पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/४०६

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गुन्द्राल-गुप्तकाल अच टाप । १ एरका तृण । २ मद्रमुस्तक, एक तरहको गपचुप ( हि स्त्रो. ) १ एक तरहको मिठाई जो मुखमें मुगन्धित धास । ३ प्रियङ्ग वृक्ष, यह औषधक काममें लाया देनसे हो गल जाती है। इस तरहको मिठाई खोये जाता है । ४ गवेधुका, एक तरहको घास । ५ देवधान्य। और मैदे या मिंघाड़े के आटेको धीमें पका कर और गेचनिका । 9 गुड ची । ८ शिरीषवृक्ष । ८ दर्भ कुश। शोरम डाल कर बनाई जाती है। २ लड़कीका एक ग न्ट्राल (म. पु० ) गुन्द्र मिथाववन प्रालाति श्रा-ला- खेल । इसमें एक लड़का अपना गाल फुल्लाता है और क । एक तरहका पक्षी, चकोर। दूसरा लड़का उस पर चूमा मारता है । ३ एक प्रकारका गुना ( गन्ना ) बेगम, एक शाहजादी। यह नवाब अली खिलोना। कुन्नी खाँको लड़का थीं। पहले उनकी शादी नवाब गुपान्त (हिं०) गोपाल देखो। सफदर जङ्ग के बेटे शुजा उद-दौलाक माथ हुई थी, परन्तु गुपिन्न ( म० पु० ) गोपायति गुप-इलच् किञ्च । राजा। पीछेको वजीर इमदाद-उन्न मुल्क गाजी-उद्-दोनको व्याही गुहा ( मत्रि० ) ग प कर्मणि क। १ रक्षित, जिसकी गयों। धौलपरके पास न राबाद बागमें उनकी कब्र है। रक्षा की गई हो। उसका पर्याय-त्रात, त्राण, रक्षित, वह अपने काम ओर जहनके लिये मशहूर हैं। कविता अवित और गोपायित है। २ विपा हुआ। ३ गूढ़, वहत उत्साहपण होती थी। उन्होंने हिन्दी भाषामं गाने । जिम जाननमें कठिनता हो। (पु. ) ४ मङ्गत। बनाये, आज भी गाये और अच्छ समझ जाते हैं । ५ वैश्योंकी उपाधि । ६ परमेश्वर । ७ भारतवर्ष के १७७५ ई०को उनका मृत्य हुआ। विख्यात प्राचीन राजवंश। गुप्तराजवश देखो। गनी (हिं. स्त्रो०) एक तरहका कोड़ा। इमका व्यव- गुलक ( म० पु० ) १ राजा जयद्रथक एक सेनापति । हार ब्रजम डलमें होता है । होलीके अवसर पर स्त्री (भा'त १ २६४ प. ) ( त्रि. ) गुप्त म्वार्थ' कन्। २ गुप्त । पुरुष इसी कोडसे एक दूसरेको मारते हैं। (पु.) ३ बौद्धीको एक शाखा। गुनौर-- युक्तप्रदे शके बदाऊ जिलेको उत्तरपश्चिम तह- गुप्तकथा ( मं० स्त्री० ) गुप्मा चासो कथा चेति कर्मधा। सील। यह अक्षा० २८६ तथा २८ २८' उ. और गूढ़वाक्य, वह बात जो सभीके सामने प्रकाश नहीं की द शा० ७८१६ एवं ७८३८. पू०के मध्य अवस्थित है। जाती। क्षेत्रफल ३७० वगमोल और लोकसंख्या प्रायः १६२२८१ गुणकाल-गुलराजाओंका प्रतिष्ठित एक स्वतन्त्र अब्द। है। एक नगर और ३१३ ग्राम प्रतिष्ठित हैं। माल- वह गुमनृपतिभुक्ति, गुणसंवत्, गुप्तऋपकाल प्रभृति शब्दों गुजारो कोई २१६०००, और शेष २६०००, रु. है। द्वारा भी उक्त हुआ है। यह स्थिर करने के लिये, किस जङ्गल बहुत पड़ता है। ममय वह गु हामवत् चला. पाश्चात्य और द शीय भारत- गुखौर-युक्तप्रद शके बदाऊ जिलेको गुखौर तहसीलका प्रेमिक प्रधान प्रधान प्रायः सब प्रनतत्त्वविद्ने लेखनी सदर । यह अक्षा० २८.१४ उ० और देशा० ७८ २७ पू० उठायी है। परन्तु बहुत दिनके अशेष अनुसन्धान और में अवध रुहेलखंड रेलवेक बबराल टेशनसे ४ मोल दक्षिण अमाधारण अध्यवमायसे भी कोई अमन्दिग्ध प्रकृत गुन- पड़ता है। जनमख्या प्रायः ६६४४ है । अकबरको काल ठहरा न मका । थोड़े दिन हुए बड़ो चेष्टाके बाद अमलदारीमें गुबीर किमो महाल या परगनका सदर सर्ववादि-मम्मत प्रक्कत गुप्काल निर्णात हुआ है। था। मट्टोके झोपड़े बहुत, परन्तु पक्के मकान थोड़े हैं। लिखते हैं, केमे वर गुप्तकाल ठहराया गया- १८५६ ई०को २० वों धाराके अनुसार शहरका इन्तजाम १०३० ई०को अल बेरुनीने अरबी भाषामें भारतवर्ष- होता है । बबराला टेशनको गुनौर हो करके बत के विवरण सम्बन्ध पर एक पुस्तक बनायी थी। फरा- माल जाता है। सीसी विद्वान रनोने सबसे पहले उस ग्रन्थका फारसी गप (स० क्रि०) १ बचाना, रक्षाकरना, (पु.)२ अनुवाद प्रकाशित किया। (१) उस अनुवादका तात्- न्यायकरनेवाला, रक्षाकरनेवाला, विष्णु । पर्य यह है-भारतके माधारण लोग श्रीहर्ष, विक्रमा-