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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/१३९

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महायात्रा महाजनी १२६ फल, मूर्यामूल, नालुक, देवदार, सरलकाप्ट, पार, मूल, मिरुला, रेणुक, देगार, पाटयानु, भालातों, खमन्त्रसकी जद, धयका फल्ल, येलमोट, रसाअन, मोया, नगरपादुका, दरिदा, दारिद्रा, श्यामलता, अनन्समूल, गिलारम, याला, मनीट, लोध, मौंफ, जीयन्ती, प्रियंगु. पिंगु, नीलोत्पल, लायनी, ममीट, दन्तीमून्ट, गनार. . कपूर, इलायची, कुम, पत्रकार, रास्ना, जैसी, सोठ का योग, नागेभ्यर, सालिगपर, पानी, मालनीका नय. और धनियां प्रत्येक ४ तोला। इसके बाद (पातरोगोत.) पुण, विष्ट, पिठन, गुट, नियन्दग भौर पनकाय इन मदामुगन्धिन (लक्ष्मीविलास ) नेलफे, गन्धदथ्य द्वारा २८ यन्तुओकान से। पानियम एनपार करना गधानियम इस तेलका पाक करे। पाक हो जाने पर होगा। इमसे सभी प्रकारका अपामार और उन्माद • उसे उतार कर कपड़े से छान ले । बादमें अपरमे युछ रोग नए दोता है। यह मामी दमाको दूर करनेवाला कुम, मृगनामी और कपूर डाल। यह तेल यान तथा शुभायक माना गया है। प्रतिदिन २ मौला फरफे भौर पित्तहर, पाय और धातुपुष्टिकर माना गपा है। गाय और पुछ गरम पानीफे साथ सेवन करने में बहुत • राजयक्ष्मा, रक्तपित्त और धातु दुर्वलतास उत्पन्न रोगोम उपकार होता है। इस सेलकी मालिश करनेसे बहुत उपकार होता है। महारद (स.पु.) महान उदः पवमय र देयता महाचपला (सं० सौ. ) आर्या छन्द । इमफे दोनों दलोंमें स । २ वृदन पत्र, हाथोकंद । चाला छन्दके लक्षण होते हैं। महान्याय (स० पु० । महती छायाऽस्य । १ पटवृक्ष, महाचमु (सं० स्त्री० ) मेनादल, पाहिनी, फौज। वरका पेड। (नि.)२ पदमागायुक्त। महाचम्पा (सं० स्त्री० ) जनपदभेद, एक देशका नाम। महाच्छिमा (स रखी०) महाजिद्र मस्या।। १ महामेश। मदायर्या ( सं० रनो०) योधिसत्यका अपलभ्यनीय जीयन- (नि० १ २ दहियुग, या जिद्रापाला। (०) __३ कायमत्यरूप नयद्वार, शरीरफा नगमार। महावल (सं० पु०) महान मचला। महापयंत, यहा पदाः । मदाज ( स० पु० ) मदांचासी अति । । पदम्याग, . महायाय (मपु०) १ भाचार्योत्तम । शिय । ३ अद्वैत-पदा बकरा। (नि.) मानो मापने इति मदम् जन विधायिमय भीरचएइमारतके प्रणेता। करि पोदरादित्यात् माधु । २ मालोमय, महाचित्ता (सनी ) एक अप्सराका नाम । जिमका उथ पुलमें जन्म हो। महाचिवाटल (म.लो. 1 गुल्मभेद । ' मदानटा ( मली०) महती अटाम्याः यमरा । २ मदासीन-१ चीनसाम्राज्यका विशेष । २ उस देगका पदम् जटा, बड़ी गटा। रहनेवाला। महाजय ( स० पुगिय, महादेय। महागु (म0पु0) पहच्युचुक्षपड़ी मिनिपारी। महामन (म०) मदांचासीति ।। माधु। मदायुन्द (स.पु.) वाद मन्यासिभेद । । दा विभिन्न स्मामा मिना नागा मनिसाना महाचूध (समो. ) हकपको एक मातृकाका नाम। पांच राज्य निल गुE माना - En" महाचत ( म००) महाराजाप्रपक्ष! (मात १६) महाचैतसपून ( बी०) पूनापदिशेर | प्रस्नु' धार्मिक र याम प्रसाद भार PATATTA प्रणालो-का के लिये गयो, निसोपका मूल, टी. व्यति। मन्त्रादि। ४ धनी, पशिदोरमा ५ . का मूल, वगमूल, राम्ना, पोपर भीर सोदिजनका मूल मर्ग, मापे मे मेन देन मानेगारा शिः। प्रत्येक २ पल, पाझार्थ जल ६४ मे शेत्र १६ मेर, पूर्ण- बनिया। फेलिपे भूमिपुरमाएड, मुलेठी, मेद, महामेर, सासोली, महाजनी ( दिसाये मेम दमरा भयमाए, सोरकाकोलो, धोनी सरका रस, दास, मतली, मा. पुजका नाम । २५ प्रकारको नियमों का रस, गोबर और पप घेतमस्तोतापान काटीका' मा प्रादि नही मगाः जालो | पा लिपिमहानो Vot. XVII, 33