पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५८५

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गप्रवेश-गोमत् गोप्रवेश ( म०प०) गोः प्रवेश, ६-तत्। १ गोयाका वनमे । गोबी (हि.) गामा देख। घर प्रत्यागमन। २ गोप्रवेशकाल, जिम समयमै गो चर | गोभ ( हिं० पु० ) पौधींका एक रोग। कर घर लौटती हैं, मधा, गोध लो। गोभगडोर ( म०प०-स्त्री.) गवि जले भगडोर अग्निवा गोफ (म० पु०) १ दाम, मेवक । २ दामोपुत्र । ३ गोपियां | चालः । जलकुक्क भपक्षी। का झुड। ४ दृष्टव धक, एक तरहका रेहन जिममें रहन गोभानु ( म० पु० ) तुर्वसु राजाके पौत्र पर वह्निके पुत्र । रखी हई चीज पर महाजनको कोई अधिकार न रह | गोभिगमा ( म स्त्रो) रामतरुणी।। ६२ १२ प . ) वरन् वह मिफ मद लेनका अधिकारी हो। गोभिन्न ( म० पु. ) एक यद्यप्रणता ऋषि । इन्हनि माम- गोफणा ( म० स्त्री० ) फोड़े और जखम आदि बांधने का वेदोय गृह्यमत्र प्रणयन किया है। एक प्रकारका वन्धन जिमका व्यवहार चिवक, नामिका. गोभिलपत्र-गोभिलक पुत्र, एक म्म तिकार। ओष्ठ, स्कन्ध आदिको वांधन के लिये होता है। गोभी ( हिंस्रो०) १ गोजिहा. गायको जोभ । गोफा ( हि पु०) नया निकला हुवा पत्ता, गाभा । २ एक तरहको तरकारी । यह प्रायः ममम्त देशाम गोबद्ध ( म० की. ) गोका मारना । उपजायो जाती है। यह तोन प्रकारको होतो है फल गोबर (हिं० पु.) गोमय, गायकी बिला, गौका मन । गोभी, गाठ गोभी और पातगोभी। फूलगोभोको उगटो गोबरगणश ( हिं० वि० ) १ भद्दा, जो देखने में अच्छान लगभग एक वलितको होतो ओर जमोनम गड़ो रहती मालुम हो । २ म ख . ब वकूफ़ । है । इमके ऊपर चारों तरफ चौड़े, मोटे और बड़े पत्त गोबरहारा (हि. पु० ) गोबर उठाने या पाथने वाला रहते हैं और इनके मध्यम फलका गुथा हा समूह नोकर। होता यं हो तरकारीक काम आते हैं ! गोभो कार्तिक गोबरिया (हिं० पु. ) हिमालय तथा नेपालमें होनेवाला मासके अन्त तक तैयार हो जातो ओर जाड़ा पर्यन्त एक तरह का पौधा । हमको जड़ विष है। गोबरो ( हि स्त्री० ) १ कंडा, उपना, गोहरा । २ गोवर- रहतो है। दूमरो ऋतुओं में खाने के नियं गोभी शुक कर रखी जाती है। का लेपन। ३ पौधोंका गोभ नामक रोग : गोबरेला (हि० पु० ) गोबर में रहनेवाला एक तरह का गोभुज ( म० पु. ) गां पृथिवों भक्ति गो-भुज किप । कोड़ा। गोबरोरा (नि.) गाया ला देव । भूपाल, राजा। गोबन्य ( म० पु० ) श्वेत यावनाल, सफेद ज्वार । गोभृत् ( म० ५० ) गां भूमं विभर्ति भृ-किप तुगागमश्च । गोबाल (म. ली. ) गोका बाल, गायका रोगा। पवत, पहाड़। गोम (देश) १ घोडाको नाभी और छातोक मध्यको गोबालधी ( म० स्त्री० ) चमरीमृग । भवरी। रामा घोड़ा बुरा माना जाता है। २ पृथिवी। गोबाली (म० स्त्री०) गोबान्ला वालोऽस्था: बहुवो० डीप । गोमक्षिका (मं० स्त्रो०) गो: केशदायिका मक्षिका। एक 'औषध विशेष, एक दवा। गोबिया ( देश. ) आमामको पहाड़ियों में पाया जानवाला तरहको मकवी। एक तरह का कोटा बांस । यह देखने में सुन्दर होता और | गोमध (मं० वि०) गां मङ्गति दानाथ मलङ्करोति गो मङ्गिक, इसमें लम्बी लम्बो घनो पत्तियां रहने के कारण इसकी निपातनाबकारलोपः। गोदाता, जो गा दान करता है। छाया मघन होता है। इसके पर्व पश ओंक चारिक काम गोमण्डल ( म० को०) गवां मगडलं, ६-तत् । १ गो. पाते और लकड़ीसे तीर कमान, टोकरे बनाये जाते हैं। समूह, गायका झुण्ड । गोम गडलं, ६ तत् । २ भूमगडल । दुभिक्षके समय दोन ममुषा इम बीजोका भात भी ३ किरणममूह। बना कर खाते हैं। | गोमत् ( सं० वि० ) गौरस्त्यस्य गो-मतप । १ गोस्वामी।