पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१३४

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१२४ ___ महाकुलीन-पहाकोट .. महाफुलोन ( स० स० ) मदालस्य अपत्यं महाकुल से असाध्य कहा जा सकता है। यह रोग महापEM (महाकुमादन समो। पा ४१११४५ ) इति पक्षे स पन्न होता है। जिसे यह रोग होताई उमे पर महाकुल, उत्तम यंग। . शास्त्रानुसार प्रापश्चित्त करके ब्रह्मन मयलयन करने । महाकुष्ठ (सं० डी०) मत्य तत् कुष्ठश्चेति । कुष्टफे भठारह हुए रोगको चिकित्सा करनी चाहिये । देय मारा हो पदि मेदोमसे यह जिसमें हाथ पैरकी उंगलिया गल कर गिर यह रोग आरोग्य हो जाय तो बहुत भया, मदो मी जाती हैं। कपाल, उदुभ्यर, मण्डल, सिम काफणा, चिकित्सासे आरोग्यता पानेको कम गाया ! पनि किती. पुण्डरोक और प्रमजिह ये सात महायट हैं। पी इस रोगले मृत्यु हो ज्ञाप, गो उसका प्रायश्मिा . कापाल कष्टका लक्षण-चमड़ के ऊपर गपडे की। फरके वाहादि करना होगा। यदि कोई विना भापरिसरा सरद कुछ काला और कुछ लाल, करग, फर्फश तथा : के उमका पाहादि संस्कार फरे, मो सास होनेश तकलीफ देनेवाला विह दिखाई देनेसे उसे फापालपुष्ठ सयों को प्रायश्चित्त लेगा होगा। पाहते हैं। इस रोगको असाप समझना चाहिये। 'महाकूट (सं० पु०) पुराणानुसार एक देशका नाम । औदुम्पर-जो फुष्ठ गुलरके जैसा लाल होता है। महाफूटेश्वर-शिलालिपि पर्णित एक प्राचीन मगर। जिसमें जलन और खुजलाहट मान्दम होती है तथा : महाफूप (म० पु. ) मदाश्यासी पूषनेति । वृहन् कर, जिसके ऊपरके रोप तामडे, रंगके दिखाई देते हैं, उसका पड़ा कुमा। इसका पर्याय भरपद है। नाम मोदुम्बर। महाकूर्म स० पु.) नरपतिभेद, एक राजाका नाम । गएडल-गो कुष्ठ कुछ सफेदी लिये लाल होता है, ' महाकूल (सं० वि०) चा किनारायाला । चिकनाहट मालूम होती है, तथा जो मण्डलाकारमें महायच्छ ( स०सी०) १ च्छातिरछ। २fr। निकाल कर एक दूसरेसे मिल जाते हैं उसे मएडलकुल एक नाम । ( मारा शान्ति) कहते हैं। महारत्यापरिमल (सं० पु०) मन्सयिशेर, सिम-जिस कुछका चमड़ा कद्द के फलफे जैसा महाराष्ण (म.पु.) १ दयींकर मयशेप, सुश्तक सफेद और तारा रंगका होता है तथा सिमन पर अनुमार एक प्रकारका बन जहरीला माप । २ पित जिससे धूलोफे जैसा निकटता है उसका नाम मिsR• विशेष. एक प्रकारका रहा। कुष्ठ है। यह रोग प्रायः वक्षस्थल, हुमा करना है। महाराणा ( स० रो० मा भपगमिता। कारणक-मिस कोदका रंगची फलफे जैसा महानु (म०सि० ) १ दो पताकायुनः, निगमे 20 गहरा लाल और दोनों वगल फाला अथवा धीन काला पनाया फारराती हो। (पु.)२मय, महाय। और दोनों पगल लाल होता है तथा जो यान फट येना . महापंःश (म०सि० ! सुपर फेंगशाली . देमधया पक जाता है उसे काफणक गुष्ट पादसे हैं । यह . वाय. पाल। (०) २ गिय, महाप। . . फोड़ सिदोष विगहने उतान होता है। महामार्ग (मो०) भोपायमस्तुग मामी-- पुरापरीक-जिस कुएका मिसा लाल माठफ पत्ते.. मौना, दम्ना, लोहा, पारा, गुना, दारगोनी, रोसा. केमा सफेदी निधे लाल होता है. उसे पुएरोग-कुष्ठ गनी, संजपर मार माग गर न परापर वराभाग , टेकरी सनफरे। पोहो. प्रमित जो कुछ तक्षाको सीमफे जैसा कमनुमाये रममें गौर कर दो माग गोली माया . मालीफ देनेपाटा तथा पि.मारे बार भोर काला होता. मका सेवन करमे तीन दिन में और मा उमेाता। यही गाल प्राकमा मधुमेह मरहमा पE TV भी पुर। (HIEO राय रोग मम्मे दे । । सारागार) - . . पुरोग दुनिकिरम्प है, इसमें महारकी पर तरह- महाकोर-पर प्रागान गर।