पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५०५

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गेस गैससे अलकतरा जल्दी अलम हो जाता है। इस प्रकार से हो रुपये आवेगे। तब उन्होंने उमे पृथक करनेका नाना स्थानों में अलकतरा जम कर हौदमें इकठ्ठा होता । प्रयत्न किया। उन्होंने यह भी देखा कि, जलर्क माघ है। बादमें फिर वह वहसि उठाकर बेच दिया जाता पामोनियाका ख़ब हो सद्भाव है। पानी आमोनिया है। विलायतमें अलकतरा पहिले बहुत कम कीमसमें , गैसके माथ इतना मिलता है कि, एक भाग जल ७७० बिकता था। अव उससे मजिण्डा, नाल, पीत, लोहित गुणो आमोनियाग सके माथ बिना मिले वह दृा नहीं आदि तरह तरह रंग बनने लगे हैं। इससे इसका! होता। भूल्य बढ़ गया है। इसके अलावा इससे मैकेरिण नामको पहिले पहल लोग बड़ बड़े पानीक होम एक एक प्रकारको चीनी भी बनने लगी है। इससे मोठी तरफ गेम डुबो देते थे, और दूमरी ओर बड़े बड़े बुद दूसरो चीज दुनियामें नहीं है । यह बड़े आश्चर्य की बात! बुदीक माथ गम तैरने लगती थी। इस प्रकार गमकी हैं, इसमें सन्देह नहीं। आमोनिया धोई जातो थो, अर्थात् अामोनिया पानीक अलकतराके हाथसे बचने पर गैससे आमोनियाको साथ मिल जाती थी। परन्तु इसमें देर बहत लगती पृथक करना पड़ता है। गैसके साथ नौसादर नामका है। हादमे जाकर गैसको बहुत देर तक ठहराना पड़ता पदार्थ वाष्यरूपमें मिला हुआ रहता है। घरोंमें अगर है। पाछेको तरफ गमको द्रुतगति मन्द हो जाती है। गैस और नौसादरवाष्य एक माथ जल, तो पीतल, कांसे इस प्रकारसे गमक धोनमें और भो एक यह दोष है कि, आदिम दाग पड़ जाते हैं। पामोनिया गैस एक यौगिक गेमके चारो तरफ पानी नहीं लगने पाता। बर्ड बर्ड पदार्थ है। मूल पदार्थ नहीं। यह एक भाग नाइड्रोजन बुदबुदोक ममान जो गैम है, उसमें बाहर तो पानी लग और तोन भाग अक्सिजनसे बनता है । आमोनिया गैस जाता है, पर भोतर नहीं लगन पाता। भोतरमं जो जिम ममय जलती है, अर्थात् जब वह वायुको अक्सिजनक आमोनिया रहता है, वह पानोंक माथ नहीं मिलती. साथ मिलती है, तब दोनों तरफ नये दो योगिक पदार्थों इमलिए गेममें पामोनिया रह जाती है। की सृष्टि होती रहती है। यवक्षारजन ( Nitrogen)| फिर इसके लिए एक व्यक्तिीने कृत्रिम वर्षाको सृष्टि के साथ पहिलं कुछ अक्सिजन मिल कर नाइट्रस एसिड़, को। जलकलके हारा मूमलधारसे पानो वर्षाया जाता फिर उसमें और भी अक्सिजन मिलनेसेना इटिक एसिड था, और उस वर्षाको भेद कर गैस ऊपर चढ़ती रहती या सोराका द्रावक बनता है। दूसरी ओर उदजनके थी। इससे गेम चारों तरफसे धुल जात माथा अम्सजन मिल कर पानी हो जाता है। पानी हो पामोनिया गैस भो पानोके माथ मिल जाती थी। इस जाय, तो कछ हर्ज नहीं पर घरके भीतर नाइट्रिकएसिड तरकोवमे कुछ लाभ तो अवश्य हुआ, पर पीछे इसमें भी उत्पन्न होते रहममे विशेष क्षति होती है। घरको हवा दोष दोखने लगे। वास्तव में कोयलेकी गस एक प्रकार- खराब होने के सिवा पोतल, कमि आदिके बरतन भी को हाइड्रोकारबोन है, अर्थात् हाइड्रोजन और कार- बिगड़ जाते हैं। इसलिए आमोनियाका अलग करन। वोन ( अङ्गार ) मिश्रित एक यौगिक पदार्थ है। बहुत ही जरूरी है। इम हाइड्रोकारबोनको जलानेसे उत्ताप और प्रकाशको उक्त आमोनियासे हो नोमादर बनता है। नौसादर उत्पत्ति होती है। उस कृत्रिम वर्षाम केवल आमोनिया कुछ फेक देनेको चोज नहीं है, इसको भो कीमत है। ही निकल जाती हो, एमा नहीं, बल्कि उम की हाइड्रो. पहिले विलायतमें नोमादरका ज्यादा प्रचार न था। कारबोन भी बहुत नष्ट हा जाया करता था। जिसमे पहिले मिशर देशमें जंटको विष्ठासे नौमादर बनता था। गमको पालाक और उत्ताप-प्रदायिका शक्ति भो घट वहो विलायतमें थोड़ा बहुत पहुचा करता था । गम जातो थी। इसके लिए और एक महाशयन एक नया बनाते बनाते विलायतके सुचतुर व्यक्तियोंने देखा कि, उपाय निकाला । बहुतसे बड़े किये हुए बड़े बड़े नलों- गमसे ही बहुत पामोनिया निकलती है। निकालने में कोक-कोयला रख कर उससे गम चला दी। गैसके