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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४६४

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___ पानयतव-मानसाचल भभियान मोर माग इस अनरत उगतिका लक्ष्यस्य कहां है. मानप.. ममता इतिहासको स्तरावलोकी परीक्षा करनेमे । तत्व उसे बाल सकता है। मागयतत्य फेशल मनुष्यका देगा मातात कि सश्मे पहले शैलयुग ( Stouingc)| भूत ले कर हो व्यस्त है सो नहीं, भयिप विश्यमें भी मी म पिपमान था। उस समय गनुप! यह पोरडा पड़ा हुमा नदी है। पर हां, इतना जरूर है. ममा पातुफ पयादारका नाम भी न था। पीछे कि कितनी उमत तथा सुसम्पप्राचीन साति परापासे पोतल-युग ( Brotun .see ) का प्रादुर्भाव हुमा, उसके तहत हुई ६-कितनो जातियों का भाग्पाकाश बाद लादयुग। किन्तु फिमी किसी देशमें शैलयुगके मूचिभेद्य अन्धकारमें मास्टन दुगा, गिगा पाद दो लोहयुगका वायिर्माय हुमा है। ये लोग लोह- जातियां शमशानमें लाई गई है, किन्तु मानग जातिरूप फा व्यहार सील कर जमीन जोतने लगे, जङ्गल फाटने विराट् विप्रदको मयनशि नहीं है। उन्नति दी उनको उगे, गिरिगहरफा रयाग फर पर्णशाला रहने लगे। नियमयद पति ६, अभिव्यकि हो उनको सुनिधित धीरे धीरे उन्होंने अपने समागको परिपुष्टि कर ली। मित्तिभूमि है। कहां तथा कितनी दूर जाकर इस उन्नतिः । शिल्प मोर याणिज्यका कुर निकला। क्रमशः शिक्षा फी गति सफेगी यह कौन कह सकता है ? मनुपमा फेरकर्षसे ये लिखा कर मनका भाव प्रकट करने लगे। भतीत जिस प्रकार प्रदेलिकामयन, भविष्यमा उसी इसी समपसे मनुष्य-समाजमें परियतन नोत प्रवल प्रकार अनुमानका मनधिगप है। टिमपाद सादि पेगस यदना आरम्म हुमा है। है या अगादि सारत है या मनम्स, इस विषयको पूयात. परिवर्तन गृहरको ममममापसे पालोचना! मीमांसाफे सम्बन्धमें सोमायसनविशिष्ट मनु कमी करना ही मानयतत्त्यका उद्देश्य है। २०वीं शताब्दीको गी समर्थ महीं होगा। । सभ्यताका विवाद रविदास भो मानयको भायो उमति- मानवरति संपु० ) राना । फा मोपानमाल । मभियानको स्तरायलीको अच्छी मानपर्जक ( स० पु. ) जातिविशेष, एकप्रकारको शादि। सरह परीक्षा करनेसे मालूम होगा, कि उन्नतिको पिराम, मानयमित (म०वि०) मानेनयजितः। १ मानदित, गदी है। जो मनुष्य एक दिन में दो कोस चल कर मानहीन । २ नोर, मप्रतिष्ठित।। पर जाता था, मात्र यही मनुष्य घंटे में पुशीसे ५० कोस ! मानसिक (सं० पु० ), पुराणानुसार एक प्राचीन मल सकता। जिसको धिएक दिन यूपम भाय। देशका नाम जो पूर्ण दिशामें था। जैगोर रणका पर्दा हटा नदी सकती थी, माज यही दृष्टि भनुसार यह देश परांमान मानभूमि है। उस देशका धान्दोकयिजानकी धूमल रश्मि (s, says, को सहायता रदनथाला। से दुध काटको दीपारफे मानरसे देवता है, सैकड़ों : मानयला ( स० पु. ) मातिभेद, एक प्रकारकारे. जाति। पोजन ऊपरम भयस्थित प्रहनक्षाको मामानीसे देव सा दूसरा गाम मानय क गो है। पानी-मां मांस तथा उप मोनर स्पि सक: मानपणास्त्र (सं.पु.) यह ग्राम जिसमें मानपानिकी को मो भालोकन करता है। जिन्हें एक प्रामसे दूसरे : पारा और विकास मादिका विनाम माम संपार गेजने में दो दिखल होतो धो माल ये शान पर मो साना भाता संसार मिमिन्न पी. पर मान मरे प्रान्त तामन भग्में संपाद मार्गानं मनुपको फिनमो जातियो ६. गाएपं. मायाम्प भान सिधा मनम्न मन्तरीक्ष गमनेयाने मलपानी' जोषों में मनुणा पास्यान .मोशी पार कर सोयरे माय मरग्य स्थापन करने में मप्रसर हुए। मीर में उस समयमा RR विकास हा मनुपने मातानिका संस्थान करप, मोपला स्पादि । गाय मोमिनोको दिरो बना कर ममता परिवनका मानयान (1 ) पुरानानुमार पर का । गरावहिपाहा माम। . .