पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/५९३

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गोधावतो-गाधूम गोधावती ( म० स्त्रो० ) गोधा तत्पदमादृश्य विद्यतऽस्याः रपान पार सुमनमा । बङ्गाला भाषामें इसे गम, गोम, गोधा मतुप मस्य वः डो च । १ गोधापद।। २ वटपत्री, और हिन्दी में गेहू' कहते हैं, फारमोमें गुन्दुम्, पाखोमें घट वृक्षकी पत्ती। हिन्त , तामिलमें गोदुम्बी, तेलगुमें गोदुमल, मलयमें गोवाघल्ली ( से. स्त्री०) गोधामहशो लता ।१ गोधावतो गन्दम, पञ्जाबमें खानक, ग्रीकम पानि, हिब्रूम खित्ता, २ हंसपदी नामको लता इटाली में ग्रेनो, ( Grano ) जर्मनमें Weerzen. रूषमें गोधावीणाका ( मं० स्त्री० ) गोधायाश्चर्मणा नडा वीणा, | Pscheniz, सुइममें II vete; पोर्तगीजमें Trigeo, प्रोल हवा गोधावीणा, स्वार्थे कन् गोधाके चमहाग आवद्ध न्दाजमें Tary: डनमारमें IIvede; फरामीमीमें Pro- क्षुद्रवीणा, गोहके चमड़े से बंधा हुआ वीणा। ment, Bled और अंगरेजीमें इसे Wheat कहते हैं। गोधास्कन्द ( 0 ) गोधास्कन्द देग्ने।। रमका पौधा डेढ़ या पौने दो हाथ ऊंचा होता है और गोधाम्कन्ध ( सं० पु० ) गोधेव स्कन्धोऽस्य, बहुव्रो ! अरि- इसमें कुशको तरह लम्बो पतली पत्तियां पेड़ोसे लगी मेद नामका एक तरहका वृक्ष । हुई निकलती हैं। पड़ोके बोचसे सोध ऊपरकी ओर गोधि ( मं० पु. ) गौर्नेत्र धीयतेऽस्मिन् धा अधिकरण कि। एक मौंक निकलती है। इमोमें बाल लगती है। गेहूं की १ ललाट । गुध्नाति महमा कुप्यति गुध-इन् । २ गाधिका खतो अत्यन्त प्राचीन कालमे होती आई है। गहमे ममस्त देशोंमें मंदा और आटा प्रस्तुत होता है। पृथ्वोके गोह जंतु । ( शब्दरत्नावली ) गोधिका ( मं० सी० ) गुनाति गुध-गवुल -टाप ।१ गोधा नानास्थानों में यह शस्य उत्पन्न होता है। यूरोपर्क अटला. गिटक महामागरक उपकूल पर ३०से ५० अक्षान्तरवर्ती गोह । २ एक तरहको छिपकिली। स्थानमें, रोकी पर्वतके पश्चिम और उत्तरमें, दक्षिण गोधिकात्मज (म० पु० ) गोधिकाया आत्मजः, ६ तत् । अमेरिकाके पथिम कूलमं एवं उष्णकटिबन्धकै मध्यवर्ती १ एक तरहका जानवर जो नर मर्प और मादा गार्क ममतल और उच्च भूमिमें गह अधिकतामे उत्पन मयोगसे उत्पन्न होता है । २ गाहको आकृतिका एक होता है। प्रकारका छोटा जतु । यह वृक्षके कोटर (खाँदर ) में ___ बरार, कोयम्वतुर और ब्रह्मदेशमें भी गेह अधिक रहता है। कभी कभी यह बहुत भयानक शब्द भी किया हुआ करता है । भारतवर्षमें जिस तरह गह उपजाये करता है। बहुतोंका विश्वास है कि उसका अवस्था जात हैं उनका नाम यह है,- जितनी अधिक होती जातो है उतनी ही बार यह शब्द १ Triticuun vulgare var. hybernuun शौत- किया करता है। इसका पर्याय-गौधय, गोधेर और कालिक । गौधार है। २ T. Vulgare, var, aestinum. वामन्तिक । गोधिकासूदन (म० पु. ) गोधेरक, जलगोह, वह गोह ३T. Compositum, मिसरदेशजात। जो जलमें रहता है। ४ T. Tpelta फरासीय । गोधिनी ( म० स्त्री० ) गोधः क्रोडाविशेषोऽस्त्यस्याः गोध. ५T. Monococcum. (इस गें'ईका दाना अन्य एन । क्षविका, कटाई, बरहटा। गरको नाई दो भागमें बटे नहीं है।) गोधो ( हि स्त्री० ) गाध म देखी। ईङ्गल गडमें शरत् और वमन्त कालमें पूर्वोक्त प्रथम दो गोधीश ( म० पु०) द्रोण पुष्यी । जातिकै गहू उपजाये जाते हैं, किन्तु भारतवर्ष में समस्त गोधम ( सं० पु० ) गुध बाहुल कात् ऊम् । गोध म, गेह ।। प्रकारके गेहूं पैदा होते हैं। कार्तिक मासमें अथवा गोध म ( म' पु० ) गुध्यते वेष्टयते त्वगादिभिः गुध ऊम् । मात्र मामके प्रारम्भमें हो गेहं बोया जाता एवं वेशास्त्र १ नागरंग, नारगी। २ वोहिविशेष । इसका मस्त । माममें काट लिया जाता है। पर्वतके ऊपर २३०००से पर्याय-बहुदुग्ध, अपूप, म्लेच्छभोजन, यवम, निस्तुषक्षोर । १५००० फीट ऊंचो भूमि पर भो गैह जन्मता है। Vol. VI. 141