पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५८६

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५८४ गोमत-गोमतो .. २ गोयुक्त, जिसे गो हो । ३ किरणशाली, जिसमें प्रकाश : स्थानसे प्रायः ८० मील दक्षिण-पूर्वाभिमुख आकर मरा- हो। ४ तिवादक, स्तुति करनेवाला। यण नामक एक शाखा देखी जाती है। इसके बाद गोमत ( म० क्ली. ) गवां मत, ६-तत्। अध्वपरिमाण, लखनऊ शहर है। यहां नदीक ऊपर ५ मेतु हैं। इस गव्य ति, दो कोम। स्थान पर मब ऋतुओंम नदीके मध्य हो कर नौका हारा गोमतनिका (म. स्त्री० ) प्रशस्ता गौः नित्यम परनि. लोग आत जात हैं। लखनऊ नगरके दक्षिण गोमती पातः। प्रशस्त गौ, अच्छी गाय । नदी क्रमशः मोर्ण होतो गई है। इस स्थान पर चारो गोमती ( म० स्त्री०) गोमत्-डीप । १ स्वनामख्यात धाराका दृश्य अतिशय मनोहर लगता है। अयोध्या नदीविशेष, एक नदीका नाम । नगरमे १०० मील दक्षिणपूर्व सुलतानपुरक निकट यह स्कन्दपुगणके प्रभामग्वगडमें इमको उत्पत्ति, माहात्मा नदी २०० हाथ चौड़ी एव स्रोतका वेग घण्टाम प्रायः और सानादि फलके लिए इस तरह लिखा है-- दो मौन होगा। गोमती सुलतानपुरमे ५२ मोल दक्षिण "गडामरस्वती पुण्या यमुना च महानदी। जौनपुर जिला तक आई है। यहाँ नदीक ऊपर एक गदावरी गोमकीच नदीपा च नर्मदा सुन्दर पुल है। जौनपुरसे १८ मील दक्षिण वाराणसो मला: ममुद्रसागात मर्ग: पुण्याः पभावा जिलेको निन्दनदो आ गोमतोके दक्षिण कूलमें मिली है। अथांत् गङ्गा, सरस्वती, यमुना, गोदावरी, गोमती, जहाँ गोमतो गङ्गाके माथ मिली है वहांमे कुछ नौका तापी और नर्मदा प्रभृत पुण्यशलिला नदियां समुद्रमें जा मनग्नमेतु हो कर ग्रोम और शीत ऋतुमें गोमती पाग- मिली हैं, इनका जम्न पवित्र है। उक्त वचनमे जाना पार होते हैं। वर्षाके ममयमें नौकाकै अन्नावा पार जाता है कि गङ्गा प्रभृतिको नाई' गोमती नदो भी पर्वत- होनेका दूमरा कोई उपाय नहीं है। टिनवार घाटमे से निकल ममुद्र तक चली गई है। किन्तु महाभारतके खेरी जिलेके मुहम्मदी नामक स्थान तक नदीमें सब मतमे गोमती नदी काशोके उत्तर गङ्गासे मिश्रित है। समय ५०० मी मनी नौका जाती आती हैं। ( भारत ।।८४ ) गोमतो गङ्गामङ्गममें स्नान करनेमे अग्नि गौः गोपदमाधिक्य न विद्यतेऽस्य गो मतुप डीप । ष्टोमका फल होता और कुलका उद्धार होता है। गम-२ विद्याविशेष, गोदान प्रभृति करनेका मन्त्र । गोदाम देखो। तीर्थ में स्नान कर गोमतीमें स्नान करनेमे अश्वमेधका फल ३ गङ्गा । और कल पवित्र होता है। गोमतीमें शतसाहस्रक नाम ___४ पीठस्थानको अधिष्ठात्री गोमन्त पर्वत पर अव. का एक तीर्थ है। इसमें संयत भावसे स्नान करने पर स्थित भगवती मूत्ति । महस्र गोदानका फल होता है। (भारत ) "गामा गोमतो देवो मन्दर कामचारियो।" (देवो भागवत ७३०५०) गोमती नदी उत्तरपथिम प्रदेशके शारजहानपुर गौम्तदस्थि यत्रास्ति गो-मतुप डीप । मृत मवेशी जिलेके अन्तर्गत फलजरताल नामक क्षुद्र दमे निगत फेंकनका स्थान। ५ बङ्गमें त्रिपुरा जिले के अन्तर्गत एक है। यह अक्षा. २८३० उ. और देशा०८०७ पु में नदी । दिपुरपर्वतश्रेणोके अताग्मुरा और नङ्गधरा अवस्थित है। देग्रोहा और घर्घरा नदौके मध्यवर्ती वाल- नामक पहाडसे उत्पन्न चारमा और राइमा नदी दमरा कामय भूमि हो कर प्रायः ५००मील प्रवाहित हो अक्षा. प्रतापर्क ऊपर एकत्र मिल कर गोमती नाम धारण किया • २५ ३५ उ० और देशा० ८३ २३ पूर्व गङ्गाके वामकूल है। कुमिन्नामे प्रायः ७ मोन्न पूर्व बोबीबाजार ग्राम- में पा मिली है। प्रवन स्रोतमें दक्षिण पूर्व गतिमे ४२ के निकट त्रिपुरा राज्य में प्रवेश करती है। इसके बाद मील प्रवाहित हो अक्षा० २८.११ उ. और देशा० ८० पश्चिमाभिमुख हो दाउदकान्दी ग्रामके निकट प्रक्षा. २० पूर्व में अयोध्याके खेरी जिलेमें आ गिरी है। अक्षा. २३३१४५उ० और देशा ४४ १५ पू० पर २७ २८ उ. और देशा० ८००२७ पूर्वमें कथ ना नामक मेघना नदी में मिली है। इस नदोको लम्बाई प्राय ६६ एक शाखा नदीपा इसके वामकूलमें मिली है। इस मील होगी। वर्षाकालमें इसकी गभीरता एवं स्त्रोतका