माणिकचन्द्र ' ..
गर्ग गा सारी, कि पारद पके बाद मा कर ये माने हुए कि गुरुका उपदेश दिलकुल भूल गये। इतने दिनको
मियको ले जाएंगे।
। साधना मिहोम मिल गई। उदुना पुदुनाको बातों पर
होरा युवक गजा अपूर्व मौन्दर्य पर मुग्ध हो गई। कर रामाने एक गहरा गड़ा मोदवाया घऔर उसमें गुरुको
उदै पानेही मात्रामे घेश्याने बदन कोशिश की, किन्तु : डाल कर ऊपरसे मष्टो हक देनेका हुकुम दिण। सिर-
गामार मोरिलोके जादमें न फंसे। ये उसे माता : योगी उस गड्ढे में धानमन हो कर रहे । कुछ दिन यार
कर कर पुकारने लगे। माद्वीगने ममदत होकर राम- गोरक्षनाथ आवेगमे कानुकायोगी यहुतसे योगियों-
कुमारको कठिन परिश्रममा भार सौंपा। वही दही को माय ले हादिपाका उद्धार करने मापे। गोविन्द
फलमीमें उन्हें गुरम मल लाना होता था। काम योभ- चन्द्रफे साथ उनकी मुलाकात हुई। रामाने समभा, कि
में ये दिनों दिन दुबले पतले होने गये। समय पर पान.. ये सामान्य पुरुष नहीं है. क्षणमरमें उनका गर पार कर
को नहीं मिलता ा, जव मिलता भी गा, तो भर पेट सकते हैं। कानुफाफे मुपसे उन्होंने यह भी सुमा, कि.
नहीं, फिर भी अपरम श्याको लगती घात । इस प्रकार | हाड़िया अब भी गहमें जोयित हैं । जो कुछ हो, गलाने
१२ वर्ष पोन गये। पर गोविन्दचन्द्रको दो रानियोंने योगियोंको प्रसन्न किया। गोगियोंके एकान्त भनुरोधमै
बहुत दिनोंसे राजाका को समाचार न पा कर अपने हामिपाने रासाका अपराध क्षमा कर दिया। शुभ दिनमें
पालतू सुगेको स्वामीका ममाचार लाने के लिये छोड़ा। शुभ घडीमें राजा मस्तक मुदमा कर फिरसे संन्यामी हो
या पक्षी नाना देगौम घूमता हुआ दौराफे घर आया। , गपे। इस बार फिर मसारमें नहीं लौटे । इतने दिनों-
यहाँ उमने देगा, कि गोविन्दमन्द्र के मुखामएदल पर यह फे याद मैनापतौकी इच्छा पूरी दुई।. .
श्री नहीं, यह कान्ति नहो. यद ज्योति नहीं। राजा
___माणिकयन्द्र, गोयिन्दचन्द्र मार मैनायतोकी कहानी
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क्षोपहमें फलमा लिपे धोरे घोरे भा रहे थे । बोझ मारे
- निम्नत और हमामफे यौनमन्धमें भी भाई है। पिता,
थक गये और कुछ देर के लिये विधाम करने लगे। मी ममय मुग्गे ने उन्हें पहचान लिया और उनके दाय पर. " पुग्न और माताका चरित्र ले कर बलमाषामें सैकड़ों काप्य रखे गपे । माणिकचादका गान और गोपिन्दगीत पैठ कर रानियोंशी विरहकाहिनी सुनाई। राजाने उगली . घोर कर उसी रतसे पतलिमा और उसमोर यद्यपि गाधुनिक कयिफे हाथमे बहुत कुछ मामित हुमा किया। होगको दामियां कही नही थी, सो उन्होंने सो भी धमकी भरिथमन्नामें प्राचीन बौद्धयुगका माप _ मिश्रित है जो महम दी पहचानमें भा जाता है। . पद घटना देख लो और मालफिनसे आ कहा, 'गोविन्द । भागनेको नेपारी कर रहा है। भव हीराने उसे भेडा बना रगपुरको उत्तरपश्निमांगों को शिमला गाना द यदा कर बांध रगा। गजकुमार मर्मयेदनासे कातर हो , धर्मपालको राजधानी धर्मपुरका यमायरोष तथा पहारी गपे । उनका मनोपलेश हामिपाको ध्यान में मालूम हो एफ कोम परिनम 'मेनायसी-कोट' नामसे मिस गया। शिया उदार फग्नेये लिये ये उमी समप होरा. माणिकपन्द्रकी राजधानी देखी जाती है। कोई कोई से प्रभा। दौरान कहा, 'तुम्हारा मादमो मर गया, कोयबिहारफे पारगावी गोपिदमको राजधानी अब यह मिलने को नहीं। हादियाको रिभ्याम नहीं पारिकानगर यानाने हैं। पर्मपाल माणिक मा. मो उन्होंने हार किया। उस दुबारसे लौह रिश्तेदार थे। उन्हो फेदापसे माणिकचम्मको परामरा अंजीर टूट गई मोर गोविन्दचंद्र मुनिलाम का गुरमे ' और मृत्यु । मागिल मेनागोफे हामं धर्मपाम निएर हाजिर हुए। इमका प्रनिरन पायागा। माणिकग्द्र भौर गोविन्द · निषको ले कर दाटिपा गाधानी मोटे । मैनापती , मन्द जिम ममप गज्य करते थे, ठीकठो मान नहीं । में भादरपूर्ण पुरको गोद लिया। किन्नु गोही. प्रियामैन सादर माणिकन्ट्रको १४ों नमामो मोर दिपि, भग्दर ये पिनामिनी मारियोंकी मेशा ऐसे मोन । गोनिदको ११यो मादीमें विद्यमान साला है।