० पु० ) गाध: प्रतिष्ठास्त्यस्य नि । गाधौ नामक गाद्गद्य ( म. ली. ) गद्गदस्य भावः ष्यत्र । गद्गदत्व, राजा। गदगदका भाव। गाधय (सं० पु. ) गाधरपत्य, गाधि-ढक् । विश्वामित्र "नाहगमा म यजमयेच अहम् । ( सत्र त कल्पस्थान १०) प्रभृति । गाधय स्त्रियां डोष । २ गाधिकी कन्या, गाध (म०प०) गाध प्रतिष्ठायां लिप्मायान भावादौ सतावती। यह भार्गवपत्र ऋचिकको पनी थौं। धन । १ स्थान, जगह। २ लिप्सा, पानको इच्छा, गाध्यण्डा ( सं० स्त्री० ) भूम्यामलको, भुई ऑवरा। लोभ । ३ तलम्पर्श (त्रि०) ४ थाह, जलके नीचेका स्थल। गान (सं० स्रो० ) गोयते गै भावे ल्य ट। गीत, सङ्गीत । "सरित: कुति गाथा: । (रघु० ४।२५) ५ नदीका बहाव, इसका पर्याय गेय, गौति और गान्धर्व है। जपसे कोटि कूल । ६ जिसे तेर कर पार कर सके । ७ थोड़ा। गुगा ध्यान, ध्यानसे कोटिगुण लय, लयमे कोटिगुण गान गाधवतो - जैनमतानुसार विदेश क्षत्रको वक्षार नदि है। अतएव गानके तुल्य उरकष्ट फन्न और किसी में नहीं योंमेंसे एक वृहद नदी। है। गीत देखी। गाधा ( म० स्त्री० ) गाध टाप । गायत्रीस्वरूपा महा- गानविद्या ( स० स्त्रो. ) सङ्गीतविद्या। देवी। गानिग-दाक्षिमासाके वीजापुर प्रदेशमें रहनेवाली एक “गौतमो गामिनी नाधा। (वीभागवत ११.) जाति । तेलविक्रयोलकी एकमात्र उपजीविका है। गाधि ( पु.) गाधते गाधरन् । कान्यकुलके एक . पाजकल रनमें बहुतमे सैल वैचमा छोड़ करके सेती चन्द्रवंशीय राजा । (भार .) बारीसे अयना काम चलाते हैं।