पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष षष्ठ भाग.djvu/६५

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खुशामद-खुसखुसः साथ वाणिज्य व्यवसाय चलता है। सख, कपास, औरङ्गजेबने खुनानखानको बारा वर्ष तक दिमौके पशम, वृत्त और देशीय वस्तु को रानी तथा विलायती कारागारमें बन्द किया था। कपड़ा, धातु, शुष्क फस, चीनी और गुड़ की पामदनी खुशालचंद-दिलीपति मुहम्मदशाहके दिवानी कार्या- होती है। यहां सुन्दर मोटा कपड़ा तथा रेशमी सयके एक कर्मचारी । उन्होंने 'तारीख दू-मुसम्पदा कपड़ा प्रस्तुत होता है। छह सातसौ करघा वरावर शाही, या 'तारिख दूनादिर उजनमाना' नामकी किसाब फारसी भाषामें रचना की है। इस प्रन्यमें खुशामद ( फा० स्त्रो.) अयथा स्तुतिवाद, झूठी तारीफ, माहिम लोदीसे मरम्मद शाहके राजत्वकाल तक चापसमी, किमीको मतमबकी बातोसे वश करनेका हास वर्णन किया है। बाम । खुमानचंद्रकना-दिगम्बर जैनमंप्रदायके पन्य कर्ता। ये खुशामदी (फा० स्त्री०) खु गामद करनेवाला, चापलूस। सांगानेर के रहनेवाले खण्डेलवाल थे। खास इनके दूसरेकी खुशामद करके अपना काम चलानेवास्ता रचित अन्य तो कोई महत्वपूर्ण मिला मही है। पर 'सुशामदी टा' कहलाता है। नने बड़े बड़े ग्रंन्यों का पद्यानुवाद कर डाला है। खुशास-हिन्दी भाषाके एक कवि।एमको का इन्होंने 'हरिवंशपुगण' स. १७८०में 'पद्मपुराण' म. मनोहारिगी रहो- १७८श्में और 'उत्तरपुराण' १७८८ में बनाया है । धन्यकुमारचरित्र, व्रतकथाकोष, जम्बूचरित्र, और "पिय प्यारो भोर की भोर निहार। चौबीसौ पाठपूजा-ये भी उन्होने बनाये। बम्बईके गलबहिया अवसाने नेमा शोभा सदन पपार जैन मन्दिरमें एक यशोधर वरिषरे, जिसको हमने रसिक सुशाल करत निशियामर । कुमिन विहार ॥" १७८१ वि० सं०में बनाया था। मालूम नहीं कि, इसके खुशाम-(पगिहत ) दि. जैन-संप्रदायके एक ग्रन्यकर्ता कर्ता 'हरिवंश' धादिके कर्तासे मिले. या एकही इन्होंने "मुक्तावस्युद्यापन" और "कांजीहादश्युद्यापन" सदश्युद्यापन" है। इनन अपने को सुन्दर का पुत्र पौर दिशी शहरके नामक दो अन्य लिखे है। . जयसिंहपुराम रहनवाला बसलाया है। खशात खान-खटकजातीय एक सर्दार, मालिस खुगात पाठक-युक्त प्रान्तीय रायबरेली नगरके एक पाकोरका पुत्र। पावरके समय में जबकी पार्वती हिन्दी कवि। उन्होंने शाररसको कविता लिखो। जाति कावुनके कई स्थानों में लूट पाट करती थी, खुशी ( फा• स्त्रो.) प्रसवता, पाहाद, दिलको उस मय मालिक भाकोरने पर बादशाहके निकट कुशादगी। रसाभार पाप्त किया। उनके मरने पर उनके सड़के खुर ( फा• वि.), शुष्क, सूखा। २ रसिकतारहित, सुशनखानने याभार ग्रहण किया। जब पोरङ्गजेबने रूखा। (क्रि. वि. ) २ सखे, सिर्फ । पठानको दमन करने के लिये पपनी सेना पफगामः खसालो (फा. स्त्री०) अनावृष्टि, वृष्टिका प्रभाव सीमा पर मेजो मम ममय खशामखानने जननी जन्म- जिम सास पामी नवरसे। भूमिको रक्षाके लिये प्रोजस्विनी भाषामें एक कविता- खुशका ( फा• पु. ) भात, पानीका पका चारस । वसोको रचना की थी जिसके पाठ करनेसे खटक जाति खुश हो ( का• स्त्रो०) १ शुष्कता. सूखापन, सखाई । उत्तेजित की जाती थी। पाजकस भी खटक प्रत्यन्त २ भूमि, जमीन् । ३ पलेथन, नोई या पोवाटका पादर और भतिके माथ ख गालको कविता गाया सूखा पाटा। अनावष्टि, पानी न बरसकी शामत । करते हैं। खु गालको ५९ सड़के थे। जिनमें से कठपुत्र खुसखुम (हि• पु० ) १ खुसर फुसप' कामात मी, बैरामखान था। उसने खटकके शेख रहम कर नामक मुपचुपकी बातचीत। (fan. वि. ) २ चुपके चुपके, एक साप शाकेको मार डासायासी अपराध मी सामाजमा